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मेरठ में चरमराई चिकित्सा व्यवस्था, मरीजों के साथ तीमारदार हलकान

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Published : Apr 27, 2021, 6:54 AM IST

कोरोना महामारी के बीच मेरठ में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त होती जा रही है. आलम यह है कि हालात नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है. तमाम कोशिशों और दावों के बावजूद अस्पतालों से लेकर प्लांट तक ऑक्सीजन के लिए मारामारी चल रही है.

कोरोना काल में मेडिकल व्यवस्था.
कोरोना काल में मेडिकल व्यवस्था.

मेरठ: एक ओर जहां कोरोना वायरस लगातार कहर बरपा रहा है. वहीं जिले में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त होती जा रही है. सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों में ही नहीं मेरठ मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के लिए मरीजों एवं तीमारदारों की लंबी लाइन देखी जा रही है. तीमारदारों के हाथों में ऑक्सीजन और व्हील चेयर पर मरीज पहुंच रहे हैं. अस्पतालों में लाचार परिजनों की मौजूदगी में कुछ मरीज फर्श पर भी तड़पते दिखे. चौकाने वाली बात तो ये है कि महामारी के बीच एम्बुलेंस चालक भी बिना पीपीई किट के मरीजों को लेकर अस्पताल पहुंचा रहे हैं.

खुलने के पहले फुल हुआ नया इमरजेंसी वार्ड

मेरठ मेडिकल कॉलेज में पहुंच रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा है कि नया इमरजेंसी वार्ड भी खुलने से पहले फुल हो गया है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने लोगों से अपील की है कि जिला अस्पताल या अन्य अस्पताल कोरोना के मरीजों को अपने यहां एडमिट करें तो लोड कम हो जाएगा.

न बेड खाली है, न वेंटिलेटर

कोविड मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते मेडिकल कॉलेज से लेकर जिला अस्पताल और प्राइवेट अस्पतालों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. अस्पतालों में न तो बेड खाली है और न वेंटिलेटर खाली हैं. मरीजों को ऑक्सीजन की भी आपूर्ति नहीं हो पा रही है. मरीजों को भर्ती कराने के लिए तीमारदारों को एंबुलेंस में ही घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. इससे हर किसी को अपनों की चिंता सता रही है.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ की बाजारों में पसरा सन्नाटा, सोमवार को खुलेगी बर्तन बाजार

ऑक्सीजन के लिए हो रही भागम भाग

एक ओर जहां जिला प्रशासन पर्याप्त ऑक्सीजन होने के दावे कर रहा है. वहीं ऑक्सीजन प्लांट पर लोगों की लंबी कतारें लगी हुई हैं. ऑक्सीजन की बढ़ती मांग के चलते दो से 10 गुना दाम पर सिलेंडर लेने को लोग तैयार हैं. अस्पताल हो या ऑक्सीजन प्लांट तीमारदारों को जहां भी ऑक्सीजन मिलने की उम्मीद दिखती है, वे अपने संसाधनों से लेने पहुंच रहे हैं. होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे मरीजों के लिए भी ऑक्सीजन की जरूरत देखी जा रही है.

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि जिला अस्पताल और प्राइवेट अस्पतालों के मरीज मेडिकल कॉलेज में ही आ रहे हैं. 55 बेड के नये इमरजेंसी वार्ड में 70-80 मरीजों को देखना पड़ रहा है. कई बार मरीजों को व्हीलचेयर और स्ट्रेचर पर ही रखना पड़ जाता है. ऐसे में अगर दूसरे अस्पताल मरीजों को देखने लगे तो मेडिकल कॉलेज से लोड कम हो सकता है, इससे मरीजों का बेहतर इलाज किया जा सकता है.

मेरठ: एक ओर जहां कोरोना वायरस लगातार कहर बरपा रहा है. वहीं जिले में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त होती जा रही है. सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों में ही नहीं मेरठ मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के लिए मरीजों एवं तीमारदारों की लंबी लाइन देखी जा रही है. तीमारदारों के हाथों में ऑक्सीजन और व्हील चेयर पर मरीज पहुंच रहे हैं. अस्पतालों में लाचार परिजनों की मौजूदगी में कुछ मरीज फर्श पर भी तड़पते दिखे. चौकाने वाली बात तो ये है कि महामारी के बीच एम्बुलेंस चालक भी बिना पीपीई किट के मरीजों को लेकर अस्पताल पहुंचा रहे हैं.

खुलने के पहले फुल हुआ नया इमरजेंसी वार्ड

मेरठ मेडिकल कॉलेज में पहुंच रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा है कि नया इमरजेंसी वार्ड भी खुलने से पहले फुल हो गया है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार ने लोगों से अपील की है कि जिला अस्पताल या अन्य अस्पताल कोरोना के मरीजों को अपने यहां एडमिट करें तो लोड कम हो जाएगा.

न बेड खाली है, न वेंटिलेटर

कोविड मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते मेडिकल कॉलेज से लेकर जिला अस्पताल और प्राइवेट अस्पतालों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. अस्पतालों में न तो बेड खाली है और न वेंटिलेटर खाली हैं. मरीजों को ऑक्सीजन की भी आपूर्ति नहीं हो पा रही है. मरीजों को भर्ती कराने के लिए तीमारदारों को एंबुलेंस में ही घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. इससे हर किसी को अपनों की चिंता सता रही है.

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ऑक्सीजन के लिए हो रही भागम भाग

एक ओर जहां जिला प्रशासन पर्याप्त ऑक्सीजन होने के दावे कर रहा है. वहीं ऑक्सीजन प्लांट पर लोगों की लंबी कतारें लगी हुई हैं. ऑक्सीजन की बढ़ती मांग के चलते दो से 10 गुना दाम पर सिलेंडर लेने को लोग तैयार हैं. अस्पताल हो या ऑक्सीजन प्लांट तीमारदारों को जहां भी ऑक्सीजन मिलने की उम्मीद दिखती है, वे अपने संसाधनों से लेने पहुंच रहे हैं. होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे मरीजों के लिए भी ऑक्सीजन की जरूरत देखी जा रही है.

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि जिला अस्पताल और प्राइवेट अस्पतालों के मरीज मेडिकल कॉलेज में ही आ रहे हैं. 55 बेड के नये इमरजेंसी वार्ड में 70-80 मरीजों को देखना पड़ रहा है. कई बार मरीजों को व्हीलचेयर और स्ट्रेचर पर ही रखना पड़ जाता है. ऐसे में अगर दूसरे अस्पताल मरीजों को देखने लगे तो मेडिकल कॉलेज से लोड कम हो सकता है, इससे मरीजों का बेहतर इलाज किया जा सकता है.

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