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वाराणसी: हाईटेक होगा कबीर मठ, 'कबीर' खुद सुनाएंगे अपनी जीवन गाथा - हाईटेक होगा कबीर मठ

17 जून को कबीर का 622वां प्राकट्य उत्सव मनाए जाने की तैयारी है. इस बीच कबीर की कर्मभूमि यानी कबीरचौरा स्थित कबीर आदि मूल गादी मठ में हाईटेक तौर पर कबीर से लोगों को रूबरू कराने की तैयारी चल रही है.

कबीर मठ
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Published : Jun 15, 2019, 10:26 AM IST

वाराणसी: करीब 600 साल पहले लहरतारा तालाब के किनारे डलिया में मिले कबीर ने अपनी वाणी, अपने दोहों के बल पर एक अलग ही छाप छोड़ी है. आज भी कबीर प्रसांगिक हैं और उन्हें लोग पढ़ते हैं. 17 जून को कबीर का 622वां प्राकट्य उत्सव मनाए जाने की तैयारी वाराणसी में चल रही है. इस बीच कबीर की कर्मभूमि यानी कबीरचौरा स्थित कबीर आदि मूल गादी मठ में हाईटेक तौर पर 'कबीर' से लोगों को रूबरू कराने की तैयारी चल रही है.

मनाया जाएगा कबीर का 622वां प्राकट्य उत्सव.

कुछ इस तरह का होगा कबीर मठ-

  • कबीरा तेरी झोपड़ी गलकट्टो के बीच, जो करेगा वो भरेगा तू काहे होत उदास, यह दोहा कबीर ने खुद अपने उस कर्मभूमि के लिए लिखा जहां पर उनका बचपन बीता.
  • कबीर चौराहा स्थित कबीर मूल गादी मठ वह स्थान है जहां पर कबीर के पालनकर्ता नीरू और नीमा की समाधि मौजूद है.
  • लहरतारा तालाब के निकट जब नीरू और नीमा ने कबीर को पाया उसके बाद उनका पालन पोषण इसी स्थान पर रहकर किया गया.
  • यह स्थान उन कबीरपंथियों के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है जो कबीर को मानते हैं और उनकी राह पर चलते हैं.
  • यही वजह है कि लंबे वक्त से चल रही तैयारियों के बाद अब कबीर की कर्मभूमि के इस स्थान को कबीर स्मारक के तौर पर तैयार करने की तैयारी शुरू हो गई है.
  • लगभग 2 करोड रुपये से ज्यादा के बजट से कबीर साहब की इस कर्मभूमि को हाईटेक रूप दिया जाना है.
  • इसके लिए यहां पर एक हाईटेक झोपड़ी तैयार होगी, जिसमें कबीर के बचपन से जवानी और उनके जीवन के अंतिम समय तक की सारी कहानियों को 15 मिनट के अंदर दर्शाने की कोशिश की जाएगी.

कबीर मठ के महंत विवेक दास के अनुसार-

  • इस परिक्रमा पथ पर कबीर साहब के जीवन से जुड़ी तमाम जानकारियों के साथ इसे हाईटेक रूप देने की कोशिश की जा रही है.
  • दिल्ली और बनारस के बड़े आर्किटेक्ट ने झोपड़ी का नक्शा तैयार किया है.
  • कबीर स्मारक में तीन परिक्रमा पथ होंगे जो आध्यात्मिक मानसिक व दैहिक स्थितियों के प्रतीक होंगे.
  • दो झोपड़ियों में से एक झोपड़ी में कबीर का चरखा चलेगा, जबकि दूसरे में कबीर से जुड़ी तमाम चीजें मौजूद रहेंगी.
  • 10 मीटर पहले से ही झोपड़ी में लगा सेंसर अपना काम करना शुरू कर देगा. चरखा खुद से चलने लगेगा.
  • सबसे बड़ी बात यह है कि 15 मिनट की एक वॉइस ओवर डॉक्यूमेंट्री इसके लिए तैयार की जा रही है जो इस झोपड़ी में लगाई जा रही.
  • जर्मनी की लाइटिंग के साथ यह प्ले होगी और खुद कबीर लोगों का स्वागत करेंगे और अपनी जीवन गाथा सुनाएंगे.

