लखनऊ: राजधानी के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के तहत बने ब्लड बैंक में रक्त का संकट गहराता जा रहा है. पिछले कई दिनों से केजीएमयू के ब्लड बैंक में कुछ आरएच फैक्टर के रक्त न के बराबर शेष बचे हैं. जिसकी वजह से केजीएमयू के अलावा अन्य प्राइवेट अस्पतालों को ब्लड यूनिट्स देने पर रोक लगा दी गई है. वहीं अस्पताल प्रशासन के अनुसार हर वर्ष गर्मियों में ब्लड यूनिट की कमी पड़ती है पर इस वर्ष यह संकट ज्यादा हो गया है.
केजीएमयू के बल्ड बैंक में गहराया रक्त का संकट
- ईटीवी भारत से बात करते हुए केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने कहा कि हर वर्ष गर्मियों की छुट्टियों यानी मई-जून के दौरान ब्लड यूनिट की कमी हो जाती है.
- इस वर्ष यह और भी मुश्किल हो गया है, स्कूल कॉलेज बंद होने की वजह से ब्लड डोनेशन कैंप लगने के कम हो जाते हैं और इस वजह से ब्लड यूनिट की आपूर्ति नहीं हो पाती.
- इसके अलावा स्वैच्छिक रक्तदाता भी नहीं आ रहे हैं या काफी कम संख्या में आ रहे हैं.
- केजीएमयू के ब्लड बैंक द्वारा थैलेसीमिया के मरीजों, एचआईवी मरीज, गर्भवती महिलाओं, कैंसर पीड़ित मरीजों और निराश्रितओं को बिना किसी रक्तदाता के भी रक्त दिया जाता है.
- पिछले कुछ दिनों में थैलेसीमिया और कुछ अन्य बीमारियों के मरीज अधिक संख्या में आने की वजह से भी ब्लड बैंक में ब्लड यूनिट की कमी हो गई है.
- इन सबके अलावा केजीएमयू में ब्लड मिलने के लिए भी किसी भी तरह के प्रोसेसिंग शुल्क की जरूरत नहीं पड़ती, अब यह ब्लड यूनिट मुफ्त में भी उपलब्ध कराई जाती है.
- यह भी एक कारण है कि इस वर्ष ब्लड यूनिट्स में पिछले वर्षों की अपेक्षा अधिक कमी आई है.
- केजीएमयू ब्लड बैंक में ए पॉजिटिव और ए बी आरएच फैक्टर के ब्लड यूनिट्स की काफी कमी चल रही है.
- इसकी वजह से केजीएमयू के भी कुछ विभागों में ब्लड यूनिट की आपूर्ति बमुश्किल हो पा रही है.
- केजीएमयू के ब्लड बैंक से प्रदेश भर के अस्पतालों में ब्लड यूनिट की आपूर्ति की जाती है, लेकिन फिलहाल निजी अस्पतालों में दिए जाने वाले ब्लड यूनिट्स पर इस वक्त रोक लगा दी गई है.
- डॉ. तूलिका के अनुसार स्वैच्छिक रक्तदाताओं को आगे आना चाहिए. क्योंकि फिलहाल उनकी काफी जरूरत है जिनसे ब्लड बैंक में चल रहे रक्त के संकट को कम किया जा सके.