गोरखपुर: नगर निगम बोर्ड के गठन के डेढ़ साल बाद भी वार्डों के अधिकांश हिस्सों में विकास कार्य न होने से पार्षद हंगामे पर उतर आए हैं. आलम यह है कि पार्षद नगर-निगम में नगर आयुक्त दफ्तर के सामने धरने पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि जब तक उनके वार्ड में जनता से जुड़ी समस्याओं के निराकरण और विकास कार्य के लिए कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल जाता वह धरने से उठने वाले नहीं है.
- गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र में कुल 70 वार्ड हैं.
- इनमें से 40 वार्डों के पार्षद धरने पर उतर आए हैं.
- पार्षद संघर्ष समिति के बैनर तले गोरखपुर पार्षदों ने एकजुट होकर धरना दिया.
- पार्षदों ने नगर आयुक्त कार्यालय पर अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
- इस धरने में कोई भी भाजपाई पार्षद शामिल नहीं है.
- सभी के सभी सपा, कांग्रेस, बसपा और निर्दलीय पार्षद है.
- पार्षदों का आरोप है कि निगम के अधिकारी विकास कार्यों में दोहरी नीति अपना रहे हैं.
- भाजपा पार्षदों के क्षेत्र में कुछ कार्य करा रहे हैं तो अन्य दलों के पार्षदों को विकास के लिए दौड़ा रहे हैं.
- पार्षदों का आरोप है कि निगम के अधिकारी विकास कार्यों में दोहरी नीति अपना रहे हैं.
- भाजपा पार्षदों के क्षेत्र में कार्य करा रहे हैं तो अन्य दलों के पार्षदों को विकास के लिए दौड़ा रहे हैं.
पार्षदों का कहना है कि-
उनके वार्डों में सफाई व्यवस्था से लेकर जल निकासी, सड़क और वाटर सप्लाई सब कुछ ध्वस्त चल रहा है. उन्होंने कहा कि जब अधिकारियों को यह सब दिखाई नहीं देता तो उन्हें जगाने के लिए आंदोलन करना पड़ा. निगम का कोई अधिकारी अपने कार्यालय में समय से नहीं बैठता, जबकि मुख्यमंत्री योगी जी का यह शहर है. उन्होंने कहा कि यहां के अधिकारी मुख्यमंत्री के आगमन पर उनके रास्ते की साफ सफाई कराकर यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि निगम क्षेत्र में सब कुछ ठीक है, लेकिन वास्तविकता में यह क्षेत्र की जनता समस्याओं से कराह रही है और अधिकारियों के कान पर जू तक नहीं रेग रहा है.