वाराणसी: करीब 600 साल पहले लहरतारा तालाब के किनारे डलिया में मिले कबीर ने अपनी वाणी, अपने दोहों के बल पर एक अलग ही छाप छोड़ी है. आज भी कबीर प्रसांगिक हैं और उन्हें लोग पढ़ते हैं. 17 जून को कबीर का 622वां प्राकट्य उत्सव मनाए जाने की तैयारी वाराणसी में चल रही है. इस बीच कबीर की कर्मभूमि यानी कबीरचौरा स्थित कबीर आदि मूल गादी मठ में हाईटेक तौर पर 'कबीर' से लोगों को रूबरू कराने की तैयारी चल रही है.

मनाया जाएगा कबीर का 622वां प्राकट्य उत्सव.

कुछ इस तरह का होगा कबीर मठ-

  • कबीरा तेरी झोपड़ी गलकट्टो के बीच, जो करेगा वो भरेगा तू काहे होत उदास, यह दोहा कबीर ने खुद अपने उस कर्मभूमि के लिए लिखा जहां पर उनका बचपन बीता.
  • कबीर चौराहा स्थित कबीर मूल गादी मठ वह स्थान है जहां पर कबीर के पालनकर्ता नीरू और नीमा की समाधि मौजूद है.
  • लहरतारा तालाब के निकट जब नीरू और नीमा ने कबीर को पाया उसके बाद उनका पालन पोषण इसी स्थान पर रहकर किया गया.
  • यह स्थान उन कबीरपंथियों के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है जो कबीर को मानते हैं और उनकी राह पर चलते हैं.
  • यही वजह है कि लंबे वक्त से चल रही तैयारियों के बाद अब कबीर की कर्मभूमि के इस स्थान को कबीर स्मारक के तौर पर तैयार करने की तैयारी शुरू हो गई है.
  • लगभग 2 करोड रुपये से ज्यादा के बजट से कबीर साहब की इस कर्मभूमि को हाईटेक रूप दिया जाना है.
  • इसके लिए यहां पर एक हाईटेक झोपड़ी तैयार होगी, जिसमें कबीर के बचपन से जवानी और उनके जीवन के अंतिम समय तक की सारी कहानियों को 15 मिनट के अंदर दर्शाने की कोशिश की जाएगी.

कबीर मठ के महंत विवेक दास के अनुसार-

  • इस परिक्रमा पथ पर कबीर साहब के जीवन से जुड़ी तमाम जानकारियों के साथ इसे हाईटेक रूप देने की कोशिश की जा रही है.
  • दिल्ली और बनारस के बड़े आर्किटेक्ट ने झोपड़ी का नक्शा तैयार किया है.
  • कबीर स्मारक में तीन परिक्रमा पथ होंगे जो आध्यात्मिक मानसिक व दैहिक स्थितियों के प्रतीक होंगे.
  • दो झोपड़ियों में से एक झोपड़ी में कबीर का चरखा चलेगा, जबकि दूसरे में कबीर से जुड़ी तमाम चीजें मौजूद रहेंगी.
  • 10 मीटर पहले से ही झोपड़ी में लगा सेंसर अपना काम करना शुरू कर देगा. चरखा खुद से चलने लगेगा.
  • सबसे बड़ी बात यह है कि 15 मिनट की एक वॉइस ओवर डॉक्यूमेंट्री इसके लिए तैयार की जा रही है जो इस झोपड़ी में लगाई जा रही.
  • जर्मनी की लाइटिंग के साथ यह प्ले होगी और खुद कबीर लोगों का स्वागत करेंगे और अपनी जीवन गाथा सुनाएंगे.
Intro:स्पेशल स्टोरी--

वाराणसी: कबीर का शहर बनारस जिसे अगर कबीर की आंखों से देखा जाए तो शायद कुछ अलग दिखाई देता है यही वजह है कि लगभग 600 सालों से ज्यादा पहले जब कभी वाराणसी के लहरतारा तालाब के निकट प्रकट हुए तब शायद किसी को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उस वक्त का यह नन्हा सा बालक आने वाले कई सालों तक अपनी वाणी अपने दोहों और अपने कार्यों के बल पर एक अलग ही छाप छोड़ कर चला जाए यही वजह है कि आज भी कबीर प्रसांगिक है और उन्हें लोग पढ़ते हैं याद करते हैं 17 जून को कबीर का 622वा प्राकट्य उत्सव मनाए जाने की तैयारी वाराणसी में चल रही है इन सब के बीच कबीर की कर्मभूमि यानी कबीरचौरा स्थित कबीर आदि मूल गादी मठ में हाईटेक तौर पर कबीर से लोगों को रूबरू कराने की तैयारी चल रही है क्या है यह हाईटेक तरीका और कैसे यहां पहुंच कर आप हो पाएंगे कबीर से सीधे रूबरू जानिए खास खबर.

ओपनिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र


Body:वीओ-01 कबीरा तेरी झोपड़ी गलकट्टो के बीच, जो करेगा वो भरेगा तू काहे होत उदास, यह दोहा कबीर ने खुद अपने उस कर्मभूमि के लिए लिखा जहां पर उनका बचपन बीता वाराणसी के कबीर चौराहा स्थित कबीर मूल गादी मठ का वह स्थान जहां पर आज कबीर के पालनकर्ता नीरू और नीमा की समाधि मौजूद है लहरतारा तालाब के निकट जब नीरू और नीमा ने कबीर को पाया उसके बाद उनका पालन पोषण इसी स्थान पर रहकर किया गया जिसके बाद यह स्थान उन कबीरपंथियों के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है जो कबीर को मानते हैं और उनकी राह पर चलते हैं. यही वजह है कि लंबे वक्त से चल रही तैयारियों के बाद अब कबीर की कर्मभूमि के इस स्थान को कबीर स्मारक के तौर पर तैयार करने की तैयारी शुरू हो गई है काम जोर शोर से चल रहा है लगभग 2 करोड रुपए से ज्यादा के बजट से कबीर साहब की इस कर्मभूमि को हाईटेक रूप दिया जाना है इसके लिए यहां पर एक हाईटेक झोपड़ी तैयार होगी जिसमें कबीर के बचपन से जवानी और उनके जीवन के अंतिम समय तक की सारी कहानियों को 15 मिनट के अंदर दर्शाने की कोशिश की जाएगी.


Conclusion:वीओ-02 कबीर साहब के जीवन को हाईटेक रूप में दर्शाने को लेकर चल रही तैयारियों के बाबत ईटीवी से खास बातचीत में कबीर मठ के महंत विवेक दास ने बताया कि इस परिक्रमा पथ पर कबीर साहब के जीवन से जुड़ी तमाम जानकारियों के साथ इसे हाईटेक रूप देने की कोशिश की जा रही है दिल्ली और बनारस के बड़े आर्किटेक्ट ने झोपड़ी का नक्शा तैयार किया है कबीर स्मारक में तीन परिक्रमा पथ होंगे जो आध्यात्मिक मानसिक व दैहिक स्थितियों के प्रतीक होंगे दो झोपड़ियों में से एक झोपड़ी में कबीर का चरखा चलेगा जबकि दूसरे में कबीर के रहने से जुड़ी तमाम चीजें मौजूद रहेंगे 10 मीटर पहले से ही झोपड़ी में लगा सेंसर किसी के आने से पहले अपना काम करना शुरू कर देगा चरखा खुद से चलने लगेगा खिड़कियां खुद से खुलेंगे अंदर रखी उस वक्त की ढिबरी की रोशनी में लोग कबीर के जीवन से जुड़ी चीजों के दर्शन कर पाएंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि 15 मिनट की एक वॉइस ओवर डॉक्यूमेंट्री इसके लिए तैयार की जा रही है जो इस झोपड़ी में लगाई जा रही जर्मनी की लाइटिंग के साथ प्ले होंगी और खुद कबीर लोगों का स्वागत करेंगे अपने घर में और कबीर के दोहे और अमृतवाणी यों के साथ लोग इस जहां में पूरी तरह से ध्यान मग्न हो जाए इसकी पूरी तैयारी हो चुकी है और काम भी जोर शोर से चल रहा है यानी कुल मिलाकर अब कबीर की कर्मभूमि में हाईटेक तरीके से कबीर की स्मृतियों के साथ कभी खुद अपनी जीवन गाथा बताते लोगों को दिखेंगे.

बाईट- विवेक दास, महंत कबीर मठ

क्लोजिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र

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