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केजीएमयू में अब रेडियो फ्रीक्वेंसी से होगा दर्द दूर, कैंसर के मरीजों को मिलेगा फायदा - कैंसर मरीज

केजीएमयू में आने वाले दिनों में शताब्दी फेस वन में इंस्टॉल की गई मशीन से कैंसर के मरीजों को दर्द से राहत मिल पाएगा. केजीएमयू विभाग की यूनिट में रेडियो रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीकी मशीन लगाई गई है. इससे मरीज की दर्द की संभावना कम हो जाएगी.

केजीएमयू
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Published : May 13, 2019, 1:07 PM IST

लखनऊ : कैंसर, गॉल ब्लेडर और कमर दर्द से बेहाल मरीजों के लिए अब एक अच्छी खबर है. अब इन मरीजों को दर्द से निजात पाने के लिए ज्यादा दवाई खाने की आवश्यकता नहीं है. इसके लिए अब केजीएमयू में रेडियो फ्रीक्वेंसी नामक तकनीक से इलाज होगा. इससे मरीज की दर्द की संभावना कम हो जाएगी.

रेडियो फ्रीक्वेंसी से होगा मरीजों का दर्द दूर.

केजीएमयू की नई पहल

  • केजीएमयू में आने वाले दिनों में कैंसर मरीजों को अब राहत मिल पाएगा.
  • शताब्दी फेस वन में इंस्टॉल की गई मशीन से कैंसर के मरीजों को दर्द से राहत मिल पाएगा.
  • 6 से 8 महीने तक इस दवा का असर रहेगा.
  • बिना किसी टांके के मरीज को अंदर से निजात मिल जाएगी.
  • इसमें सबसे ज्यादा राहत कैंसर के मरीजों को मिलेगा.
  • कैंसर मरीजों को दर्द से निजात पाने के लिए बहुत अधिक दवाई खाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी.

रेडियो फ्रिकवेंसी के फायदे

  • केजीएमयू विभाग की यूनिट में रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीकी मशीन लगाई गई है.
  • मरीजों को बिना ऑपरेशन के दर्द से राहत मिल जाएगा.
  • मरीजों के लिए केजीएमयू के एनएसथीसियोलॉजी विभाग की एक यूनिट ने यह कदम उठाया है.
  • यूनिट में रेडियो फ्रिकवेंसी तकनीकी से इलाज की सुविधा शुरू हो गई है.
  • इससे मरीज को 8 माह तक दर्द का एहसास ही नहीं होगा.
  • मरीजों की जांच परीक्षण के बाद रेडियो फ्रिकवेंसी अब लेजर तकनीक से इलाज होगा.
  • एक्सरे अल्ट्रासाउंड से दर्द के लिए जिम्मेदार नस की पहचान की जाएगी.
  • उसके बाद खास तरह के निडिल दर्द वाले हिस्से में प्रवेश कराई जाएगी.
  • 1 से 10 घंटे की प्रक्रिया के बाद मरीज को घर भेज दिया जाएगा.
  • इससे आने वाले दिनों में कैंसर, घुटनों में दर्द वाले मरीजों को इस दर्द से निजात मिल पाएगी.

रेडियो फ्रिकवेंसी एब्लेजर तकनीक क्या है?

  • रेडियो फ्रिकवेंसी मशीन एक तरह से अल्ट्रासाउंड जैसी होती है.
  • इसके जरिए जिस स्थान पर दर्द होता है. उसके लिए जिम्मेदार नस की पहचान की जाएगी.
  • फिर वहां एक खास तरह की निडिल से जाकर दर्द पहुंचाने वाली नस सेल को जला देती है.
  • यह 2 घंटे की प्रक्रिया होगी.
  • इसका असर शुरू में नहीं दिखता एक बार सूजन आती है, लेकिन 3 दिन बाद कम होने लगती है.
  • 15 दिन बाद मरीज को आराम मिलने लगता है.
  • एक बार के प्रोसीजर से 6 से 8 महीने तक आराम रहता है.
  • इसमें करीब 70 से 80% तक मरीजों को दर्द से राहत मिल जाती है.

लखनऊ : कैंसर, गॉल ब्लेडर और कमर दर्द से बेहाल मरीजों के लिए अब एक अच्छी खबर है. अब इन मरीजों को दर्द से निजात पाने के लिए ज्यादा दवाई खाने की आवश्यकता नहीं है. इसके लिए अब केजीएमयू में रेडियो फ्रीक्वेंसी नामक तकनीक से इलाज होगा. इससे मरीज की दर्द की संभावना कम हो जाएगी.

रेडियो फ्रीक्वेंसी से होगा मरीजों का दर्द दूर.

केजीएमयू की नई पहल

  • केजीएमयू में आने वाले दिनों में कैंसर मरीजों को अब राहत मिल पाएगा.
  • शताब्दी फेस वन में इंस्टॉल की गई मशीन से कैंसर के मरीजों को दर्द से राहत मिल पाएगा.
  • 6 से 8 महीने तक इस दवा का असर रहेगा.
  • बिना किसी टांके के मरीज को अंदर से निजात मिल जाएगी.
  • इसमें सबसे ज्यादा राहत कैंसर के मरीजों को मिलेगा.
  • कैंसर मरीजों को दर्द से निजात पाने के लिए बहुत अधिक दवाई खाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी.

