मेरठ: कोरोना महामारी के बीच जहां पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई है, वहीं देश के किसानों के लिए अच्छी खबर भी है. विश्व बाजार में भारतीय बासमती धान और चावल की मांग में किसी तरह की कमी नहीं आई है, बल्कि संभावना जताई जा रही है कि इस बार कोरोना काल में डिमांड और अधिक होने से इसका सीधा लाभ देश के किसानों को मिलेगा. विश्व बाजार में निर्यात बढ़ने की संभावना को देखते हुए बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान अभी से तैयारी में जुट गया है.
मानसून अच्छा रहने से उत्पादन में होगी बढ़ोतरी
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रभारी व प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. रितेश शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि इस बार मानसून अच्छा रहने के संकेत मिल रहे हैं. मानसून अच्छा रहने से निश्चित रूप से बासमती की फसल को इसका लाभ मिलेगा. धान का उत्पादन बढ़ने से जहां किसानों को लाभ होगा, वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बासमती चावल की डिमांड बढ़ने से भी देश के किसानों को इसका आर्थिक लाभ मिलेगा. इससे माना जा रहा है कि आने वाले समय में देश और विदेश दोनों जगह चावल की डिमांड बढ़ेगी. इसलिए देश के किसानों के लिए किसी तरह की परेशानी की बात नहीं है.
कोरोना संकट में खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि कोरोना महामारी के बीच अब दुनिया के सभी देश अपने यहां खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं. भारत सबसे बड़ा बासमती निर्यातक है ऐसे में सभी देश हमारी ओर देख रहे हैं. पिछले 3 महीने में भी बासमती की विश्व बाजार में किसी तरह की डिमांड में कमी देखने को नहीं मिली है. मांग लगातार बनी हुई है. पूरी दुनिया को अच्छी क्वालिटी का चावल उपलब्ध कराने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
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देश में भी बढ़ेगी चावल की डिमांड
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि लाॅकडाउन के कारण एक दूसरे राज्यों में हो रहे श्रमिकों के पलायन से भी देश में चावल की डिमांड बढ़ेगी. चावल भोजन की कमी को दूर करने में प्रमुख खाद्यान्न माना गया है, इसलिए आने वाले दिनों में न केवल विदेशों में बल्कि देश में भी चावल की डिमांड और अधिक होने की संभावना है.
वर्ष बासमती निर्यात
2018-19- 24919 करोड़ रुपये
2019-20- 23925 करोड़ रुपये (जनवरी 2020 तक)