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आम के व्यापारियों में खुशी की लहर, आय दोगुनी होने की उम्मीद - गोरखपुर में आम के बागबानो के खिल उठे चेहरे

प्रदेश में पहली बारिश होते ही किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. बारिश की बूंदें आम के पेड़ों पर पड़ने से फलों में जैसे जान आ गई हो. जो कि आम के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है.

आम के व्यापारियों में खुशी की लहर
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Published : Jul 1, 2019, 2:38 PM IST

गोरखपुर: मौसमी फलों में रसीले आम का नाम जुबान पर आते ही मुंह में पानी आ आता है. आम को फलों का राजा भी कहा जाता है. जिले में आम की बागवानी करने वाले किसानों में बारिश होते ही खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. वहीं आम की बागवानी करने वाले किसान बेहतर उत्पादन कर अपनी आय को दोगुनी करने में जुटे हुए हैं.

बारिश आते ही आम के व्यापारियों में खुशी की लहर.

पहली बारिश से आमों की बढ़ी मिठास
गोरखपुर में मौसमी आमों का सीजन उफान पर है, जिसकी प्रमुख प्रजातियां दशहरी, चौसा, कपूरी और गवरजीत नगदी फसल के रूप में धूम मचा रही है. बारिश होते ही आम के फलों में मीठापन बढ़ जाता है. डालों पर तैयार फलों को बारिश का इंतजार था. बारिश की बूंदें जैसे ही आम के पेड़ों पर पड़ीं मानों फलों में जान आ गई, या यूं कहें कि आम की बागवानी करने वाले किसानों के सपनो में चार चांद लग गए. आम पकने और डाल से गिरना शुरु हो गए हैं.

बागों को किराये पर लेकर बागवानी करते हैं किसान
महानगर निवासी जमींदार स्वर्गीय जावेद अली सब्जपोस का 25 एकड़ का बड़ा बागीचा है, जिसको समपन्न किसान जीवलाल भाड़े पर लेकर आम की बागवानी करते हैं. इन दिनों बागीचे का नजारा देखते ही बन रहा है. विभिन्न प्रजातियों के आम के गुच्छे डालों सज कर बाग की शोभा बढ़ा रहे हैं, वहीं आम के ये गुच्छे शौकीनों को लुभाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

प्रदेश के मशहूर आम दशहरी की क्या है खासियत
दशहरी आम उत्तर प्रदेश का लोकप्रिय आम है. यह प्रदेश भर में आमों का राजा के नाम से जाना जाता है. इसकी मिठास सुगंधित और लाजवाब होती है. इसमे रेशे की मात्रा कम पाई जाती है. वहीं किसान बताते है कि हमारे बाग का नंबर एक आम दशहरी है, जो बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट होता है. वर्षा का पानी पाते ही पकने के बाद पेड़ों से टपकने लगता है. बाजारों में इसे टपका आम भी कहते है.

मक्खी और डस्सी आम के फलों को पहुंचाते हैं नुकसान
वर्षा होते ही फलों पर मक्खी और डस्सी जैसे कीटों का खतरा बढ़ जाता है, जिसके बचाव के लिए कीटनाशक का छिड़काव डालों पर करते हैं. इसके अलावा कौआ और गिलहरी भी फलों को नुकसान पहुंचाते हैं. जिसकी हिफाजत के लिए जाल लगाया जाता है, और तब खटका लगा कर उनको फंसाया जाता है, फिर उड़ा दिया जाता है.
जीवलाल, आम किसान


