गोरखपुर: मौसमी फलों में रसीले आम का नाम जुबान पर आते ही मुंह में पानी आ आता है. आम को फलों का राजा भी कहा जाता है. जिले में आम की बागवानी करने वाले किसानों में बारिश होते ही खुशी की लहर दौड़ पड़ी है. वहीं आम की बागवानी करने वाले किसान बेहतर उत्पादन कर अपनी आय को दोगुनी करने में जुटे हुए हैं.
पहली बारिश से आमों की बढ़ी मिठास
गोरखपुर में मौसमी आमों का सीजन उफान पर है, जिसकी प्रमुख प्रजातियां दशहरी, चौसा, कपूरी और गवरजीत नगदी फसल के रूप में धूम मचा रही है. बारिश होते ही आम के फलों में मीठापन बढ़ जाता है. डालों पर तैयार फलों को बारिश का इंतजार था. बारिश की बूंदें जैसे ही आम के पेड़ों पर पड़ीं मानों फलों में जान आ गई, या यूं कहें कि आम की बागवानी करने वाले किसानों के सपनो में चार चांद लग गए. आम पकने और डाल से गिरना शुरु हो गए हैं.
बागों को किराये पर लेकर बागवानी करते हैं किसान
महानगर निवासी जमींदार स्वर्गीय जावेद अली सब्जपोस का 25 एकड़ का बड़ा बागीचा है, जिसको समपन्न किसान जीवलाल भाड़े पर लेकर आम की बागवानी करते हैं. इन दिनों बागीचे का नजारा देखते ही बन रहा है. विभिन्न प्रजातियों के आम के गुच्छे डालों सज कर बाग की शोभा बढ़ा रहे हैं, वहीं आम के ये गुच्छे शौकीनों को लुभाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
प्रदेश के मशहूर आम दशहरी की क्या है खासियत
दशहरी आम उत्तर प्रदेश का लोकप्रिय आम है. यह प्रदेश भर में आमों का राजा के नाम से जाना जाता है. इसकी मिठास सुगंधित और लाजवाब होती है. इसमे रेशे की मात्रा कम पाई जाती है. वहीं किसान बताते है कि हमारे बाग का नंबर एक आम दशहरी है, जो बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट होता है. वर्षा का पानी पाते ही पकने के बाद पेड़ों से टपकने लगता है. बाजारों में इसे टपका आम भी कहते है.
मक्खी और डस्सी आम के फलों को पहुंचाते हैं नुकसान
वर्षा होते ही फलों पर मक्खी और डस्सी जैसे कीटों का खतरा बढ़ जाता है, जिसके बचाव के लिए कीटनाशक का छिड़काव डालों पर करते हैं. इसके अलावा कौआ और गिलहरी भी फलों को नुकसान पहुंचाते हैं. जिसकी हिफाजत के लिए जाल लगाया जाता है, और तब खटका लगा कर उनको फंसाया जाता है, फिर उड़ा दिया जाता है.
जीवलाल, आम किसान
बाजार में किसका-कितना भाव
बाजार में दशहरी का थोक भाव 30 से 35 रुपये है, वहीं फुटकर 40 से 45 रुपये है. चौसा सबसे पिछड़ी फल है, जब वह तैयार होता है, तब सारे फल बाजार से खत्म हो जाते हैं, इस लिए चौसा महंगा बिकता है. थोक भाव में 50 से 60 और फुटकर में 80 से 90 रुपये में ये मिलते हैं, वहीं गवरजीत इस बाग का सबसे महंगा बिकने वाला आम है. यह अगैती का फल होने के कारण सबसे पहले तैयार होता है, और अच्छे दामों में बिक जाता है. इसका थोक भाव 60 से 70 रुपये और फुटकर भाव 80 से 90 रुपये है. वहीं ये 100 रुपये तक बाजारों में बिक जाता है. इसी तरह लंगड़ा, चौसा, तोतापरी और अल्फांसो है, ये प्रजातियां भी लोगों में बहुत पसंद की जाती हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के उद्योग विशेषज्ञ डॉ. अजीत श्रीवास्तव ने बताया कि आम की चार प्रमुख प्रजातियां हैं, जिनकी अपनी एक अलग पहचान है. दशहरी उत्तर भारत में उगने वाली सबसे लोकप्रिय फसल है. यह मध्यम आकार का लंबा और हरे-पीले रंग का मीठा, गूदेदार, कड़ा और विशेष सुगंध से युक्त होता है. रेशा न होने के कारण इसे टुकड़ों में काट कर खाया जा सकता है. इसकी भंडारण क्षमता अधिक होती है. ये जून के तीसरे हफ्ते तक पकना शुरू हो जाता है.