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World Heart Day 2021 : दिल को सेहतमंद रखना है तो सुधारनी होगी जीवनशैली

हार्ट (दिल) हमारे शरीर का बेहद महत्वपूर्ण अंग है, इसकी सेहत का ख्याल हर किसी को रखना चाहिए. हाल के दिनों में कम उम्र के लोगों में भी हार्ट अटैक की समस्या आने लगी है. ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है. आज विश्व हृदय दिवस है. आइये जानते हैं इससे जुड़े तथ्यों के बारे में.

World Heart Day 2021
World Heart Day 2021
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Published : Sep 29, 2021, 5:07 AM IST

Updated : Sep 29, 2021, 10:47 AM IST

हैदराबाद : वर्तमान समय में अव्यवस्थ‍ित दिनचर्या, तनाव, गलत खान-पान, पर्यावरण प्रदूषण और अन्य कारणों के चलते हृदय की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. छोटी उम्र से लेकर बुजर्गों तक में हृदय से जुड़ी समस्याएं होना अब आम बात हो गई है. है. ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है. विश्व हृदय दिवस हर वर्ष 29 सितंबर को मनाया जाता है ताकि उनकी रोकथाम और उनके वैश्विक प्रभाव सहित हृदय रोगों के बारे में लोगों में जागरुकता बढ़े. इस बार की थीम ' विश्व स्तर पर सीवीडी के बारे में जागरुकता, रोकथाम और प्रबंधन में सुधार के लिए डिजिटल स्वास्थ्य की शक्ति का उपयोग करना' है. जिसका उद्देश्य दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाना, हृदय रोग को कम करना है.

इतिहास और महत्व
वर्ल्ड हार्ट डे की स्थापना वर्ष 1999 में वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन (डब्ल्यूएचएफ) द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर की गई थी. इस दिन की उत्पत्ति के बारे में विचार विश्व हृदय महासंघ (डब्ल्यूएचएफ) के अध्यक्ष एंटोनी बेयस डी लूना ने 1997-1999 में किया था. इससे पहले विश्व हृदय दिवस मूल रूप से सितंबर के अंतिम रविवार (2011 तक) मनाया गया था, जिसमें पहला उत्सव 24 सितंबर 2000 को हुआ था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि हर साल सीवीडी से 18.6 मिलियन से अधिक लोगों की मौत होती हैं. इसके कई कारण हैं धूम्रपान, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे से लेकर वायु प्रदूषण तक से लेकर चागास रोग और कार्डियक अमाइलॉइडोसिस. कोरोना महामारी के दौरान सीवीडी 520 मिलियन लोगों के लिए खतरा बना रहा. इसकी मुख्य वजह ये है कि हृदय रोगियों में संक्रमण का खतरा ज्यादा है. कई नियमित और आपातकालीन नियुक्तियों में भाग लेने से डरते हैं, और मित्रों और परिवार से अलग हो गए हैं.

क्या है हृदय रोग

हृदय रोग या कार्डियोवैस्कुलर रोग उन अवस्थाओं को कहा जाता है, जिनमें हमारी रक्त वाहिकाओं के संकुचन या उनके अवरुद्ध होने के कारण दिल का दौरा या स्ट्रोक आने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा रक्त वाहिका रोग जैसे धमनी रोग, हृदय की धड़कनों में होने वाली परेशानियां तथा वाल्व संबंधी समस्याएं भी हृदय रोगों के अंतर्गत आती हैं. हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, एंजाइना, अनियमित दिल की धड़कन, दिल में छेद, बाहरी धमनी की बीमारी, कार्डियोमायोपैथी, एथेरोस्क्लेरोसिस तथा रूमेटिक हार्ट डिजीज आदि दिल की बीमारियों के अंतर्गत आते हैं.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, सीवीडी हृदय और रक्त वाहिकाओं के विकारों का एक समूह है. उनमें कोरोनरी हृदय रोग, सेरेब्रोवास्कुलर रोग, आमवाती हृदय रोग और जन्मजात हृदय रोग जैसी बीमारियां शामिल हैं.

  • सीवीडी से दुनियाभर में करीब 18.6 लोग मरते हैं, ये किसी भी अन्य कारण से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा आंकड़ा है.
  • करीब 85 प्रतिशत मौतें दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण होती हैं.

