नई दिल्ली: भारत मंडपम के हॉल नंबर 6 में आयोजित 'खादी इंडिया मंडप' के तहत हस्तशिल्प और खादी एवं ग्रामोद्योग उत्पादों का अद्वितीय प्रदर्शन किया गया है. इस मेले में शामिल कई प्रतिभागियों की कहानियां प्रेरणादायक हैं, उनमें से एक हैं अवधेश मौर्या, जिनकी यात्रा कठिनाइयों से भरी रही, लेकिन उन्होंने असाधारण सफलता प्राप्त की है.
अवधेश मौर्या उत्तर प्रदेश के बनारस के निवासी हैं. उन्होंने मेले में दस्तकारी गुड़ की कई वैरायटीज़ प्रदर्शित की हैं, जिनमें अलसी गुड़, तिल सौंठ गुड़, नारियल गुड़, मूंगफली गुड़ और इलाइची गुड़ शामिल हैं. अवधेश ने बताया, "मैं एक गरीब परिवार में पला-बढ़ा हूं. मेरी मां का जीवन संघर्षों से भरा रहा. जब मैं 17 वर्ष का था, तब मेरी मां ने मकर संक्रांति के दिन गुड़ और तिल के लड्डू बनाए थे, जिन्हें उन्होंने गांव के लोगों में बांटा." यहीं से उन्हें औषधीय गुणों वाले गुड़ बनाने का विचार आया.
उनका सपना था कि वह लोगों को गुड़ के फायदों के प्रति जागरूक करें. गुड़ केवल एक मिठाई नहीं, बल्कि पूजा में भी इसका उपयोग होता है और यह इम्युनिटी को बढ़ाने में सहायक होता है. सोच के इस आधार पर उन्होंने अपना व्यवसाय आरंभ किया. शुरुआत में, उन्हें अपने गांव में औषधीय गुड़ की बिक्री में घाटा हुआ, लेकिन उन्होंने इसे एक सीख के रूप में लिया और आगे बढ़ते रहे.
PMEGP के तहत लिया बिज़नेस लोन: अवधेश ने अपने व्यवसाय को विस्तारित करने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत 15 लाख रुपये का लोन लिया. इस लोन से उन्होंने मशीनों का सेटअप किया और गांव की कई महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ा. अब उनकी मदद से ये महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं, जो अवधेश के लिए एक बड़ी खुशी का स्रोत है. मेले में अपने उत्पाद को प्रदर्शित करने का यह उनका पहला अनुभव था, और उन्होंने भारत सरकार एवं खादी एवं ग्रामोद्योग उत्पादों का आभार व्यक्त किया.
दिल्ली के लोगों को खूब भा रहा गुड़: अवधेश ने कहा “मेरे लिए ट्रेड फेयर में स्टॉल मिलना भी एक उपलब्धि है,” दिल्ली के लोगों द्वारा उनके उत्पादों को काफी पसंद किया जा रहा है, और कई ने उनसे संपर्क नंबर भी लिया है ताकि वे बाद में भी गुड़ मंगवा सकें. उनका ब्रांड नाम "खगराज" है, जिसमें 400 ग्राम प्लेन गुड़ की कीमत 80 रुपये और फ्लेवर्ड या औषधीय गुड़ की कीमत 120 रुपये है.
खादी इंडिया मंडप में विभिन्न हिस्सों से 225 प्रदर्शक भाग ले रहे हैं. यहां खादी कारीगरों से बेहतरीन हस्तशिल्प और उत्पादों का प्रदर्शन हो रहा है. अवधेश मौर्या की कहानी इस बात का प्रमाण है कि कठिनाईयों से सजी यात्रा का अंत अक्सर प्रेरणादायक और सफल होता है. उनकी मेहनत, संघर्ष और समर्पण से आगे की पीढ़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी.
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