फर्रुखाबाद: मौनी अमावस्या के अवसर पर फर्रुखाबाद के आसपास के विभिन्न जिलों से आए श्रद्धालुओं ने पांचाल घाट पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाई. इसके बाद दान पुण्य कर परिवार की सुख शांति के लिए प्रार्थना की.
माघ महीने में आने वाली पहली अमावस को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस अमावस्या की खास बात है कि इस दिन मौन रहकर पूजा पाठ और व्रत किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से देवताओं से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों को शांति मिलती है. मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है यह महीना वर्ष का श्रेष्ठ महीना माना गया है. दो दिन से घने कोहरे और सर्द हवाओं के बीच गंगा स्नान को लेकर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के हौसले बुलंद दिखे. हालांकि लोग ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा लेते नजर आए. रविवार देर रात से ही दूर-दूर से लोगों का गंगा घाट पर आना शुरू हो गया था.
मौनी अमावस्या पर लोगों ने दिन भर का मौन रखकर मां गंगा की आराधना की. पांचाल घाट, ढाई घाट समेत अन्य घाटों पर आसपास के जिलों से आए श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. स्नान उपरांत श्रद्धालुओं ने पुरोहितों के स्थानों पर जाकर दान पुण्य किया. मकर संक्रांति की भांति आज भी गुड़, तिल आदि से बने पदार्थों का दान दिया गया. इसके अलावा गंगा घाट के किनारे सत्यनारायण जी की कथा सुनकर भक्तों ने अपने परिवार की सुख शांति के लिए प्रार्थना भी की साथ ही साथ कन्याओं को दही, जलेबी का भोग लगाकर आशीर्वाद लिया. इस दौरान पुलिस प्रशासन की ओर से गोताखोर और जल पुलिस भी तैनात रही. गंगा स्नान करने आई 85 वर्षीय रीना ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी वह मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करने आई हैं. उन्होंने कहा कि गंगा मैया की इतनी दया है कि जबरदस्त ठंड के बावजूद स्नान करने में कोई दिक्कत नहीं आती है.