लखनऊ:विशेष अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम्य विकास बैंक लिमिटेड में हुए करोड़ों के घोटाले में तत्कालीन मैनेजिंग डायरेकटर नवल किशोर को दोषी करार दिया है. वहीं कोर्ट ने इस मामले में ठेकेदार विनोद गुप्ता को भी दोषी करार दिया है. हालांकि सीता गुप्ता नाम की एक अन्य अभियुक्त को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. बुधवार को दोषी करार दिए जाने के बाद दोनों अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. इनकी सजा पर कोर्ट 29 मार्च को सुनवाई करेगा.
11 जनवरी 2013 को उप्र सहकारी ग्राम्य विकास बैंक लिमिटेड के महाप्रबंधक (प्रशासन) आलोक दीक्षित ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी. 10 जुलाई 2013 को जांच एजेंसी ने बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक नवल किशोर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. हालांकि आरोप पत्र दाखिल करने के बाद भी विवेचना जारी रही. 2 जनवरी 2014 को दाखिल आरोप पत्र में ठेकेदार विनोद गुप्ता और उनकी पत्नी सीता गुप्ता को भी आरोपी बनाया गया. 22 जनवरी 2014 को एसआईबी ने नवल किशोर के खिलाफ एक और आरोप पत्र दाखिल किया. इसके मुताबिक अभियुक्तों पर पांच करोड़ 24 लाख एक हजार 738 रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया.
क्या है मामला...
उत्तर प्रदेश भूमि विकास बैंक पूर्व प्रबंध निदेशक नवल किशोर पर अपनी तैनाती के दौरान बैंक की 323 शाखाओं में साइन बोर्ड लगवाने के नाम पर हेराफेरी के साथ ही अदालत के आदेशों को दरकिनार कर भर्ती करने का आरोप है. घोटाला प्रकाश में आने पर शासन ने इसकी जांच पुलिस को-ऑपरेटिव सेल (एसआईबी) को सौंपी थी.
जांच के दौरान एसआईबी को नवल किशोर के खिलाफ पुख्ता प्रमाण मिलने लगे. जांच में अपने को घिरता देख नवल किशोर ने अपनी गिरफ्तारी को लेकर अदालत से स्टे ले लिया था, लेकिन जांच एजेंसी द्वारा मामले की जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल करने के बाद स्टे प्रभावहीन हो गया था. एसआईबी ने नवल किशोर की गिरफ्तारी के लिए लखनऊ पुलिस से मदद मांगी थी. इस पर आज लखनऊ पुलिस ने नवल किशोर को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया था.