बाजार में किसका-कितना भाव
बाजार में दशहरी का थोक भाव 30 से 35 रुपये है, वहीं फुटकर 40 से 45 रुपये है. चौसा सबसे पिछड़ी फल है, जब वह तैयार होता है, तब सारे फल बाजार से खत्म हो जाते हैं, इस लिए चौसा महंगा बिकता है. थोक भाव में 50 से 60 और फुटकर में 80 से 90 रुपये में ये मिलते हैं, वहीं गवरजीत इस बाग का सबसे महंगा बिकने वाला आम है. यह अगैती का फल होने के कारण सबसे पहले तैयार होता है, और अच्छे दामों में बिक जाता है. इसका थोक भाव 60 से 70 रुपये और फुटकर भाव 80 से 90 रुपये है. वहीं ये 100 रुपये तक बाजारों में बिक जाता है. इसी तरह लंगड़ा, चौसा, तोतापरी और अल्फांसो है, ये प्रजातियां भी लोगों में बहुत पसंद की जाती हैं.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के उद्योग विशेषज्ञ डॉ. अजीत श्रीवास्तव ने बताया कि आम की चार प्रमुख प्रजातियां हैं, जिनकी अपनी एक अलग पहचान है. दशहरी उत्तर भारत में उगने वाली सबसे लोकप्रिय फसल है. यह मध्यम आकार का लंबा और हरे-पीले रंग का मीठा, गूदेदार, कड़ा और विशेष सुगंध से युक्त होता है. रेशा न होने के कारण इसे टुकड़ों में काट कर खाया जा सकता है. इसकी भंडारण क्षमता अधिक होती है. ये जून के तीसरे हफ्ते तक पकना शुरू हो जाता है.

गोरखपुर: मौसमी फलों में रसीले आम का नाम जुबान पर आते ही मुंह में पानी आ आता है. आम को फलों का राजा भी कहा जाता है. जिले में आम की बागवानी करने वाले किसानों में बारिश होते ही खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. वहीं आम की बागवानी करने वाले किसान बेहतर उत्पादन कर अपनी आय को दोगुनी करने में जुटे हुए हैं.

बारिश आते ही आम के व्यापारियों में खुशी की लहर.

पहली बारिश से आमों की बढ़ी मिठास
गोरखपुर में मौसमी आमों का सीजन उफान पर है, जिसकी प्रमुख प्रजातियां दशहरी, चौसा, कपूरी और गवरजीत नगदी फसल के रूप में धूम मचा रही है. बारिश होते ही आम के फलों में मीठापन बढ़ जाता है. डालों पर तैयार फलों को बारिश का इंतजार था. बारिश की बूंदें जैसे ही आम के पेड़ों पर पड़ीं मानों फलों में जान आ गई, या यूं कहें कि आम की बागवानी करने वाले किसानों के सपनो में चार चांद लग गए. आम पकने और डाल से गिरना शुरु हो गए हैं.

बागों को किराये पर लेकर बागवानी करते हैं किसान
महानगर निवासी जमींदार स्वर्गीय जावेद अली सब्जपोस का 25 एकड़ का बड़ा बागीचा है, जिसको समपन्न किसान जीवलाल भाड़े पर लेकर आम की बागवानी करते हैं. इन दिनों बागीचे का नजारा देखते ही बन रहा है. विभिन्न प्रजातियों के आम के गुच्छे डालों सज कर बाग की शोभा बढ़ा रहे हैं, वहीं आम के ये गुच्छे शौकीनों को लुभाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

प्रदेश के मशहूर आम दशहरी की क्या है खासियत
दशहरी आम उत्तर प्रदेश का लोकप्रिय आम है. यह प्रदेश भर में आमों का राजा के नाम से जाना जाता है. इसकी मिठास सुगंधित और लाजवाब होती है. इसमे रेशे की मात्रा कम पाई जाती है. वहीं किसान बताते है कि हमारे बाग का नंबर एक आम दशहरी है, जो बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट होता है. वर्षा का पानी पाते ही पकने के बाद पेड़ों से टपकने लगता है. बाजारों में इसे टपका आम भी कहते है.

