मऊ : प्रदूषण के लगातार बढ़ते खतरे और ठंड में सांस और अस्थमा के रोगियों को और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है. प्रदूषण उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है. यह समय सांस के मरीजों के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है. इस दौरान उन्हें कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है. कोरोना संक्रमण के दौरान त्योहार को लेकर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने लोगों से सावधान रहने की अपील की है.
सावधानी के साथ मनाएं त्योहार
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीश चंद्र सिंह ने बताया कि सर्दियों में कोविड-19 के साथ-साथ प्रदूषण से भी बचने की जरूरत है. ऐसा पाया जा रहा है कि प्रदूषण के कारण वायरस के फैलने का खतरा बढ़ रहा है. सर्दियों में सांस से जुड़ी बीमारियां भी बढ़ती हैं और दमा के अटैक भी बढ़ जाते हैं. इसलिए इन बीमारियों के रोगी दवाओं का खास ध्यान रखें. समय पर दवा नहीं लेने से समस्या गंभीर हो सकती है. वहीं लक्षण दिखने पर कोरोना की जांच अवश्य कराएं. अगर ऐसे में कोविड-19 हुआ तो परिवार के दूसरे लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर विश्व में अन्य देशों की अपेक्षा भारत की स्थिति अभी तक बेहतर है. सर्दियों में सांस से जुड़ी हुई बीमारियां अधिक होती हैं और मौसमी बुखार और सर्दी के लक्षण पहचानना मुश्किल होता है, क्योंकि उनके लक्षणों में एकदम समानता होती है.
मास्क का इस्तेमाल जरुर करें
उन्होंने बताया कि सर्दियों में बुजुर्गों और अस्थमा के रोगियों के फेफड़े पूरी तरह से काम नहीं करते. ऐसे में उनकी परेशानी ठंड में काफी बढ़ जाती है. साथ में दिल के रोगियों का भी खतरा बढ़ जाता है. प्रदूषण का भी स्तर सर्दी में काफी अधिक होता है. ऐसे में मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है. इस दौरान बाहर जाने से पहले मास्क लगाना न भूलें.
कोरोना संक्रमण का खतरा
डॉ सतीश चन्द्र सिंह का कहना है कि हर साल अक्टूबर से नवंबर तक अस्थमा के मरीजों की संख्या अधिक रहती है. कोरोना सीधे फेफड़ों पर अटैक करता है. कोरोना अस्थमा और हृदय रोगियों को अधिक प्रभावित करता है. इस बार कोरोना के चलते हालात काफी चुनौतीपूर्ण हैं. इसलिए लोगों को समझना होगा कि खतरा जानलेवा है. इस बार ठंड में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है इसलिए जरूरी है कि त्यौहारों की खुशियां अपनों के बीच मनाएं और यह भी समझें कि इस बार पटाखे नहीं जलाने से खुशियां कम नहीं हो जाएंगी. कोरोना काल में एक बात यह अच्छी निकलकर आ रही है कि जो लोग तंबाकू, गुटका, खैनी, सिगरेट आदि का सेवन करते थे, अब मास्क के चलते वह उसे छोड़ रहे हैं. संक्रमण और बार-बार फेस कवर उतारने के डर से भी अब वह इस ओर से मुंह मोड़ रहे हैं. यह भी एक सकारात्मक बदलाव समाज में देखने को मिला है.