लखनऊ: शहर में लॉकडाउन है इसलिए भवन निर्माण सामग्री की दुकानें भी बंद हैं. वहीं, भवन निर्माण के लिए सामान तो मिल रहा है, लेकिन उसके लिए डेढ़ गुनी कीमत अदा करनी पड़ती है. सीमेंट, सरिया, बालू, मौरंग से लेकर टाइल्स और हार्डवेयर का सामान डेढ़ गुने दाम पर बिक रहा है.
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7000 रुपये प्रति क्विंटल हुई सरिया
लॉकडाउन के चलते सरिया की कीमत 55 सौ रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर सात हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है. कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने से पहले यही कीमत 4200 सौ रुपये थी. बालू और मौरंग की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है. पहले मौरंग की कीमत 40 हजार रुपये प्रति 1000 घनपुर थी, जो अब 55 हजार रुपये प्रति 1000 घन फुट हो गई है. ईट की कीमत 7500 सौ रुपये प्रति हजार से बढ़कर 8500 सौ रुपये प्रति हजार हो गई है.
सीमेंट के दाम भी बढ़े
कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने से पहले जहां साधारण सीमेंट की कीमत 340 रुपये प्रति बोरी थी. अब वह बढ़कर 370 रुपये प्रति बोरी पर पहुंच गई है. एसीसी 370 रुपये प्रति बोरी से बढ़कर 430 रुपये प्रति बोरी पर पहुंच गई है.
मार्बल, टाइल्स, ग्रिल और दरवाजों के भाव आसमान पर
कोरोना और उसके बाद लॉकडाउन से भवन निर्माण से जुड़ी हर सामग्री की कीमत बढ़ी है. 40 रुपये प्रति वर्ग बिकने वाला टाइल्स 60 से 70 रुपये प्रति वर्ग फुट पहुंच गया है. साधारण मार्बल जो महीने भर पहले 60 रुपये प्रति वर्ग फुट में उपलब्ध था, अब वह 80 से 100 रुपये प्रति वर्ग फुट बिक रहा है. बिजली का सामान हो या फिर दरवाजे अथवा प्लंबररिंग से जुड़े आइटम सभी के दाम में 25 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है. व्यापारी बताते हैं कि माल गोदामों में भरा है. खराब भी हो रहा है, लेकिन दुकान खोलने पर पुलिस के डंडे का डर सता रहा है. बाहर से माल आ भी नहीं रहा है.
घर बनाना हुआ और मुश्किल
लॉकडाउन शुरू हुआ तो अधिकतर मजदूर शहर छोड़कर अपने-अपने गांव को लौट गए. जो बचे हैं वे अपने श्रम की ज्यादा कीमत वसूल रहे हैं. लॉकडाउन से पहले सामान्य मजदूरी 300 से 400 रुपये थी. वह अब बढ़कर 500 रुपये प्रतिदिन तक पहुंच गई है. राजमिस्त्री भी 600 रुपये प्रतिदिन की जगह 800 रुपये ले रहे हैं.
बाहर से नहीं आ रहा माल
सीमेंट और सरिया के व्यवसायी उपेंद्र सिंह का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से माल नहीं आ रहा है. जिनके पास सामान उपलब्ध था वहां भी खत्म हो चुका है, इसलिए दाम बढ़ रहे हैं. स्थिति सामान्य होते ही दाम कम होने की उम्मीद की जा रही है. भवन निर्माण के ठेकेदार लालजी यादव कहते हैं कि लेबर मिल नहीं रहे हैं दाम बढ़ गए हैं, इसलिए लोग काम नहीं करवा रहे हैं. ऐसे में बेरोजगारी की स्थिति बनी हुई है.