मक्खी और डस्सी आम के फलों को पहुंचाते हैं नुकसान
वर्षा होते ही फलों पर मक्खी और डस्सी जैसे कीटों का खतरा बढ़ जाता है, जिसके बचाव के लिए कीटनाशक का छिड़काव डालों पर करते हैं. इसके अलावा कौआ और गिलहरी भी फलों को नुकसान पहुंचाते हैं. जिसकी हिफाजत के लिए जाल लगाया जाता है, और तब खटका लगा कर उनको फंसाया जाता है, फिर उड़ा दिया जाता है.
जीवलाल, आम किसान


बाजार में किसका-कितना भाव
बाजार में दशहरी का थोक भाव 30 से 35 रुपये है, वहीं फुटकर 40 से 45 रुपये है. चौसा सबसे पिछड़ी फल है, जब वह तैयार होता है, तब सारे फल बाजार से खत्म हो जाते हैं, इस लिए चौसा महंगा बिकता है. थोक भाव में 50 से 60 और फुटकर में 80 से 90 रुपये में ये मिलते हैं, वहीं गवरजीत इस बाग का सबसे महंगा बिकने वाला आम है. यह अगैती का फल होने के कारण सबसे पहले तैयार होता है, और अच्छे दामों में बिक जाता है. इसका थोक भाव 60 से 70 रुपये और फुटकर भाव 80 से 90 रुपये है. वहीं ये 100 रुपये तक बाजारों में बिक जाता है. इसी तरह लंगड़ा, चौसा, तोतापरी और अल्फांसो है, ये प्रजातियां भी लोगों में बहुत पसंद की जाती हैं.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के उद्योग विशेषज्ञ डॉ. अजीत श्रीवास्तव ने बताया कि आम की चार प्रमुख प्रजातियां हैं, जिनकी अपनी एक अलग पहचान है. दशहरी उत्तर भारत में उगने वाली सबसे लोकप्रिय फसल है. यह मध्यम आकार का लंबा और हरे-पीले रंग का मीठा, गूदेदार, कड़ा और विशेष सुगंध से युक्त होता है. रेशा न होने के कारण इसे टुकड़ों में काट कर खाया जा सकता है. इसकी भंडारण क्षमता अधिक होती है. ये जून के तीसरे हफ्ते तक पकना शुरू हो जाता है.

Intro:मौसमी फलों में रसीले आम का नाम जुबान पर आते ही मूंह में पानी भर जाता है. आम को फलो का राजा भी माना जाता है. जनपद के उत्तरी दिशा मे आम की बागवानी करने वाले किसानों में बारिश होते ही खुशियों की लहर दौड़ पड़ी. मौसमी आम के फलों पर पहली बारिश ने जान ही डाल दिया. जिससे आम की बागवानी करने वाले किसान बेहतर उत्पादन कर अपनी आय तो दुगुनी करने में जुटे है.

पिपराइच गोरखपुरः जनपद में मौसमी आम के फल का सीजन ऊफान पर है. जिसकी प्रमुख प्रजातियां दशहरी, चौसा, कपूरी और गवरजीत नगदी फसल के रूप में धूम मचा रही हैं। बारिश होते ही आम फलों में मीठापन बढ़ गया। डालों पर तैयार फलों को बारिश का इन्तजार था. बारिश की बूंदें जैसे ही आम के पेड़ पत्तों पर पड़ी वैसे ही फलों में जान पड़ गई. या यूं कहिए की आम के बागवानी करने वाले किसानों के सपनो में चारचांद लग गए. आम पकने और डालों से चूना शुरु हो गया.