रिस्क फैक्टर

कोलेस्ट्रॉल: बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल 2.6 मिलियन लोगों की मौत का कारण है. कोलेस्ट्रॉल की वजह से ही हृदय रोग की समस्या होती है और ये स्ट्रोक का भी कारण बनता है.

कोविड 19 : 2020 की शुरुआत में कोरोना वायरस ने दस्तक दी, जिसने दुनियाभर में तबाही मचाई. हृदय रोगियों के लिए कोरोना खासतौर से जानलेवा बना. लोग अस्पतालों तक नहीं पहुंच सके जिस कारण हृदय रोगियों की समस्याएं और बढ़ गईं.

मधुमेह: मधुमेह से पीड़ित लोगों में हृदय रोग की संभावना दोगुनी होती है. मधुमेह एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य खतरा है. यह 11 वयस्कों में से 1 को प्रभावित करता है ... अभी 425 मिलियन लोग इससे प्रभाविति हैं. ये आंकड़ा 2045 तक बढ़कर 629 मिलियन हो जाने का अनुमान है. टाइप 2 मधुमेह में मधुमेह वाले सभी लोगों का लगभग 90% हिस्सा है. मधुमेह के साथ जी रहे सभी लोगों को सीवीडी का खतरा बढ़ जाता है, जिससे सीवीडी की रोकथाम को एक प्रमुख प्राथमिकता बना दिया है.

आरामतलब जीवनशैली : प्रति सप्ताह लगभग 150 मिनट की मध्यम शारीरिक गतिविधि हृदय रोग के जोखिम को 30% और मधुमेह के जोखिम को 27% तक कम कर देती है. जो लोग पर्याप्त रूप से सक्रिय नहीं हैं, उनमें स्वास्थ्य संबंधी किसी भी कारण से मृत्यु दर का 20-30% जोखिम बढ़ जाता है. दुनिया भर में हर साल कम से कम 3.2 मिलियन मौतें अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि के कारण होती हैं. प्रति सप्ताह लगभग 150 मिनट की मध्यम शारीरिक गतिविधि हृदय रोग के जोखिम को 30% और मधुमेह के जोखिम को 27% तक कम कर देती है.

तम्बाकू का प्रयोग : विश्वस्तर पर हार्ट अटैक से होनी वाली 10 में से 1 से ज्यादा मौत का कारण धूम्रपान है. लगभग 1.2 मिलियन धूम्रपान के धुएं के संपर्क में आने के कारण होती हैं. विश्व स्तर पर तंबाकू से सालाना लगभग 6 मिलियन मौतें होती हैं.

भारत में हृदय रोग से मौत

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार भारत में कुल मौतों में से लगभग एक चौथाई (24.8 प्रतिशत) सीवीडी के कारण होती हैं. लॉन्गिटूडिनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया (LASI) की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं की तुलना में पुरुषों में सीवीडी ज्यादा होता है. केरल के पुरुषों में 45 प्रतिशत, गोवा में 44 प्रतिशत, अंडमान और निकोबार में 41 प्रतिशत था जबकि छत्तीसगढ़ में 15 प्रतिशत, मेघालय में 16 प्रतिशत, नागालैंड में 17 प्रतिशत लोगों को था. आंध्र प्रदेश, दिल्ली, झारखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों में पुरुष और महिलाओं में लगभग समान प्रतिशत था. मेघालय में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या दोगुनी थी.

क्या कहते हैं एस्सपर्ट

पीडी हिंदुजा अस्पताल माहिम (मुंबई) के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर पिल्लई (Dr. Sudhir Pillai) कहते हैं दिल का दौरा या मायोकार्डियल इंफार्क्शन धमनियों के भीतर बनने वाली रुकावट या रक्त के थक्के को दर्शाता है जो हृदय में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करता है. कोलेस्ट्रॉल और वसा जमा होने से कोरोनरी धमनियां संकीर्ण हो सकती हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है. उनका कहना है कि अधिकांश दिल के दौरे घातक हो सकते हैं, इसलिए तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है.

उनका कहना है कि हाल के वर्षों में युवाओं में दिल के दौरे पड़ने की संख्या दोगुनी हो गई है. 20, 30 और 40 की उम्र के लोग कार्डियोवैस्कुलर अटैक के शिकार हो रहे हैं. विश्व आर्थिक मंच का अनुमान है कि कम उम्र में मरने वाले 50 प्रतिशत लोग मधुमेह और हृदय रोग से मरेंगे.