रेडियो फ्रिकवेंसी के फायदे

  • केजीएमयू विभाग की यूनिट में रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीकी मशीन लगाई गई है.
  • मरीजों को बिना ऑपरेशन के दर्द से राहत मिल जाएगा.
  • मरीजों के लिए केजीएमयू के एनएसथीसियोलॉजी विभाग की एक यूनिट ने यह कदम उठाया है.
  • यूनिट में रेडियो फ्रिकवेंसी तकनीकी से इलाज की सुविधा शुरू हो गई है.
  • इससे मरीज को 8 माह तक दर्द का एहसास ही नहीं होगा.
  • मरीजों की जांच परीक्षण के बाद रेडियो फ्रिकवेंसी अब लेजर तकनीक से इलाज होगा.
  • एक्सरे अल्ट्रासाउंड से दर्द के लिए जिम्मेदार नस की पहचान की जाएगी.
  • उसके बाद खास तरह के निडिल दर्द वाले हिस्से में प्रवेश कराई जाएगी.
  • 1 से 10 घंटे की प्रक्रिया के बाद मरीज को घर भेज दिया जाएगा.
  • इससे आने वाले दिनों में कैंसर, घुटनों में दर्द वाले मरीजों को इस दर्द से निजात मिल पाएगी.

रेडियो फ्रिकवेंसी एब्लेजर तकनीक क्या है?

  • रेडियो फ्रिकवेंसी मशीन एक तरह से अल्ट्रासाउंड जैसी होती है.
  • इसके जरिए जिस स्थान पर दर्द होता है. उसके लिए जिम्मेदार नस की पहचान की जाएगी.
  • फिर वहां एक खास तरह की निडिल से जाकर दर्द पहुंचाने वाली नस सेल को जला देती है.
  • यह 2 घंटे की प्रक्रिया होगी.
  • इसका असर शुरू में नहीं दिखता एक बार सूजन आती है, लेकिन 3 दिन बाद कम होने लगती है.
  • 15 दिन बाद मरीज को आराम मिलने लगता है.
  • एक बार के प्रोसीजर से 6 से 8 महीने तक आराम रहता है.
  • इसमें करीब 70 से 80% तक मरीजों को दर्द से राहत मिल जाती है.
Intro:कैंसर, गॉल ब्लेडर और कमर दर्द से बेहाल मरीजों के लिए अब एक अच्छी खबर है। अब इन मरीजों को दर्द से निजात पाने के लिए ज्यादा दवाई खाने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए अब केजीएमयू में रेडियो फ्रिकवेंसी नामक तकनीक से इलाज होगा। जिससे मरीज को किसी भी तरह की कोई दर्द की संभावना कम हो जाएगी।


Body:वी.ओ- केजीएमयू में आने वाले दिनों में शताब्दी फेस वन में इंस्टॉल की गई मशीन से कैंसर के मरीजों को दर्द से राहत मिल पाएगी और 6 से 8 महीने तक इस दवा का असर रहेगा। यह बिना किसी टांके के मरीज को अंदर से निजात मिल जाया करेगी। इसमें सबसे ज्यादा राहत कैंसर के मरीजों को मिलेगी। इन मरीजों को दर्द से निजात पाने के लिए बहुत अधिक दवाई खाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। केजीएमयू विभाग की यूनिट में रेडियो फ्रिकवेंसी तकनीकी मशीन लगाई गई है। मरीजों को बिना ऑपरेशन के दर्द से राहत मिल जाएगी।

मरीजों के लिए केजीएमयू के एनएसथीसियोलॉजी विभाग की एक यूनिट ने यह कदम उठाया है यूनिट में रेडियो फ्रिकवेंसी तकनीकी से इलाज की सुविधा शुरू हो गई है। इससे मरीज को 8 माह तक दर्द का एहसास ही नहीं होगा। मरीजों की जांच परीक्षण के बाद रेडियो फ्रिकवेंसी अब लेजर तकनीक से इलाज का फैसला होगा। एक्सरे अल्ट्रासाउंड से दर्द के लिए जिम्मेदार नस की पहचान की जाएगी। उसके बाद खास तरह के निडिल दर्द वाले हिस्से में प्रवेश कराई जाएगी। रेडियो फ्रिकवेंसी की जाएगी। 1 से 10 घंटे की प्रक्रिया के बाद मरीज को घर भेज दिया जाएगा। इससे आने वाले दिनों में कैंसर, घुटनों में दर्द आदि बताने वाले मरीजों को इस दर्द से निजात मिल पाएगी।

रेडियो फ्रिकवेंसी एब्लेजर तकनीक क्या है?

रेडियो फ्रिकवेंसी मशीन एक तरह से अल्ट्रासाउंड जैसी होती है। इसके जरिए जिस स्थान पर दर्द होता है। उसके लिए जिम्मेदार नस की पहचान की जाएगी। फिर वहां एक खास तरह की निडिल से जाकर दर्द पहुंचाने वाली नस किस सेल को जला देती है यह 2 घंटे की प्रक्रिया होगी। इसका असर शुरू में नहीं दिखता। एक बार सूजन आती है। लेकिन 3 दिन बाद कम होने लगती है। 15 दिन बाद मरीज को आराम मिलने लगता है। एक बार के प्रोसीजर से 6 से 8 महीने तक आराम रहता है। इसमें करीब 70 से 80% तक मरीजों को दर्द से राहत मिल जाती है।

बाइट- डॉ. सरिता सिंह, एनएसथीसियोलॉजी विभाग


Conclusion:एन्ड पीटीसी
शुभम पाण्डेय
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