नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने महाराष्ट्र और झारखंड दोनों राज्यों में अपने संकल्प पत्र में राज्य के वोटर्स के लिए काफी लोक लुभावन वादे किए हैं. इसके बावजूद दोनों ही राज्यों में तुष्टिकरण की राजनीति हावी है. एक ओर महाराष्ट्र में बीजेपी की तरफ से दिया गया नारा 'एक हैं तो सेफ हैं' जोर शोर से चल रहा.
वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड में आदिवासी महिलाओं के धर्मांतरण और घुसपैठियों के साथ शादी के मुद्दे पर यूसीसी लाने का वादा किया है. जिसकी काट विपक्षी पार्टियां झारखंड में 'सरना धर्म कोड' लाने के मुद्दे को हवा देकर कर रहीं हैं.
सरना धर्म कोड लाने का वादा
झारखंड में JMM एक बार फिर ताल ठोककर आदिवासी वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए सरना धर्म कोड लाने का वादा कर रही है. दरअसल, यह मुद्दा आदिवासी समुदाय की प्रकृति पूजा परंपरा से जुड़ा है और उनके लिए यह एक भावनात्मक मुद्दा है.
इस संबंध में भाजपा के नेता अर्जुन मुंडा का कहना है कि पार्टी सरना कोड को लागू करने के पक्ष में है मगर JMM को पहले कांग्रेस से नाता तोड़ना होगा, क्योंकि कांग्रेस ने ही ये नियम झारखंड से खत्म किया था.
क्या है सरना धर्म कोड है?
विपक्ष यूसीसी के खिलाफ चुनावी मैदान में लेकर आया है, जो सरना धर्म लेकर आया है, वह असल में सनातन धर्म परंपरा का ही एक भाग है जो आदिवासियों की जीवनपद्धति से जुड़ा है. सरना आदिवासियों के पूजा स्थल को भी कहा जाता है. बता दें कि आदिवासियों के पूजा पद्धति में मूर्ति पूजा की बजाए प्रकृति पूजा का विधान है.
भाजपा के नेताओं का कहना है कि अलग सरना धर्म कोड के जरिए आदिवासियों को बांटने और सनातन हिंदू धर्म से दूर करने की कोशिशकी जा रही है, ताकि उनका ईसाई धर्म में धर्मांतरण आसानी से कराया जा सके हिंदू आदिवासियों के वोटों का बंटवारा किया जा सके.
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