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मथुरा: जवाहर बाग के सौंदर्यीकरण में मिलीं अनियमितताएं

यूपी के मथुरा के जवाहर बाग को पर्यटन की दृष्टि से तैयार करने की योजना बनाई थी. उसके बाद से ही जवाहर बाग में करोड़ों रुपए की लागत से सौंदर्यीकरण का कार्य कराया जा रहा था. जब ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ निर्माण कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे तो कई खामियां निर्माण कार्य में मिलीं.

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जवाहर बाग के सौंदर्यीकरण में मिली अनियमितताएं
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Published : Jun 17, 2020, 5:23 PM IST

मथुरा: 2 जून 2016 को तथाकथित सत्याग्रहियों से जवाहर बाग को मुक्त कराने के दौरान तो पुलिस अधिकारियों की जान चली गई थी और भारी नुकसान भी हुआ था. इसके बाद प्रदेश सरकार ने जवाहर बाग को पर्यटन की दृष्टि से तैयार करने की योजना बनाई थी. इसमें करोड़ों रुपए की योजना पर जवाहर बाग में सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है. सौंदर्यीकरण के काम का निरीक्षण करने ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नागेंद्र प्रताप जवाहर बाग पहुंचे. उनको निरीक्षण के दौरान निर्माण कार्य में कई खामियां मिलीं, जिसके बाद इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है.

4 वर्ष पूर्व हुए बहुचर्चित जवाहर बाग कांड में जवाहर बाग को मुक्त कराने के दौरान एसपी सिटी और एक थाना अध्यक्ष की जान चली गई थी. जवाहर बाग पर कब्जा और फिर यहां हुई हिंसा ने इसे सुर्खियों में ला दिया था. जवाहर बाग खाली होने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा जवाहर बाग को पर्यटन की दृष्टि से तैयार करने की योजना बनाई गई थी. इसी योजना के तहत करोड़ों रुपए की योजना पर जवाहर बाग में सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है.

सरकारी निर्माण एजेंसियों की कार्यप्रणाली के चलते अभी तक सौंदर्यीकरण का कार्य पूरा नहीं हो पाया है. राजकीय निर्माण निगम के बाद जल निगम द्वारा किए जा रहे कार्य में भी निर्धारित मानकों के आधार पर काम नहीं हो रहा है. निर्माण के कुछ दिनों बाद ही मुख्य द्वार की दीवारों सहित कई जगह दरारें आ गई हैं. जवाहर बाग में शुरुआती सौंदर्यीकरण का कार्य राजकीय निर्माण निगम द्वारा किया गया था. निर्माण कार्य की घटिया गुणवत्ता पर शासन ने निर्माण एजेंसी के रूप में यह दायित्व जल निगम को दे दिया था.

जब सौंदर्यीकरण के कार्य का निरीक्षण करने के लिए ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नागेंद्र प्रताप पहुंचे तो उन्हें निर्माण कार्य में कई खामियां मिलीं. रास्ते में लगाए गए पत्थर जगह-जगह धसे मिले. पत्थरों का आकार एक जैसा नहीं मिला, उनके बीच में काफी जगह मिली. विद्युत पोलों की भी स्थिति संतोषजनक नहीं मिली. कई स्थानों पर लगाए गए पत्थर जगह छोड़ रहे हैं. पूर्व में दिए गए दिशा-निर्देशों के बाद भी कार्य में सुधार नहीं किया गया. रिपोर्ट मिली खामियों के आधार पर शासन को भेज दी गई है.

मथुरा: 2 जून 2016 को तथाकथित सत्याग्रहियों से जवाहर बाग को मुक्त कराने के दौरान तो पुलिस अधिकारियों की जान चली गई थी और भारी नुकसान भी हुआ था. इसके बाद प्रदेश सरकार ने जवाहर बाग को पर्यटन की दृष्टि से तैयार करने की योजना बनाई थी. इसमें करोड़ों रुपए की योजना पर जवाहर बाग में सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है. सौंदर्यीकरण के काम का निरीक्षण करने ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नागेंद्र प्रताप जवाहर बाग पहुंचे. उनको निरीक्षण के दौरान निर्माण कार्य में कई खामियां मिलीं, जिसके बाद इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है.

4 वर्ष पूर्व हुए बहुचर्चित जवाहर बाग कांड में जवाहर बाग को मुक्त कराने के दौरान एसपी सिटी और एक थाना अध्यक्ष की जान चली गई थी. जवाहर बाग पर कब्जा और फिर यहां हुई हिंसा ने इसे सुर्खियों में ला दिया था. जवाहर बाग खाली होने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा जवाहर बाग को पर्यटन की दृष्टि से तैयार करने की योजना बनाई गई थी. इसी योजना के तहत करोड़ों रुपए की योजना पर जवाहर बाग में सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है.

सरकारी निर्माण एजेंसियों की कार्यप्रणाली के चलते अभी तक सौंदर्यीकरण का कार्य पूरा नहीं हो पाया है. राजकीय निर्माण निगम के बाद जल निगम द्वारा किए जा रहे कार्य में भी निर्धारित मानकों के आधार पर काम नहीं हो रहा है. निर्माण के कुछ दिनों बाद ही मुख्य द्वार की दीवारों सहित कई जगह दरारें आ गई हैं. जवाहर बाग में शुरुआती सौंदर्यीकरण का कार्य राजकीय निर्माण निगम द्वारा किया गया था. निर्माण कार्य की घटिया गुणवत्ता पर शासन ने निर्माण एजेंसी के रूप में यह दायित्व जल निगम को दे दिया था.

जब सौंदर्यीकरण के कार्य का निरीक्षण करने के लिए ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नागेंद्र प्रताप पहुंचे तो उन्हें निर्माण कार्य में कई खामियां मिलीं. रास्ते में लगाए गए पत्थर जगह-जगह धसे मिले. पत्थरों का आकार एक जैसा नहीं मिला, उनके बीच में काफी जगह मिली. विद्युत पोलों की भी स्थिति संतोषजनक नहीं मिली. कई स्थानों पर लगाए गए पत्थर जगह छोड़ रहे हैं. पूर्व में दिए गए दिशा-निर्देशों के बाद भी कार्य में सुधार नहीं किया गया. रिपोर्ट मिली खामियों के आधार पर शासन को भेज दी गई है.

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