अध्ययनों के अनुसार 40 से कम उम्र के लोगों को दिल का दौरा पड़ने का अनुपात पिछले 10 वर्षों से हर साल 2 प्रतिशत बढ़ रहा है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर रॉन ब्लैंकस्टीन का कहना है, ' पहले 40 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ना पहुंत दुर्लभ माना जाता था, लेकिन आज के समय में 20 और 30 साल के लोगों में भी ये सामने आ रहा है.' उनका कहना है कि मुख्य कारण शराब और धूम्रपान एक साथ करना, अनियमित नींद, तनाव की बढ़ती मात्रा और गतिहीन जीवन शैली है जो कम शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देती है.

दिल को कैसे रखें स्वस्थ

  • नियमित व्यायाम को जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए.
  • भोजन में हरी सब्जियों का उपयोग करना चाहिए.
  • शराब से बचना चाहिए और धूम्रपान पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए.
  • कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए.
  • जिन लोगों का उच्च रक्तचाप या दिल की समस्याओं का पारिवारिक इतिहास है, उन्हें नियमित चेकअप कराना चाहिए.

विश्व हृदय दिवस 2021: मिथक और तथ्य

1. भ्रांति: हृदय रोग युवाओं को प्रभावित नहीं करते हैं

तथ्य: कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी उम्र, क्षेत्र और लिंग का हो, हृदय रोग का शिकार हो सकता है. धमनियों में प्लाक किसी भी उम्र में बन सकता है.

2. भ्रांति: यदि आप नियमित रूप से दवाएं लेते हैं तो मधुमेह होना ठीक है.

तथ्य: दवाएं देरी कर सकती हैं या जोखिम को कम कर सकती हैं, लेकिन जब रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रण में होता है तब भी आपको हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

3. भ्रांति: हृदय रोग अनुवांशिक होते हैं.

तथ्य: जिन लोगों के परिवार में हृदय रोग का इतिहास रहा है उन्हें अधिक जोखिम होता है, लेकिन अगर आप अपने दिल और खाने की आदतों का ध्यान रखें तो आप जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

4. भ्रांति: अगर आपके पैरों में दर्द रहता है तो इसका कारण उम्र बढ़ना हो सकता है. इसका दिल से कोई संबंध नहीं है.

तथ्य: मांसपेशियों में महसूस होने वाला पैर दर्द पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) नामक स्थिति का संकेत हो सकता है. पीएडी वाले लोगों के लिए दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

पढ़ें- हृदय रोग से बचाव के लिए जरूरी अनुशासित जीवनशैली

हैदराबाद : वर्तमान समय में अव्यवस्थ‍ित दिनचर्या, तनाव, गलत खान-पान, पर्यावरण प्रदूषण और अन्य कारणों के चलते हृदय की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. छोटी उम्र से लेकर बुजर्गों तक में हृदय से जुड़ी समस्याएं होना अब आम बात हो गई है. है. ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है. विश्व हृदय दिवस हर वर्ष 29 सितंबर को मनाया जाता है ताकि उनकी रोकथाम और उनके वैश्विक प्रभाव सहित हृदय रोगों के बारे में लोगों में जागरुकता बढ़े. इस बार की थीम ' विश्व स्तर पर सीवीडी के बारे में जागरुकता, रोकथाम और प्रबंधन में सुधार के लिए डिजिटल स्वास्थ्य की शक्ति का उपयोग करना' है. जिसका उद्देश्य दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाना, हृदय रोग को कम करना है.

इतिहास और महत्व
वर्ल्ड हार्ट डे की स्थापना वर्ष 1999 में वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन (डब्ल्यूएचएफ) द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर की गई थी. इस दिन की उत्पत्ति के बारे में विचार विश्व हृदय महासंघ (डब्ल्यूएचएफ) के अध्यक्ष एंटोनी बेयस डी लूना ने 1997-1999 में किया था. इससे पहले विश्व हृदय दिवस मूल रूप से सितंबर के अंतिम रविवार (2011 तक) मनाया गया था, जिसमें पहला उत्सव 24 सितंबर 2000 को हुआ था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि हर साल सीवीडी से 18.6 मिलियन से अधिक लोगों की मौत होती हैं. इसके कई कारण हैं धूम्रपान, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे से लेकर वायु प्रदूषण तक से लेकर चागास रोग और कार्डियक अमाइलॉइडोसिस. कोरोना महामारी के दौरान सीवीडी 520 मिलियन लोगों के लिए खतरा बना रहा. इसकी मुख्य वजह ये है कि हृदय रोगियों में संक्रमण का खतरा ज्यादा है. कई नियमित और आपातकालीन नियुक्तियों में भाग लेने से डरते हैं, और मित्रों और परिवार से अलग हो गए हैं.

