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बंगाली समाज के समर्थन में उतरा किसान यूनियन, नागरिकता और चुनावों में भागेदारी की मांग - नागरिकता

1984 में इन्दिरा गाँधी द्वारा बंगाल से आए बंगाली समाज के 120 परिवार रमनगरा और 275 परिवार लग्गभग्गा में बसाये गए थे. रमनगरा और लग्गभग्गा उस समय अविभाजित उत्तर प्रदेश में थे जो अब उत्तराखंड के हिस्से में हैं., इसलिए इस समाज के लोग हमेशा चुनाव के समय अपनी नागरिकता और मतदान के लिए प्रदर्शन करते आये हैं.

बंगाली समाज के लोगों ने मतदान सूची में नाम न होने पर जिलाधिकारी का घेराव किया
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Published : Mar 5, 2019, 11:23 PM IST

पीलीभीत: 1984 में इन्दिरा गांधी द्वारा बंगाल से आए बंगाली समाज के 120 परिवार रमनगरा और 275 परिवार लग्गभग्गा में बसाये गए थे. रमनगरा और लग्गभग्गा उस समय अविभाजित उत्तर प्रदेश में थे. जो अब उत्तराखंड के हिस्से में हैं. लेकिन आज तक इन परिवारों को नागरिकता नहीं दी गयी और न ही इनका नाम मतदाता सूची में शामिल किया गया. इस समाज के लोग हमेशा चुनाव के समय अपनी नागरिकता और मतदान के लिए प्रदर्शन करते आये हैं.

बंगाली समाज के लोगों ने मतदान सूची में नाम न होने पर जिलाधिकारी का घेराव किया


आज किसान यूनियन के लोगों ने बंगाली समाज को नागरिकता और चुनावों में भागीदार बनाए जाने की मांग को लेकर अपने बैनर तले प्रदर्शन किया. 31अक्टूबर 1994 को लग्गभग्गा खाली करा दिया गया था, वहां से हटाए गए लोगों को मझोला और खटीमा में बसाया गया था. जब उत्तराखंड का विभाजन हुआ तो ये लोग शारदा नदी के किनारे पूरनपुर तहसील के 11 गांवों में 2325 परिवारों ने अपना आशियाना बनाया.

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इसी समस्या के हल के लिए इन लोगों ने समाधान दिवस में आये जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव का घेराव किया. मतदान सूची में नाम न होने के कारण विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी समस्या के हल की मांग की.


जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि आज मैं समाधान दिवस पर पूरनपुर आया था, तभी किसान यूनियन के लोग बंगाली समाज के लोगों के साथ उनकी नागरिकता को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे , जिसको लेकर पूरी जांच कराई जाएगी.

पीलीभीत: 1984 में इन्दिरा गांधी द्वारा बंगाल से आए बंगाली समाज के 120 परिवार रमनगरा और 275 परिवार लग्गभग्गा में बसाये गए थे. रमनगरा और लग्गभग्गा उस समय अविभाजित उत्तर प्रदेश में थे. जो अब उत्तराखंड के हिस्से में हैं. लेकिन आज तक इन परिवारों को नागरिकता नहीं दी गयी और न ही इनका नाम मतदाता सूची में शामिल किया गया. इस समाज के लोग हमेशा चुनाव के समय अपनी नागरिकता और मतदान के लिए प्रदर्शन करते आये हैं.

बंगाली समाज के लोगों ने मतदान सूची में नाम न होने पर जिलाधिकारी का घेराव किया


आज किसान यूनियन के लोगों ने बंगाली समाज को नागरिकता और चुनावों में भागीदार बनाए जाने की मांग को लेकर अपने बैनर तले प्रदर्शन किया. 31अक्टूबर 1994 को लग्गभग्गा खाली करा दिया गया था, वहां से हटाए गए लोगों को मझोला और खटीमा में बसाया गया था. जब उत्तराखंड का विभाजन हुआ तो ये लोग शारदा नदी के किनारे पूरनपुर तहसील के 11 गांवों में 2325 परिवारों ने अपना आशियाना बनाया.

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इसी समस्या के हल के लिए इन लोगों ने समाधान दिवस में आये जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव का घेराव किया. मतदान सूची में नाम न होने के कारण विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी समस्या के हल की मांग की.


जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि आज मैं समाधान दिवस पर पूरनपुर आया था, तभी किसान यूनियन के लोग बंगाली समाज के लोगों के साथ उनकी नागरिकता को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे , जिसको लेकर पूरी जांच कराई जाएगी.

Intro:समाधान दिवस पर पूरनपुर तहसील गाय ने जिलाधिकारी का हुआ घेराव

बंगाली समाज के समर्थन में उतरे किसान यूनियन के लोग

किसान यूनियन के लोगों ने मतदान सूची पर नाम ना होने पर जिला अधिकारी का किया घेराव

1994 में बांग्ला भाषी लोगों को आज तक नहीं दी गई नागरिकता

हर चुनाव के पहले अपने मतदान और नागरिकता के लिए बंगाल समाज के लोग करते आए हैं प्रदर्शन

पूरनपुर तहसील में तहसील दिवस का मामला


Body:1984 में इंद्रागाँधी ने बंगाल की खाड़ी से आये लोगों को बंगाल समाज के लोगों के 120 परिवार रमनगरा में ओर 275 परिवार लग्गभग्गा में बसाये गए थे, 31अक्टूबर 1994 को लग्गभग्गा खाली करा दिया गया था, वहां से हटाए गए लोगों को मझोला , खटीमा में वसाया गया था उस समय उत्तराखंड नही बनाया था, जब उत्तराखंड का विभाजन हुआ तो ये लोग शारदा नदी के किनारे पूरनपुर तहसील के 11 गांवों में 2325 परिवार ने अपना आशियाना बनाया
लेकिन आज तक इन परिवारों को नागरिकता नही दी गयी, ओर इसको लेकर न ही इनका मतदान सूची में नाम रहता है, इसलिए इस समाज के लोग हमेशा चुनाव के समय अपनी नागरिकता ओर मतदान के लिए प्रदर्शन करते आये हैं, आज किसान यूनियन के लोगों ने इनका प्रदर्शन अपने बैनर तले किया, ओर साथ ही इसको लेकर समाधान दिवस में आये नए जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव का घेराव किया और मतदान सूची में नाम न होने के कारण विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी समस्या के हल की मांग की।


Conclusion:जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि आज मैं समाधान दिवस पर पूरनपुर आया था, तभी किसान यूनियन के लोग बंगाल समाज के लोगो के साथ उनकी नागरिकता को लेकर प्रदर्शन किया, जिसको लेकर पूरी जांच कराई जाएगी।
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