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रोजदारों को खूब भाती हैं शीरमाल, जानें क्या है वजह - सीरमाल नान रोटी रोजेदारों की पहली पसंद

रमजान के महीने के बस कुछ दिन और बाकी हैं, लेकिन शाम को बाजारों में इफ्तारी की जो रौनक है, वह देखते बनती है. रोजदार दिनभर के ग्लूकोज की कमी को पूरा करने के लिए सबसे ज्यादा शीरमाल की नान रोटी पसंद करते हैं.

रोजेदारों की इफ्तारी में पहली पंसद शीरमाल की नान रोटी
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Published : May 27, 2019, 11:39 PM IST

बाराबंकी : रमजान की इस महिने में हर जगह इफ्तार चल रहा है. ऐसे में बाराबंकी जिला भी अछूता नहीं है. दिन भर रोजा रखने वाले मुसलमान शाम को इफ्तार के दौरान कुछ ऐसी चीजों का सेवन करते हैं, जिससे उनके शरीर में हुई दिनभर की ग्लूकोज की कमी को पूरा किया जा सके. इसके लिए उन्हें सबसे ज्यादा फायदेमंद शीरमाल की नान रोटी लगती है. इससे वो अपना रोजा इफ्तारते हैं.

रोजेदारों की इफ्तारी में पहली पंसद शीरमाल की नान रोटी

रोजेदारों की इफ्तारी में पहली पंसद शीरमाल की नान रोटी.

  • रमजान महीने के अब 8 दिन शेष रह गए हैं.
  • इस बार रमजान महीना भीषण गर्मी के दौरान बीता.
  • रोजा रखने वाले रोजेदारों को काफी मशक्कत भी झेलनी पड़ी.
  • रमजान महीने के दौरान सबसे ज्यादा मांग कबाब की होती है.
  • इसे लोग नान रोटी और शीरमाल के साथ बड़े चाव से खाते हैं.
  • खजूर, कबाब और शाही टुकड़ा रोजा इफ्तार के लिए काफी पसंद किया जाता है.

मोहम्मद अफजाल का कहना है कि

  • वह बड़ी शिद्दत से शीरमाल को बनाते हैं.
  • इसे मैदा, चीनी, घी, दूध और नमक से बनाते है.
  • शीरमाल में पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोस मिलता है, जो दिन भर की थकान को दूर कर देता है.

बाराबंकी : रमजान की इस महिने में हर जगह इफ्तार चल रहा है. ऐसे में बाराबंकी जिला भी अछूता नहीं है. दिन भर रोजा रखने वाले मुसलमान शाम को इफ्तार के दौरान कुछ ऐसी चीजों का सेवन करते हैं, जिससे उनके शरीर में हुई दिनभर की ग्लूकोज की कमी को पूरा किया जा सके. इसके लिए उन्हें सबसे ज्यादा फायदेमंद शीरमाल की नान रोटी लगती है. इससे वो अपना रोजा इफ्तारते हैं.

रोजेदारों की इफ्तारी में पहली पंसद शीरमाल की नान रोटी

रोजेदारों की इफ्तारी में पहली पंसद शीरमाल की नान रोटी.

  • रमजान महीने के अब 8 दिन शेष रह गए हैं.
  • इस बार रमजान महीना भीषण गर्मी के दौरान बीता.
  • रोजा रखने वाले रोजेदारों को काफी मशक्कत भी झेलनी पड़ी.
  • रमजान महीने के दौरान सबसे ज्यादा मांग कबाब की होती है.
  • इसे लोग नान रोटी और शीरमाल के साथ बड़े चाव से खाते हैं.
  • खजूर, कबाब और शाही टुकड़ा रोजा इफ्तार के लिए काफी पसंद किया जाता है.