क्या है हृदय रोग

हृदय रोग या कार्डियोवैस्कुलर रोग उन अवस्थाओं को कहा जाता है, जिनमें हमारी रक्त वाहिकाओं के संकुचन या उनके अवरुद्ध होने के कारण दिल का दौरा या स्ट्रोक आने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा रक्त वाहिका रोग जैसे धमनी रोग, हृदय की धड़कनों में होने वाली परेशानियां तथा वाल्व संबंधी समस्याएं भी हृदय रोगों के अंतर्गत आती हैं. हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, एंजाइना, अनियमित दिल की धड़कन, दिल में छेद, बाहरी धमनी की बीमारी, कार्डियोमायोपैथी, एथेरोस्क्लेरोसिस तथा रूमेटिक हार्ट डिजीज आदि दिल की बीमारियों के अंतर्गत आते हैं.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, सीवीडी हृदय और रक्त वाहिकाओं के विकारों का एक समूह है. उनमें कोरोनरी हृदय रोग, सेरेब्रोवास्कुलर रोग, आमवाती हृदय रोग और जन्मजात हृदय रोग जैसी बीमारियां शामिल हैं.

  • सीवीडी से दुनियाभर में करीब 18.6 लोग मरते हैं, ये किसी भी अन्य कारण से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा आंकड़ा है.
  • करीब 85 प्रतिशत मौतें दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण होती हैं.

रिस्क फैक्टर

कोलेस्ट्रॉल: बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल 2.6 मिलियन लोगों की मौत का कारण है. कोलेस्ट्रॉल की वजह से ही हृदय रोग की समस्या होती है और ये स्ट्रोक का भी कारण बनता है.

कोविड 19 : 2020 की शुरुआत में कोरोना वायरस ने दस्तक दी, जिसने दुनियाभर में तबाही मचाई. हृदय रोगियों के लिए कोरोना खासतौर से जानलेवा बना. लोग अस्पतालों तक नहीं पहुंच सके जिस कारण हृदय रोगियों की समस्याएं और बढ़ गईं.

मधुमेह: मधुमेह से पीड़ित लोगों में हृदय रोग की संभावना दोगुनी होती है. मधुमेह एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य खतरा है. यह 11 वयस्कों में से 1 को प्रभावित करता है ... अभी 425 मिलियन लोग इससे प्रभाविति हैं. ये आंकड़ा 2045 तक बढ़कर 629 मिलियन हो जाने का अनुमान है. टाइप 2 मधुमेह में मधुमेह वाले सभी लोगों का लगभग 90% हिस्सा है. मधुमेह के साथ जी रहे सभी लोगों को सीवीडी का खतरा बढ़ जाता है, जिससे सीवीडी की रोकथाम को एक प्रमुख प्राथमिकता बना दिया है.

आरामतलब जीवनशैली : प्रति सप्ताह लगभग 150 मिनट की मध्यम शारीरिक गतिविधि हृदय रोग के जोखिम को 30% और मधुमेह के जोखिम को 27% तक कम कर देती है. जो लोग पर्याप्त रूप से सक्रिय नहीं हैं, उनमें स्वास्थ्य संबंधी किसी भी कारण से मृत्यु दर का 20-30% जोखिम बढ़ जाता है. दुनिया भर में हर साल कम से कम 3.2 मिलियन मौतें अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि के कारण होती हैं. प्रति सप्ताह लगभग 150 मिनट की मध्यम शारीरिक गतिविधि हृदय रोग के जोखिम को 30% और मधुमेह के जोखिम को 27% तक कम कर देती है.

तम्बाकू का प्रयोग : विश्वस्तर पर हार्ट अटैक से होनी वाली 10 में से 1 से ज्यादा मौत का कारण धूम्रपान है. लगभग 1.2 मिलियन धूम्रपान के धुएं के संपर्क में आने के कारण होती हैं. विश्व स्तर पर तंबाकू से सालाना लगभग 6 मिलियन मौतें होती हैं.

