लखनऊ : किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय और नूर मंजिल मनोचिकित्सा संस्थान के तत्वावधान में गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में इंडियन साइकेट्रिस्ट सोसाइटी द्वारा राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में देश समेत दुनिया भर से लगभग 3 हजार मनोचिकित्सकों और मनो रोग विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया.
आयोजन में निमहंस बेंगलुरु के निदेशक डॉक्टर गंगाधर ने योग द्वारा मानसिक रोगों को ठीक करने और उनके उपायों पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि योग की वजह से कई तरह के रोग ठीक हो सकते हैं. उनमें से मनोरोग भी एक हैं. उचित योग करने से मनोरोग काफी कम हो सकते हैं.
कोचीन से मनोचिकित्सक डॉक्टर फिलिप जॉन ने चाइल्ड साइकोलॉजी पर अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि आजकल बच्चे जीवनशैली, खानपान और रहन-सहन की वजह से मानसिक रूप से बीमार बनते जा रहे हैं. इनमें सबसे बड़ा कारण है उनकी परवरिश में अनुशासन की कमी होना. जब माता-पिता दोनों ही बच्चे को समय नहीं दे पाते हैं और दोनों के बीच में सामंजस्य नहीं बैठ पाता तो उसकी वजह से बच्चों में साइकोलॉजिकल बीमारियां अधिक बढ़ जाती हैं. इस परेशानी को पैरेंटल अंडर माइनिंग कहा जाता है.
निमहंस के प्रोफेसर वेंकट सुब्रमण्यम ने स्किजोफ्रेनिया पर अपना व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि यह एक बेहद गंभीर समस्या है जिसका समय पर निदान बेहद आवश्यक है. अक्सर इस बीमारी के मरीज एडवांस स्टेज में आते हैं. यदि स्कीजोफ्रेनिया के मरीज सही समय पर अपना इलाज करवा ले तो इससे मानसिक विकलांगता की संभावना काफी कम हो जाती है.
पहले दिन के इस राष्ट्रीय कांफ्रेंस में कुछ मनो चिकित्सकों को सम्मानित भी किया गया, जिनमें डॉक्टर करी राम रेड्डी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया. वहीं साइकाइट्रिक्स में पहली बार डॉक्टर वेंकट सुब्रमण्यम को शांति स्वरूप भटनागर अवार्ड से नवाजा गया. इसके अलावा कुछ अन्य डॉक्टरों को भी अलग-अलग सम्मान दिए गए.