मोहम्मद अफजाल का कहना है कि

  • वह बड़ी शिद्दत से शीरमाल को बनाते हैं.
  • इसे मैदा, चीनी, घी, दूध और नमक से बनाते है.
  • शीरमाल में पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोस मिलता है, जो दिन भर की थकान को दूर कर देता है.
Intro:बाराबंकी, 27 मई। इस समय पवित्र रमजान का महीना चल रहा है और चारों तरफ इफ्तार चल रहा है, ऐसे में बाराबंकी जिला भी इससे अछूता नहीं है. यहां तो वैसे भी इफ्तार पार्टियों का आयोजन खूब होता है. दिन भर रोजा रखने वाले मुसलमान शाम को इफ्तार करके दिन भर की थकान और एनर्जी को गेन करने के लिए ,इफ्तार के दौरान कुछ ऐसी चीजों का सेवन करते हैं ,जिससे कि उनके शरीर में हुई दिनभर की ग्लूकोज की कमी को पूरा किया जा सके.इसके लिए उन्हें सबसे ज्यादा मुफीद सीरमाल की नान रोटी लगती है. वैसे तो खजूर , कबाब, और शाही टुकड़ा रोजा इफ्तार के लिए काफी पसंद किया जाता है.


Body:पूरे देश में रमजान का पवित्र महीना चल रहा है और इस दौरान रोजा इफ्तार प्रतिदिन शाम को होता है. पवित्र रमजान महीने के अब महज 8 दिन शेष रह गए हैं. इस बार रमजान महीना भीषण गर्मी के दौरान बीता. रोजा रखने वाले रोजेदारों के लिए काफी मशक्कत ए भी झेलनी पड़ी लेकिन इन मशक्कत ओं के बाद भी शाम को होने वाली इफ्तार से शरीर में कम होने वाली ग्लूकोस की पूर्ति भी होती रही.
संजील अली कहते हैं कि रमजान महीने के दौरान सबसे ज्यादा मांग कबाब की होती है जिसे लोग नान रोटी और सीरमाल के साथ बड़े चाव से खाते हैं.
मोहम्मद अफजाल का कहना है कि वह बड़ी शिद्दत से सिर माल को बनाते हैं जिसमें मैदा, चीनी, घी, दूध और नमक से बनता है जिसमें पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोस मिलता है, जो दिन भर की थकान को दूर कर देता है.
आलम बाबा जो पीरबतावान मोहल्ले में रोजा इफ्तार के लिए पकवान बनाते हैं जिसमें खीर से लेकर, शाही टुकड़ा और कबाब खजूर इत्यादि लोगों को बेचते हैं. इनका मानना है कि इस रमजान के महीने में जितना ज्यादा इफ्तार की सामग्री बने और लोगों तक पहुंचे उतना कम है. इसलिए वह ढेर सारा इफ्तारी का आइटम बनाते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा रोजेदारों को इसे उपलब्ध कराया जा सके.
मोहम्मद आलम भी अल्लाह के रहमों करम के इस पवित्र महीने में लोगों को इस तारीख का सामान बेचते हैं और उन्हें यह करके बड़ा सुकून मिलता है.


Conclusion: कुल मिलाकर रमजान के पवित्र महीने के बस कुछ दिन बाकी है. लेकिन शाम को बाजारों में इफ्तारी की जो रौनक है,वह देखते ही बनती है. सचमुच इससे जो त्योहारों का मौसम है वह खिल जाता है, और भारत की एकता का जो पैगाम है वह इसी इफ्तारी के दौरान देखने को मिलता भी है. इसलिए सचमुच यह एक महीना हिंदू मुस्लिम एकता और सर्वधर्म समभाव का भी सूत्रपात कर देता है.




Bite -
1- संजील अली,दुकानदार ,बाराबंकी
2- मोहम्मद अफजाल, दुकानदार, बाराबंकी
3- आलम बाबा, दुकानदार , पीरबटावन , बाराबंकी
4- मोहम्मद आलम, दुकानदार,पीरबटावन ,बाराबंकी




रिपोर्ट- आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर  बाराबंकी 9628 4769 07
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