लखनऊ : यूपी की सियासत में सपा-बसपा गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल के शामिल होने पर बीजेपी ने सवाल खड़ा किया है. बीजेपी ने कहा कि आखिर क्या कारण है, जब सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव रालोद के साथ गठबंधन की प्रेस के सामने घोषणा कर रहे थे, तब बसपा सुप्रीमो मायावती कहां थी ? दरअसल मंगलवार को अखिलेश यादव और रालोद के महासचिव जयंत चौधरी सपा के पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर रालोद को गठबंधन में शामिल करने की घोषणा की है.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने मिलकर प्रेस की. लेकिन इस मौके पर बसपा प्रमुख मायावती मौजूद नहीं थीं. यह अपने आप मे एक सवाल था. क्या मायावती रालोद का साथ नहीं लेना चाहतीं. बसपा के खाते की सीटें रालोद को नहीं दी गईं. जबकि सपा ने अपने खाते की सीटें दी हैं. दरअसल बीजेपी मायावती की गैर मौजूदगी का हवाला देकर गठबंधन में तालमेल की कमी को दर्शाना चाह रही है.
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता डॉ.चंद्रमोहन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के पिछले 5 वर्षों के विकास कार्य और यूपी में योगी के नेतृत्व में पिछले 2 वर्षों के सुशासन से विरोधी दल घबरा गए हैं. भाजपा सरकारों को जनता के बीच जिस तरह से समर्थन मिल रहा है. उससे सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद जैसी जनता की खुशहाली से दुश्मन ताकतें भयभीत हैं.
डॉ. चंद्र मोहन ने कहा भाजपा सरकार के विकास कार्यों के सामने विरोधी पार्टियां जनता के सामने निरुत्तर हो चुकी हैं. इसी वजह से इनमें अकेले जनता के सामने जाने का साहस ही नहीं बचा. विपक्षी दल गठबंधन कर अगले लोकसभा चुनाव में अपनी हार को टालने की नाकाम कोशिश में जुट गए हैं. डॉ चंद्रमोहन ने यह भी पूछा कि अगर सपा-बसपा के गठबंधन में रालोद को शामिल किया गया, तो बसपा प्रमुख मायावती इस अवसर पर क्यों नहीं थी.