भारत में हृदय रोग से मौत

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार भारत में कुल मौतों में से लगभग एक चौथाई (24.8 प्रतिशत) सीवीडी के कारण होती हैं. लॉन्गिटूडिनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया (LASI) की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं की तुलना में पुरुषों में सीवीडी ज्यादा होता है. केरल के पुरुषों में 45 प्रतिशत, गोवा में 44 प्रतिशत, अंडमान और निकोबार में 41 प्रतिशत था जबकि छत्तीसगढ़ में 15 प्रतिशत, मेघालय में 16 प्रतिशत, नागालैंड में 17 प्रतिशत लोगों को था. आंध्र प्रदेश, दिल्ली, झारखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों में पुरुष और महिलाओं में लगभग समान प्रतिशत था. मेघालय में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या दोगुनी थी.

क्या कहते हैं एस्सपर्ट

पीडी हिंदुजा अस्पताल माहिम (मुंबई) के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर पिल्लई (Dr. Sudhir Pillai) कहते हैं दिल का दौरा या मायोकार्डियल इंफार्क्शन धमनियों के भीतर बनने वाली रुकावट या रक्त के थक्के को दर्शाता है जो हृदय में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करता है. कोलेस्ट्रॉल और वसा जमा होने से कोरोनरी धमनियां संकीर्ण हो सकती हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है. उनका कहना है कि अधिकांश दिल के दौरे घातक हो सकते हैं, इसलिए तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है.

उनका कहना है कि हाल के वर्षों में युवाओं में दिल के दौरे पड़ने की संख्या दोगुनी हो गई है. 20, 30 और 40 की उम्र के लोग कार्डियोवैस्कुलर अटैक के शिकार हो रहे हैं. विश्व आर्थिक मंच का अनुमान है कि कम उम्र में मरने वाले 50 प्रतिशत लोग मधुमेह और हृदय रोग से मरेंगे.

अध्ययनों के अनुसार 40 से कम उम्र के लोगों को दिल का दौरा पड़ने का अनुपात पिछले 10 वर्षों से हर साल 2 प्रतिशत बढ़ रहा है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर रॉन ब्लैंकस्टीन का कहना है, ' पहले 40 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ना पहुंत दुर्लभ माना जाता था, लेकिन आज के समय में 20 और 30 साल के लोगों में भी ये सामने आ रहा है.' उनका कहना है कि मुख्य कारण शराब और धूम्रपान एक साथ करना, अनियमित नींद, तनाव की बढ़ती मात्रा और गतिहीन जीवन शैली है जो कम शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देती है.

दिल को कैसे रखें स्वस्थ

  • नियमित व्यायाम को जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए.
  • भोजन में हरी सब्जियों का उपयोग करना चाहिए.
  • शराब से बचना चाहिए और धूम्रपान पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए.
  • कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए.
  • जिन लोगों का उच्च रक्तचाप या दिल की समस्याओं का पारिवारिक इतिहास है, उन्हें नियमित चेकअप कराना चाहिए.

विश्व हृदय दिवस 2021: मिथक और तथ्य

1. भ्रांति: हृदय रोग युवाओं को प्रभावित नहीं करते हैं

तथ्य: कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी उम्र, क्षेत्र और लिंग का हो, हृदय रोग का शिकार हो सकता है. धमनियों में प्लाक किसी भी उम्र में बन सकता है.

2. भ्रांति: यदि आप नियमित रूप से दवाएं लेते हैं तो मधुमेह होना ठीक है.

तथ्य: दवाएं देरी कर सकती हैं या जोखिम को कम कर सकती हैं, लेकिन जब रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रण में होता है तब भी आपको हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

3. भ्रांति: हृदय रोग अनुवांशिक होते हैं.

तथ्य: जिन लोगों के परिवार में हृदय रोग का इतिहास रहा है उन्हें अधिक जोखिम होता है, लेकिन अगर आप अपने दिल और खाने की आदतों का ध्यान रखें तो आप जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

4. भ्रांति: अगर आपके पैरों में दर्द रहता है तो इसका कारण उम्र बढ़ना हो सकता है. इसका दिल से कोई संबंध नहीं है.

तथ्य: मांसपेशियों में महसूस होने वाला पैर दर्द पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) नामक स्थिति का संकेत हो सकता है. पीएडी वाले लोगों के लिए दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

पढ़ें- हृदय रोग से बचाव के लिए जरूरी अनुशासित जीवनशैली

Last Updated : Sep 29, 2021, 10:47 AM IST
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