लखनऊ : कैंसर, गॉल ब्लेडर और कमर दर्द से बेहाल मरीजों के लिए अब एक अच्छी खबर है. अब इन मरीजों को दर्द से निजात पाने के लिए ज्यादा दवाई खाने की आवश्यकता नहीं है. इसके लिए अब केजीएमयू में रेडियो फ्रीक्वेंसी नामक तकनीक से इलाज होगा. इससे मरीज की दर्द की संभावना कम हो जाएगी.
केजीएमयू की नई पहल
- केजीएमयू में आने वाले दिनों में कैंसर मरीजों को अब राहत मिल पाएगा.
- शताब्दी फेस वन में इंस्टॉल की गई मशीन से कैंसर के मरीजों को दर्द से राहत मिल पाएगा.
- 6 से 8 महीने तक इस दवा का असर रहेगा.
- बिना किसी टांके के मरीज को अंदर से निजात मिल जाएगी.
- इसमें सबसे ज्यादा राहत कैंसर के मरीजों को मिलेगा.
- कैंसर मरीजों को दर्द से निजात पाने के लिए बहुत अधिक दवाई खाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी.
रेडियो फ्रिकवेंसी के फायदे
- केजीएमयू विभाग की यूनिट में रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीकी मशीन लगाई गई है.
- मरीजों को बिना ऑपरेशन के दर्द से राहत मिल जाएगा.
- मरीजों के लिए केजीएमयू के एनएसथीसियोलॉजी विभाग की एक यूनिट ने यह कदम उठाया है.
- यूनिट में रेडियो फ्रिकवेंसी तकनीकी से इलाज की सुविधा शुरू हो गई है.
- इससे मरीज को 8 माह तक दर्द का एहसास ही नहीं होगा.
- मरीजों की जांच परीक्षण के बाद रेडियो फ्रिकवेंसी अब लेजर तकनीक से इलाज होगा.
- एक्सरे अल्ट्रासाउंड से दर्द के लिए जिम्मेदार नस की पहचान की जाएगी.
- उसके बाद खास तरह के निडिल दर्द वाले हिस्से में प्रवेश कराई जाएगी.
- 1 से 10 घंटे की प्रक्रिया के बाद मरीज को घर भेज दिया जाएगा.
- इससे आने वाले दिनों में कैंसर, घुटनों में दर्द वाले मरीजों को इस दर्द से निजात मिल पाएगी.
रेडियो फ्रिकवेंसी एब्लेजर तकनीक क्या है?
- रेडियो फ्रिकवेंसी मशीन एक तरह से अल्ट्रासाउंड जैसी होती है.
- इसके जरिए जिस स्थान पर दर्द होता है. उसके लिए जिम्मेदार नस की पहचान की जाएगी.
- फिर वहां एक खास तरह की निडिल से जाकर दर्द पहुंचाने वाली नस सेल को जला देती है.
- यह 2 घंटे की प्रक्रिया होगी.
- इसका असर शुरू में नहीं दिखता एक बार सूजन आती है, लेकिन 3 दिन बाद कम होने लगती है.
- 15 दिन बाद मरीज को आराम मिलने लगता है.
- एक बार के प्रोसीजर से 6 से 8 महीने तक आराम रहता है.
- इसमें करीब 70 से 80% तक मरीजों को दर्द से राहत मिल जाती है.