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सुलतानपुर: सामने आई जिला अस्पताल की बड़ी लापरवाही, जानिए क्या

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Published : Mar 22, 2019, 11:04 PM IST

जहां एक ओर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही हैं तो वहीं सुलतानपुर जिले में हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. ट्रैक्टर की चपेट में आए घायल व्यक्ति का इलाज कराने पहुंचे परिजनों को घायल को स्ट्रेचर के अभाव में फर्श पर लिटाना पड़ा.

जिला अस्पताल सुलतानपुर में फर्श पर लेटा हुआ मरीज

सुलतानपुर: योगी सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के तमाम दावे भले ही कर रही हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. उनकी स्वास्थ्य सेवाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं. जिला अस्पताल हो या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सभी जगहों पर स्ट्रेचर और बेड की सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं. तमाम उपकरण और अत्याधुनिक यंत्र भी लगाए गए हैं, लेकिन असल में तस्वीर कुछ और ही है.

जिला अस्पताल सुलतानपुर में फर्श पर लेटा मरीज.

शुक्रवार को जिला अस्पताल में ट्रैक्टर की चपेट में आए एक युवक को उसकी मां और सहयोगी उसे गोद में उठाकर इमरजेंसी तक लाए. उस युवक को न तो 108 आपातकालीन सेवा का ही सहारा मिला और न ही उसे अस्पताल में कोई स्ट्रेचर मिला. उसे गोद में लेकर जिला अस्पताल लाना पड़ा. भर्ती करने की भी सुविधा नहीं थी तो उसे फर्श पर लिटा दिया गया.

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जिला अस्पताल सुलतानपुर में फर्श पर लेटा हुआ मरीज.
मामला धम्मौर थाना क्षेत्र के सरैया ग्राम पंचायत से जुड़ा हुआ है. जहां ईंट भट्टे पर मजदूर सोनू यादव काम करता है. शुक्रवार को एक ट्रैक्टर की चपेट में आ गया और अचेत हो गया. नाक, कान और शरीर के कई हिस्सों से रक्तस्राव होने लगा. 108 एंबुलेंस की सुविधा न मिलने पर आनन-फानन में लोग उसे निजी वाहन से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां जिला अस्पताल के मुख्य गेट से आने में परिजनों को पसीने छूट गए. पहले सोनू को पुरानी इमरजेंसी पहुंचाया गया, लेकिन उसे वहां इलाज नहीं मिला. फिर उसे गोद के सहारे नई इमरजेंसी पहुंचाया गया. मौके पर उसे न तो कोई स्ट्रेचर मिला और न ही कोई एंबुलेंस सेवा.



सोनू की मां गायत्री का कहना है कि कोई स्ट्रेचर और एंबुलेंस की सेवा जिला अस्पताल में नहीं मिली है. उसे गोद में लेकर जिला अस्पताल लाना पड़ा है. भर्ती करने की भी सुविधा नहीं थी तो फर्श पर लिटा दिया.इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर बीपी सिंह का कहना है कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि जांच-पड़ताल के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.

सुलतानपुर: योगी सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के तमाम दावे भले ही कर रही हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. उनकी स्वास्थ्य सेवाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं. जिला अस्पताल हो या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सभी जगहों पर स्ट्रेचर और बेड की सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं. तमाम उपकरण और अत्याधुनिक यंत्र भी लगाए गए हैं, लेकिन असल में तस्वीर कुछ और ही है.

जिला अस्पताल सुलतानपुर में फर्श पर लेटा मरीज.

शुक्रवार को जिला अस्पताल में ट्रैक्टर की चपेट में आए एक युवक को उसकी मां और सहयोगी उसे गोद में उठाकर इमरजेंसी तक लाए. उस युवक को न तो 108 आपातकालीन सेवा का ही सहारा मिला और न ही उसे अस्पताल में कोई स्ट्रेचर मिला. उसे गोद में लेकर जिला अस्पताल लाना पड़ा. भर्ती करने की भी सुविधा नहीं थी तो उसे फर्श पर लिटा दिया गया.

