आगरा: 'मन के हारे हार है और मन के जीते जीत' ये लाइन बिजली विभाग से रिटायर्ड इंजीनियर अशोक फौजदार पर एकदम सटीक बैठती है. अशोक के हाथों की अंगुलियां नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद उनके हाथों की कलाकारी देखकर आप दंग रह जाएंगे. एक हादसे में अपने दोनों हाथों की अंगुलियां गवां चुके अशोक ने हिम्मत नहीं हारी और विल पावर से हाथों को हुनरमंद बनाया. बेकार लकड़ी हो या खुरदरा पत्थर, अशोक के हाथ जब छेनी, हथौड़ी और आरी से उन्हें मनमोहक स्वरूप देते हैं, तो देखने वाले दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो जाते हैं.
लकड़ी और पत्थर को देते हैं स्वरूप
अशोक की जिंदगी का शौक बस एक ही है, वह लकड़ी और पत्थर को ऐसा स्वरूप देते हैं कि वह उपहार बन जाता है. वह कभी पेड़ की टहनी और जड़ों से सांप बनाते हैं तो कभी भगवान का स्वरूप देते हैं. इतना ही नहीं सड़क किनारे पड़े पत्थरों को भी मूर्तियां और किसी अन्य प्रकार के आकार में डालकर उसे बहुत ही आकर्षक बना देते हैं.
नहीं मरने दिया जुनून
हादसे के बाद जब अशोक फौजदार अस्पताल से घर लौटे तो उन्होंने अपने जुनून को मरने नहीं दिया. उन्होंने कुछ नया करने की अपनी जिद को जिंदा रखा. लगातार अभ्यास और लगन से उनके हाथों को वह हुनर मिला, जिसका आज हर कोई कायल है. शुरुआत में अशोक को लकड़ी या पत्थर को हाथ से थामने में दिक्कत होती थी. लकड़ी और पत्थरों को तराशने में कभी छैनी हाथ से छूट जाती तो कभी आरी अटक जाती थी, मगर उन्होंने हार नहीं मानी. हालात बदले और फिर हाथों के इशारों पर छैनी, हथौड़ी, आरी और अन्य औजार ने नाचना शुरू कर दिया. अशोक का कहना है कि अब जब मैं लकड़ी और पत्थर पर कारीगरी करता हूं तो मुझे अहसास ही नहीं होता कि मेरे हाथों में अंगुलियां नहीं हैं.
कई बार मिल चुका है ऑफर
अशोक का कहना है कि उनके बनाए हुए सामान को लोग खरीदने की बात कहते हैं तो वह इनकार कर देते हैं. उनका कहना है कि कई प्रोफेशनल लोग भी उन्हें अपने साथ जोड़ने के लिए मिल चुके हैं, लेकिन उन्होंने उन ऑफरों को भी स्वीकार नहीं किया है.
परिवार का मिला सहयोग
अशोक फौजदार का कहना है कि अपनी प्रैक्टिस और परिवार के सपोर्ट से ही वो यहां तक पहुंचे हैं. अशोक का कहना है कि पत्नी, बेटा, बहू और बेटी उन्हें प्रोत्साहित करते हैं और मदद भी करते हैं.
ऐसे खोईं थी हाथों की अंगुलियां
आगरा के हरीश नगर पश्चिम पुरी निवासी अशोक फौजदार (73) बिजली विभाग से रिटायर हैं. 2001 में पानी से भरे हुए खेत में बिजली के तार टूटे थे, जिन्हें वह हटा रहे थे. इसी बीच अचानक तारों में करंट आ गया और उनके दोनों हाथ की अंगुलियां कट गईं. हादसे के बाद अशोक को दो दिन बाद होश आया था.