गोरखपुर: सूचना अधिकार अधिनियम से देश में एक नई क्रांति का उदय हुआ. इस अधिनियम ने लोगों के हाथ में वह ताकत दी है, जिससे कोई भी जन सूचना अधिकारी किसी भी सूचना को छिपाने और मांगने वाले को न देने की स्थिति में नहीं है. ऐसा करने पर उसे अर्थदंड का भागी होना पड़ेगा जो उसके वेतन से काटा जाएगा. यह बातें यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने गोरखपुर के सर्किट हाउस स्थित एनेक्सी भवन में एक कार्यक्रम के दौरान कहीं. वे जन सूचना अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे.
- गोरखपुर में आयोजित जन सूचना अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे.
- उन्होंने पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासनिक व्यवस्था देने के लिए जन सूचना अधिकारियों को सूचना अधिकार कानून को ढंग से पढ़ने और उसका अनुपालन करने पर जोर दिया.
- उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 को जानना हर अपीलीय अधिकारी का कर्तव्य है. तभी वह पारदर्शी व्यवस्था का संचालन कर पाएगा.
पूरे प्रदेश में करीब 20 हजार जन सूचना अधिकारी हैं और आठ हजार प्रथम अपीलीय अधिकारी हैं. जिन्हें हर वर्ष इस कानून के बारे में जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि पोस्ट तो अधिकारी की बरकरार रहती है, लेकिन अधिकारी बदलता रहता है.
-जावेद उस्मानी, मुख्य सूचना आयुक्त
हालांकि इस दौरान उस्मानी मीडिया को यह जानकारी देने में असफल रहे कि उनके कार्यकाल में अब तक कितने अधिकारियों पर अर्थदंड लगाया गया और सरकारी खजाने में उसके बदले कितना धन जमा हुआ. उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण का पूरा कार्यक्रम भारत सरकार के अधीन है. जो उसके डीओपीटी विभाग द्वारा संचालित होता है और वित्त पोषित भी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस प्रशिक्षण के लिए एक नोडल एजेंसी को माध्यम बनाया है, जो सूचना आयोग से तालमेल स्थापित करके अधिनियम को लागू करने और सूचनाएं देने संबंधी नियम और कानून से जनसूचना अधिकारियों को प्रशिक्षित कराती है.