&बाग भाड़े पर लेकर किसान बागवानी करते है किसान&

ब्रिटिश शासन काल के जमीदारों का खानदानी शाही आम का दर्जनों बगीचा आज भी पिपराइच क्षेत्र में पाए जाते है. महानगर निवासी जमींदार स्वर्गीय जावेद अली सब्जपोस का, जनपद मुख्यालय से करीब बीस किमी की दूरी पर जंगल माघी में 25 एकड़ का बड़ा बागीचा है जिसको सुविधान समपन्न किसान जीवलाल कुमार भाड़े पर ले कर आम की बागवानी करते है. इन दिनों बगीचे का नजारा देखते बन रहा है. विभिन्न प्रजातियों के आम के गुच्छे डालों सज कर बाग की शोभा तो बढ़ा ही रहे हैं वही शौकीनों को भी लुभाने में कोइ कोर कसर नही छोड़ रहे हैं. दरसल किसान जीवलाल कुमार मूल रूप से पिपराइच थाना क्षेत्र के जंगल छात्रधारी टोला शाहगंज के निवासी वाले हैं।Body:&प्रमुख वैरायटी की बढ़ रही मांग, अच्छे दामों में बिक रहे हैं आम&

वैसे तो उक्त बाग में आम के पेड़ दर्जनों प्रजातियों के पाए जाते हैं. जिसमें से प्रमुख 4 प्रजातियां हैं जो बाजारों में नकदी फसल के रूप में धूम मचाई रही
हैं. जिसके उत्पादन आय से किसान भी मालामाल हो रहे है. इन दिनों बाजार में उक्त बाग के आमों की बेहद मांग है. इस बाग में दशहरी प्रजाति के आम के सैकड़ों पेड़ लगे हैं जिसके डालो पर गुच्छेदार आम का नजारा भी मन को लुभा रहे है.

& प्रदेश का नंबर वन आम दशहरी क्या है खासियत&

दशहरी वैरायटी का आम उत्तर प्रदेश का लोकप्रिय नंबर वन आम है. यह प्रदेश भर के आमों में, राजा के नाम से प्रचलित है. इसकी मिठास सुगंधित लाजवाब होता है. इसकी उन्नत किस्म के फल में रेशे की मात्रा कम पाई जाती है. किसान जीवलाल बताते है कि हमारे बाग का नंबर वन आम दशहरी है. जिसका दाना छोटा बड़ा भी होता है. जो बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट होता है. दशहरी प्रजाति के आम का कुसली भी पतला होता है. वर्षा का पानी पाते ही पकने तथा स्वतः पेड़ों से टपकने लगता है. बाजारों जिसे टपका आम भी कहते है. प्रदेश में दशहरी की सर्वाधिक मांग है. लोग दशहरी.प्रजाति को काफी पसंन्द भी करते है.

&बाग का सबसे मीठा एवं महंगा आम गवरजीत&

किसान जीवलाल बताते हैं कि गवरजीत प्रजाति का आम बाग का सबसे महंगा आम है. गवरजीत अगैती फल है. जो बरसात के पहले ही पकने और चुने लगता है. इसका स्वाद बहुत ही मीठा होता है इसका दाना अण्डाकार औ छोटा होता है. और सबसे पहले पक कर तैयार भी हो जाता है. इसकी कुसली बेहद छोटी है। जीवलाल बताते है कि गवरजीत प्रजाति का आम सबसे अगैती फल होता है इस समय जिसका सीजन जाने वाला है. इसका टपका बाजारों में सबसे मंहगा बिकता है।Conclusion:&कपूरी प्रजाति का आम सबसे अधिक गूदेदार होता है&

लंगड़ा आम इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में कपूरी के नाम से भी जाना जाता है. पकने पर हरे रंग का, गूदा हल्का रेशेदार, सुवास युक्त व मीठे स्वाद का होता है। कपूरी वैरायटी का आम अगैती फल है. दशहरी के साथ ही ये भी पकने लगता है. इसका दाना गोलाकार और सबसे गुद्देदार मोटा होता है. इसकी मीठास वर्षा का पानी पाते ही बढ़ जाता है. बाजारों इसकी मांग खास तौर पर होती है.