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जिला अस्पताल सुलतानपुर में फर्श पर लेटा हुआ मरीज.
मामला धम्मौर थाना क्षेत्र के सरैया ग्राम पंचायत से जुड़ा हुआ है. जहां ईंट भट्टे पर मजदूर सोनू यादव काम करता है. शुक्रवार को एक ट्रैक्टर की चपेट में आ गया और अचेत हो गया. नाक, कान और शरीर के कई हिस्सों से रक्तस्राव होने लगा. 108 एंबुलेंस की सुविधा न मिलने पर आनन-फानन में लोग उसे निजी वाहन से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां जिला अस्पताल के मुख्य गेट से आने में परिजनों को पसीने छूट गए. पहले सोनू को पुरानी इमरजेंसी पहुंचाया गया, लेकिन उसे वहां इलाज नहीं मिला. फिर उसे गोद के सहारे नई इमरजेंसी पहुंचाया गया. मौके पर उसे न तो कोई स्ट्रेचर मिला और न ही कोई एंबुलेंस सेवा.



सोनू की मां गायत्री का कहना है कि कोई स्ट्रेचर और एंबुलेंस की सेवा जिला अस्पताल में नहीं मिली है. उसे गोद में लेकर जिला अस्पताल लाना पड़ा है. भर्ती करने की भी सुविधा नहीं थी तो फर्श पर लिटा दिया.इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर बीपी सिंह का कहना है कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि जांच-पड़ताल के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.
Intro:स्पेशल --------- शीर्षक : योगी की स्वास्थ्य सेवा का सच, जिला अस्पताल की फर्श पर तड़प रहे मरीज। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के तमाम दावे धरातल पर नहीं उतर पा रहे हैं। जिला अस्पताल हो या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र। स्ट्रेचर और बेड की सुविधाएं तो मुहैया कराई गई हैं। तमाम उपकरण और अत्याधुनिक यंत्र भी लगाए गए हैं । लेकिन असल में तस्वीर कुछ जुदा ही है। शुक्रवार को जिला अस्पताल में ट्रैक्टर की चपेट में आया एक युवक किसी तरह पुरानी इमरजेंसी से नई इमरजेंसी तक पहुंचा। उसकी मां और एक सहयोगी मजदूर उसे गोदी में उठाकर इमरजेंसी तक ले आए। न तो 108 आपातकालीन सेवा और ना ही और कोई एंबुलेंस की सहूलियत। ऐसे में आम लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं की दुनिया की हकीकत का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।


Body:मामला धम्मौर थाना क्षेत्र के सरैया ग्राम पंचायत से जुड़ा हुआ है। जहां ईट भट्टे पर मजदूर सोनू यादव पुत्र योगी यादव निवासी बिलासपुर राज्य मध्य प्रदेश काम करता है। शुक्रवार को एक ट्रैक्टर की चपेट में आ गया और पहियों के नीचे उसका शरीर चला गया। मौके पर वह अचेत हो गया। नाक कान और शरीर के कई हिस्सों से रक्तस्राव होने लगा। आनन-फानन में उसे लेकर निजी वाहन से लोग जिला अस्पताल पहुंचे। जहां जिला अस्पताल के मुख्य गेट से आने में परिजनों को पसीने छूट गए। पहले सोनू पुरानी इमरजेंसी गया, जहां गोद के सहारे नई इमरजेंसी पहुंचा। कोई स्ट्रेचर नहीं, कोई एंबुलेंस सेवा नहीं।


Conclusion:बाइट : सोनू की मां गायत्री कहती है कि कोई स्ट्रेचर और एंबुलेंस की सेवा जिला अस्पताल में नहीं मिल सकी। उसे गोद में लेकर जिला अस्पताल ले आए है । जहां भर्ती करने की भी सुविधा नहीं थी, तो फर्श पर लिटा दिया। बाइट : मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर बी पी सिंह कहते हैं कि उन्हें किसी ने इस घटना की जानकारी नहीं दी है। पड़ताल के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। वॉइस ओवर : फर्श पर सोनू काफी देर तक तड़पता रहा। मौके पर डॉक्टर नहीं, फार्मेसिस्ट नहीं। जब कैमरे का फ्लैश चमका तो लोग चौंके और उसे बैड मुहैया कराया गया। इलाज शुरू किया जा सका। ऐसे में सामान्य लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
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