हमीरपुर: वन विभाग द्वारा शुद्ध वातावरण के साथ-साथ जिले के आमजन को मनोरंजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सिटी फॉरेस्ट पार्क की स्थापना की गई थी, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते जिले की जनता के लिए अब यह पार्क एक बदनुमा दाग बनकर रह गया है. देख-रेख न होने के चलते यह मनोरंजन पार्क अब जंगल में तब्दील हो गया है, जिसकी वजह से यहां लोग जाने से भी कतराते हैं.
पार्क में लगे ज्यादातर झूले टूट गए हैं और जगह-जगह जंगली घास उग आई है. पहले यहां पर सुबह ताजी हवा में लोग टहलने आते थे, लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते अब यह पार्क महज अराजकता का अड्डा बनकर रह गया है. यहां सुरक्षा के लिए कोई चौकीदार तक तैनात नहीं है, जिससे ये पार्क अराजक तत्वों के लिए आरामगाह बनकर रह गया है. क्षेत्रीय निवासी पार्क की इस बदहाली के लिए प्रशासनिक मशीनरी के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों को भी जिम्मेदार मानते है.
मोती लाल वोरा ने किया था उद्घाटन, शिलापट तक उखाड़ ले गए लोग
10 जून 1993 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल मोती लाल वोरा ने सिटी फॉरेस्ट का उद्घाटन कर हमीरपुर की जनता को एक अनमोल तोहफा दिया था. आलम यह है कि पार्क में जगह-जगह लगी लोहे की जालियां गायब हैं. वहीं टिकटघर और कैंटीन में ब्रह्मा का डेरा के गांव निवासी अपने मवेशी बांधते हैं. 74 लाख की लागत से बने इस पार्क में जगह-जगह फैन्सी लाइटें लगाई गई थी लेकिन ये लाइटें भी खंभा सहित उखड़ चुकी हैं.
जिले के विख्यात समाजसेवी एवं रेडक्रॉस संस्था के सचिव जलीस खान सिटी फॉरेस्ट की बदहाली के लिए जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहते है कि हमीरपुर टाउन एरिया का हार्ट सिटी फॉरेस्ट जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते इस दयनीय अवस्था में पहुंच गया है. वे बताते हैं कि ये पार्क जिलाधिकारी डॉक्टर बीपी नीलरत्न का बेहतरीन प्रोजेक्ट था.
सिटी फॉरेस्ट के लिए बजट न होने वजह से विभाग देख-रेख नहीं कर पा रहा है. हमारी कोशिश होगी कि जल्द से जल्द सिटी फॉरेस्ट को पुराने स्वरूप में वापस लाया जा सके. इसके लिए शासन के अधिकारियों से बात की जाएगी और जल्द से जल्द फंड मुहैया कराकर पार्क को दोबारा जिले के एक दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित करेंगे.
- संजीव कुमार, प्रभागीय वनाधिकारी