&चौसा वैरायटी सबसे पिछैती फल&

चौसा आम देर से पकने वाली प्रजाति है यह जुलाई-अगस्त में पक कर तैयार होती है आमों में सबसे अधिक मीठा आम इसी प्रजाति का होता है इसके फल बड़े आकार के चुपटे अंडाकार जिसका रंग हरापन लिए हुए पीला गूदा मीठा व सुगंधित होता है. आमों की वैरायटी में चौसा आम का अपना एक अलग पहचान है. यह देर से पकने वाली प्रजाति है. जब बागीचे में सभी प्रजातियों के आम समाप्त होने के कागार पर होते है तब इस प्रजाति का आम पकना शुरु होता है. इसका जायका भी कुछ हट कर होता है. बारिश का पानी खाते खाते इसका स्वाद सबसे स्वादिष्ट हो जाता है।

&मक्खी और डंस्सी आम फल को पहूंचाते है नुकसान&

किसान जीवलाल बताते है कि वर्षा होते ही फलों पर मक्खी और डस्सी किटों का खतरा बढ जाता है जिसके बचाव के लिए कीटनाशक का प्रयोग डालों पर करते है. इसके अलवा कौआ पंक्षी भी फलों को नुकसान पहूंचाते है. फलों की हिफाजत के लिए जाल विछाया गया है. कौए जब परीशान कर देते है तब खटका लगा कर उनको फसाया जाता है फिर उड़ा दिया जाता है.

$बाजार में किसका-कितना भाव$

किसान जीवलाल बताते है कि सर्वोत्तम फल हम लोग बाग से ही थोक भाव में बेच देते है। व्यापारी व सौकीन लोग भी बागीचे में आते है और मनपसंद आमों की खरीदार कर लेजाते है।
बाजार में दशहरी का थोक भाव 30 से 35 रुपया है वही बाजारों में फुटकर 40 से 45 रुपया है. चौसा सबसे पिछड़ी फल है जब वह तैयार होता है तब सारे फल समाप्त हो जाते है इसलिए चौसा मंहगा बिकता है थोक भाव में 50 से 60 और फूटकर 80 से 90 रुपया बाजार में बिक्र होतो है। वही गवरजीत इस बाग का सबसे मंहगा बिकने वाला फल अगैती फल होने के नाते सबसे पहले तैयार होता है और अच्छे दामों में बिक जाता है। 60-70-80 रुपया थोक भाव और फूटकर 80-90-100 रुपया तक बाजारों में बिकता है.

&क्या कहते है विशेषज्ञ&

महायोगी महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के उद्योग विशेषज्ञ डॉक्टर अजीत श्रीवास्तव ने बताया कि आम की चार प्रमुख प्रजातियां है. जिसका अपना अपना एक अलग पहचान है।
दशहरी--उत्तर भारत में उगने वाली सबसे लोकप्रिय किस्म है. फल मध्यम आकार का लंबा रंग हरा पीला मीठा गूदा कड़ा तथा विशेष सुगंध युक्त होता है. रेशा रहित होने के कारण इसे टुकड़ों में काट कर खाया जाता है. इसकी भंडारण क्षमता अधिक होती है.जून के तृतीय सप्ताह तक पकना प्रारंभ होता है यह प्रजाति मध्य मौसम की प्रजाति है.
चौंसा- आम जुलाई-अगस्त में पक कर तैयार होती है. आमों में सबसे अधिक मीठ होता है. इसके फल बड़े आकार के चुपटे अंडाकार तथा रंग हरापन लिए हुए पीला गूदा मीठा व सुगंधित होता है. इसके फल मध्य जुलाई के आसपास तैयार होते हैं. इसकी भंडारण क्षमता मध्यम है इसके निर्यात की अच्छी संभावना है जब बाजार में अन्य आमों के आवक कम हो जाते हैं तब इस की आवक शुरू होती है
कपूरी--इसकी भंडारण क्षमता मध्यम लगभग 4 दिन की होती है यह अपनी खास मिठास के लिए जाना जाता है इसकी गुठली छोटी होती है और गुदा भरपूर होता है.

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