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बलरामपुर: किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर भरी हुंकार - up news

किसान को अन्नदाता का तमगा हासिल है इसके बावजूद तंगी का शिकार रहता है. अजीब विडंबना है कि किसानों के मसले को सुलझाने के बजाय इन पर मुआवजे का मरहम लगाया जाता है.

किसानों का धरना-प्रदर्शन.
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Published : Feb 20, 2019, 8:36 AM IST

बलरामपुर:जिले के उतरौला तहसील परिसर में किसानों ने भारतीय किसान मंच की अगुवाई में विशाल धरना प्रदर्शन किया.इस दौरान किसान नेताओं के साथ साथ इलाके के सैकड़ों किसानभी अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर सरकार के खिलाफ रोष में दिखे.नेताओं ने मंच से किसानों और जनता से यह आह्वान किया कि जब तक किसानों के हितों को सरकार समझना नहीं शुरू करेंगे,तब तक ऐसे ही आंदोलनरत रहेंगे. इस दौरान सरकार की नीतियों के विरोध में खूब नारेबाजी की गई और उसे कुंभकरणी नींद से जगाने का प्रयास किया गया. मतलब बिल्कुल साफहै..

मेरी बदहाली को हर अखबार कहता है, वो मुझे भारत का किसान कहता है

किसानों का धरना-प्रदर्शन.

सरकार की नीतियों के विरोधऔर किसानों के हित में आवाज उठाने के लिए यह प्रदर्शन आयोजित किया की गया था. इस सभा में सबसे पहले पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उसके बाद किसानों के हितों की बात शुरू हुई. किसानों की बात करते हुए तमाम नेताओं ने अपने अपने तर्क दिए और सरकारों के ढुलमुल रवैया को उजागर किया. मंच से यह कहा गया कि किसानों कि आय को अगर वास्तव में दोगुना करना है,तब सरकार को सबसे पहले सिंचाई, खाद और बिजली जैसी सुविधाओं को विकसित करना होगा.

किसान नेता चंद्र प्रकाश पांडे ने कहा कि सरकार की नीतियां किसान को विकास देने वाली नहीं बल्कि विकास विरोधी हैं. सरकार दावे तो खूब करती है लेकिन जमीन पर उनके दावे उतरते नहीं दिखते.

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बलरामपुर:जिले के उतरौला तहसील परिसर में किसानों ने भारतीय किसान मंच की अगुवाई में विशाल धरना प्रदर्शन किया.इस दौरान किसान नेताओं के साथ साथ इलाके के सैकड़ों किसानभी अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर सरकार के खिलाफ रोष में दिखे.नेताओं ने मंच से किसानों और जनता से यह आह्वान किया कि जब तक किसानों के हितों को सरकार समझना नहीं शुरू करेंगे,तब तक ऐसे ही आंदोलनरत रहेंगे. इस दौरान सरकार की नीतियों के विरोध में खूब नारेबाजी की गई और उसे कुंभकरणी नींद से जगाने का प्रयास किया गया. मतलब बिल्कुल साफहै..

मेरी बदहाली को हर अखबार कहता है, वो मुझे भारत का किसान कहता है

किसानों का धरना-प्रदर्शन.

सरकार की नीतियों के विरोधऔर किसानों के हित में आवाज उठाने के लिए यह प्रदर्शन आयोजित किया की गया था. इस सभा में सबसे पहले पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उसके बाद किसानों के हितों की बात शुरू हुई. किसानों की बात करते हुए तमाम नेताओं ने अपने अपने तर्क दिए और सरकारों के ढुलमुल रवैया को उजागर किया. मंच से यह कहा गया कि किसानों कि आय को अगर वास्तव में दोगुना करना है,तब सरकार को सबसे पहले सिंचाई, खाद और बिजली जैसी सुविधाओं को विकसित करना होगा.

किसान नेता चंद्र प्रकाश पांडे ने कहा कि सरकार की नीतियां किसान को विकास देने वाली नहीं बल्कि विकास विरोधी हैं. सरकार दावे तो खूब करती है लेकिन जमीन पर उनके दावे उतरते नहीं दिखते.

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Intro:जिले के उतरौला तहसील परिसर के गेट पर किसानों ने भारतीय किसान मंच की अगुवाई में विशाल धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान किसान नेताओं के साथ साथ इलाके के सैकड़ों लोग भी अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर सरकार के खिलाफ रोष में दिखे। नेताओं ने मंच से किसानों और जनता से यह आह्वान किया कि जब तक किसानों के हितों को सरकार समझना नहीं शुरू करेंगे। तब तक हम ऐसे ही आंदोलनरत रहेंगे। इस दौरान सरकार की नीतियों के विरोध में खूब नारेबाजी की गई और उसे कुंभकरणी नींद से जगाने का प्रयास किया गया।


Body:भारतीय किसान मंच की अगुवाई में किसान नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित के साथ साथ चंद्र प्रकाश पांडे के नेतृत्व में उतरौला के तहसील गेट के सामने एक विशाल धरना प्रदर्शन किया गया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में किसान मौजूद रहे। सरकार की नीतियों के विरोध में और किसानों के हित में आवाज उठाने के लिए आयोजित किया की गई। इस सभा में सबसे पहले पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उसके बाद किसानों के हितों की बात शुरू हुई।
किसानों की बात करते हुए तमाम नेताओं ने अपने अपने तर्क दिए और सरकारों के ढुलमुल रवैया को उजागर किया। मंच से यह कहा गया कि किसानों कि आय को अगर वास्तव में दुगना करना है। तो सरकारों को सबसे पहले सिंचाई, खाद और बिजली जैसी सुविधाओं को विकसित करना होगा। साथ में किसानों को किए जाने वाले दलों के भुगतान में तेजी और निष्पक्षता लानी होगी।


Conclusion:किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने किसानों की आवाज को उठाते हुए कहा कि सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं। सत्ता में आने के बाद सभी पार्टियां किसानों को भूल जाती हैं। सरकार ने गन्ने के भुगतान के लिए 14 दिन का समय मांगा था। लेकिन यह काम किसी भी सूरत में पूरा हो नहीं सका। इसके बाद सरकार ने वादा किया था कि अगर 14 दिनों के भीतर गन्ना किसानों को उनकी फसल का भुगतान नहीं मिलेगा तो उन्हें ब्याज भी दिया जाएगा। लेकिन चीनी मिलों और सरकारों के ढुलमुल रवैये के कारण किसान अपने भुगतान को लेकर आजतक परेशान है।
उन्होंने कहा कि गेहूं और धान खरीद केंद्रों पर एमएसपी और खरीद से संबंधित धांधलेबाजी लगातार सामने आती हैं। किसान को हर जगह ठगा जा रहा है।
वहीं, किसान नेता चंद्र प्रकाश पांडे ने कहा कि सरकार की नीतियां किसान को विकास देने वाली नहीं बल्कि विकास विरोधी हैं। सरकारी दावे तो खूब करती हैं। लेकिन जमीन पर उनके दावे उतरते दिखते नहीं। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार किसानों की बातों को मान नहीं लेंगी। तब तक हम जिला मुख्यालयों पर ऐसे ही प्रदर्शन करते रहेंगे।

(नोट - एफटीपी पर UP_BLP_YOGENDRA TRIPATHI_KISAAN MANCH DHRNA_VIDEO AND SCRIPT इस फ़ाइल नेम के साथ विजुअल प्रेषित है। कृपया संज्ञान लें।)
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