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बाराबंकी : आश्रय स्थल ही बन रहे बेजुबानों की मौत का कारण

सरकार ने छुट्टा जानवरों के लिए आश्रय स्थल बनाने के निर्देश दिए. जिसके लिए आनन-फानन में इनका निर्माण कर जानवरों को यहां रख दिया गया. वहीं आश्रय स्थल में पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते अब यहां रह रहे जानवर दम तोड़ने लगे हैं.

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Published : May 10, 2019, 10:30 AM IST

बाराबंकी : बेसहारा और छुट्टा जानवरों के लिए बनवाये गए आश्रय स्थल अब इनके लिए मौत के घर साबित होने लगे हैं. पिछले तीन महीनों में तकरीबन 50 बेजुबानों ने दम तोड़ दिया है. ये हाल केवल एक केंद्र का है. कमोबेश कुछ ऐसा ही हाल दूसरे केंद्रों का भी है. महज सूखे भूसे के सहारे आश्रय स्थल में जी रहे जानवरों पर अब तेज धूप से की भी दोहरी मार पड़ रही है.

जानकारी देते आश्रय स्थल में काम करने वाले कर्मचारी.
  • जिन्हौली गांव में 10 फरवरी को पशु आश्रय स्थल की शुरुआत हुई थी.
  • इसमें शहर और नगरपालिका सीमा के 211 गौवंशों को पकड़कर यहां बन्द किया गया था.
  • शासन के निर्देश पर आनन-फानन ये आश्रयस्थल जरूर बन गए, लेकिन इनमें पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई.
  • बस कागजी काम पूरा करते हुए जानवरों को यहां लाकर ठूंस दिया गया.
  • वहीं सूखे भूसे के सहारे जी रहे बेजुबान जानवर आखिरकार दम तोड़ने लगे.
  • आज हालत यह है कि 50 जानवरों की मौत हो चुकी है. कागजों में 211 बेसहारा लाये गए थे और आज 160 बचे हैं.

ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारों को इसकी खबर नहीं दी गई. शुरूआत के दिनों से ही यहां ड्यूटी कर रहे सोहनलाल बताते हैं कि कई बार कहा गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई.

बाराबंकी : बेसहारा और छुट्टा जानवरों के लिए बनवाये गए आश्रय स्थल अब इनके लिए मौत के घर साबित होने लगे हैं. पिछले तीन महीनों में तकरीबन 50 बेजुबानों ने दम तोड़ दिया है. ये हाल केवल एक केंद्र का है. कमोबेश कुछ ऐसा ही हाल दूसरे केंद्रों का भी है. महज सूखे भूसे के सहारे आश्रय स्थल में जी रहे जानवरों पर अब तेज धूप से की भी दोहरी मार पड़ रही है.

जानकारी देते आश्रय स्थल में काम करने वाले कर्मचारी.
  • जिन्हौली गांव में 10 फरवरी को पशु आश्रय स्थल की शुरुआत हुई थी.
  • इसमें शहर और नगरपालिका सीमा के 211 गौवंशों को पकड़कर यहां बन्द किया गया था.
  • शासन के निर्देश पर आनन-फानन ये आश्रयस्थल जरूर बन गए, लेकिन इनमें पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई.
  • बस कागजी काम पूरा करते हुए जानवरों को यहां लाकर ठूंस दिया गया.
  • वहीं सूखे भूसे के सहारे जी रहे बेजुबान जानवर आखिरकार दम तोड़ने लगे.
  • आज हालत यह है कि 50 जानवरों की मौत हो चुकी है. कागजों में 211 बेसहारा लाये गए थे और आज 160 बचे हैं.

ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारों को इसकी खबर नहीं दी गई. शुरूआत के दिनों से ही यहां ड्यूटी कर रहे सोहनलाल बताते हैं कि कई बार कहा गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई.

Intro:बाराबंकी,10 मई । बेसहारा और छुट्टा जानवरों के लिए बनवाये गए आश्रय स्थल अब इनके लिए मौत के घर साबित होने लगे हैं । कम से कम बाराबंकी के तो यही हाल है जहाँ तीन महीनों में तकरीबन 50 बेजुबानों ने दम तोड़ दिया । ये हाल केवल एक केंद्र का है । कमोबेश कुछ ऐसा ही हाल दूसरे केंद्रों का भी है । महज सूखे भूसे के सहारे ये जियें तो कब तक और अब तेज धूप से इन पर दोहरी मार पड़ रही है ।लिहाजा एक एक कर ये रोजाना दम तोड़ते जा रहे है । धधकती टीन के नीचे एक पल भी बिताना मुहाल है । पेश है बाराबंकी से इन बेजुबानों की दर्द भरी अलीम शेख की ये एक्सक्लुसिव रिपोर्ट....




Body:
वीओ- ये है नगर सीमा के जिन्हौली गांव में बना पशु आश्रय स्थल । पिछली 10 फरवरी से इसकी शुरुआत हुई । शहर और नगरपालिका सीमा के 211 गौवंशों को पकड़कर यहां बन्द किया गया था। शासन के निर्देश पर आनन फानन ये आश्रयस्थल जरूर बन गया लेकिन पर्याप्त व्यवस्था नही की गई । बस कागजी कोरम पूरा करते हुए इन्हें यहां लाकर जैसे ठूंस दिया गया हो । महज सूखे भूसे के सहारे ये बेजुबान आखिर जियें भी तो कब तक । लिहाजा एक एक कर ये मरने लगे और हालत ये हो गई कि आज तक करीब 50 बेजुबानों की मौत हो चुकी है । कागजो में 211 बेसहारा लाये गए थे और आज 160 बचे हैं । सूखा भूसा और वो भी चिलचिलाती धूप में खड़े होकर आखिर ये खाएं तो कैसे । इनकी हालत देखिये खाने के अभाव में शरीर टूट रहा है । हड्डियां नज़र आने लगी हैं । ऐसा भी नही की जिम्मेदारों को इसकी खबर नही दी गई । शुरू दिन से यहां ड्यूटी कर रहे सोहनलाल बताते है कि कई बार कहा गया लेकिन कोई सुनवाई नही हुई ।
बाईट- सोहनलाल ,तैनात कर्मचारी
बाईट- ननकऊ , कर्मचारी
पीटीसी - अलीम शेख






Conclusion:रिपोर्ट- अलीम शेख बाराबंकी
9839421515
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