लखनऊ: पूरे देश को हिला देने वाले चमकी बुखार ने कई परिवारों के आंगन को सूना कर दिया. बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. स्वास्थय विभाग बिल्कुल लाचार नजर आ रहा है, लेकिन कुछ साल पहले लखनऊ के डॉक्टर जीके सिंह की बात मान ली गई होती तो शायद इन मासूमों की जान को बचाया जा सकता था.
डॉ. जीके सिंह ऑर्थोपेडिक विभाग केजीएमयू में तैनात थे. इसके बाद साल 2011 में उन्होंने पटना एम्स के निदेशक के तौर पर कार्यभार संभाला. इस दौरान वहां चमकी बुखार की त्रासदी को उन्होंने देखकर इस पर रिसर्च शुरू की. हर साल हजारों मासूमों को चपेट में लेने वाली इस बीमारी के अध्ययन के बाद डॉ. जीके सिंह ने इस बीमारी से बचने के कुछ सुझाव दिए थे.
चमकी बुखार पर काबू पाने के लिए किया काम
डॉ. जीके सिंह ने इस बीमारी को रोकने की दिशा में बहुत काम किया है. उन्होंने बिहार में चमकी बुखार के प्रकोप से निजात पाने के लिए एक प्लान तैयार किया था. उन्होंने बताया कि प्रति वर्ष 1997 से आज तक चमकी बुखार से ग्रसित 15 वर्ष से कम आयु वाले 1 हजार बच्चों को होने वाले संक्रमण को विफल करने की कोशिशें चल रही है, लेकिन अभी तक सफलता नहीं प्राप्त हो पाई है. इन 20 वर्षों में की गई हर एक कोशिश के बावजूद हर साल 5 हजार बच्चे इस बीमारी से संक्रमित और 3 हजार प्रतिवर्ष विकलांग हो रहे हैं. उनका कहना है कि चमकी बुखार के संक्रमण को पकड़ने के लिए आपदा विज्ञान (एपिडेमियोलॉजी) के मूल सिद्धांत का प्रयोग नहीं किया गया.
पटना एम्स में चमकी बुखार के संक्रमण का किया था आकलन
डॉ. जीके सिंह ने बताया कि एम्स पटना के निदेशक के तौर पर साल 2012 में चमकी बुखार के संक्रमण का आंकलन की कोशिश की गई थी. इस अध्ययन के बाद सामने आया था कि यूपी में सरयू नदी के दक्षिण स्थित जिले चमकी बुखार से बचे हुए हैं. इसका मतलब साफ है कि संक्रमण सरयू पार नहीं कर पा रहा है. इससे इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि कि सरयू की उत्तरी धारा में तैरता हुआ संक्रमण मझधार पार नहीं कर पा रहा है.
नीतीश कुमार को दी थी सलाह
उन्होंने बताया कि उत्तर के जल का सौंच में प्रयोग से धारा में आया संक्रमण नीचे रहने वालों को संक्रमित करता है. जब इस बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उन्होंने बताया कि यदि सरयू नदी में हम किसी भी तरह बैरियर उत्पन्न कर दें तो उत्तर दिशा में बहकर आने वाले संक्रमण को हम निष्प्रभावी कर सकते हैं. इससे बिहार के जिलों में आने वाले संक्रमण को रोका जा सकेगा. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्लान पर विचार करने की बजाय साल 2015 में स्वच्छ जल और साबुन से हाथ धोने की एक मुहिम शुरू की. यूनिसेफ की मदद से चलाए गए इस अभियान के बाद मुजफ्फरपुर जिले में साल 2015 में संक्रमितों की संख्या 1347 और 2016 में 70 से भी कम रह गई.