लखनऊ : उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में 17 दिन तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ने वाले जांबाज जब सुरंग से बाहर आए तो उन्होंने सबसे पहले ऊपर वाले का धन्यवाद किया. यह माना कि विज्ञान में चाहे कितनी भी ताकत हो, लेकिन चमत्कार भगवान ही करता है. टनल में फंसे इन श्रमिकों का विश्वास भगवान पर ही बना हुआ था. लगातार 17 दिनों तक सुरंग से बाहर निकालने के लिए भगवान को याद करते रहे. जब सुरंग से बाहर आए तो उसके बाद भगवान के मंदिर भी गए और अब कई श्रमिक अपने घर पहुंच कर भगवान के नाम पर बड़ा कार्यक्रम करने की तैयारी कर रहे हैं. टनल में फंसे यह श्रमिक शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने लखनऊ पहुंचे. इन श्रमिकों से "ईटीवी भारत" ने एक्सक्लूसिव बातचीत की तो उन्होंने इन 17 दिनों की आप बीती बयां की.
पानी के पाइप से भेजा मैसेज : संतोष ने बताया कि हम सब 980 मीटर में काम कर रहे थे और जहां पर यह सुरंग गिरी वह 240 मीटर में था. जहां पर वे लोग काम कर रहे थे. वह लोग हमारी तरफ दौड़ते हुए आए. हमारे पास वॉकी टॉकी नहीं था. हम लोग को खबर मिली तो पूरा काम बंद करके वह देखने लगे. वह सब हमारी आंखों के सामने गिर रहा था तो डर और बढ़ने लगा. टनल के अंदर पानी की दो पाइपलाइन पड़ी थीं. हमारा चार इंची का पाइपलाइन था उसको खोलकर एक चिट्ठी लिखकर पानी के पाइप को जॉइंट कर मोटर चालू कर दिया. पानी बाहर गया पानी के साथ ही चिट्ठी बाहर गई. बाहरवालों ने देखा तब उन लोगों को समझ आया कि सुरंग के अंदर लोग जिंदा बचे हुए हैं. चिट्ठी पढ़कर उधर से भी उन्होंने चिट्ठी भेजी कि हम लोग यहां पर हैं. फिर वहीं से ऑक्सीजन भेजने का सिलसिला शुरू हुआ. पहले ऑक्सीजन भेजी उसके एक डेढ़ घंटे बाद हमारे लिए भूजा आया. 10 दिन तक हम लोग यही सब खाकर जिंदगी बिताते रहे. फिर उसके बाद सरकार की तरफ से बहुत व्यवस्था की गई. काजू, किशमिश, बादाम भी हमारे लिए अंदर भेजे गए.
सबसे पहले पांच लोग सुरंग से बाहर निकले : संतोष बताते हैं हम लोग अलग-अलग डिपार्टमेंट में काम करते थे. हम एक साथ 15 लोग काम कर रहे थे. कुछ आदमी फ्रेश होने के लिए चले गए थे वह लोग बाहर निकल गए, लेकिन तब तक सुरंग धंस गई और हम लोग फंस गए. संतोष का कहना है कि टनल में जब फंसे हुए थे तब सिर्फ भगवान को ही याद कर रहे थे. हम यह सोच कर रखे थे कि जब हम बाहर निकल आएंगे और घर जाएंगे तो भगवान का बड़ा प्रोग्राम रखेंगे. हमारी जान भगवान की वजह से ही बची है. सभी 41 लोग भगवान की वजह से ही बाहर आए. जब सबसे पहले सुरंग से पांच लोग बाहर निकले तब मुझे लगा कि अब शायद हम भी बाहर निकल जाएंगे. जब पांच आदमी निकले तो हम में भी हिम्मत आई और हमारे चेहरे पर मुस्कान आई. उत्तराखंड सरकार ने बहुत सहायता की. बाहर निकलते ही 80 मीटर में ही कंपनी ने हमें नेटवर्क उपलब्ध कराया. निकलते ही घर पर फोन किया कि मम्मी हम लोग निकल आए हैं. मम्मी टेंशन मत लेना. मम्मी बहुत खुश हुईं.
मशीन दे रही थीं दगा, भगवान पर था भरोसा : संतोष का मानना है कि भगवान की वजह से ही सब कुछ सही हुआ. जितनी मशीनें आती थीं हमें निकालने के लिए वह सब ब्रेकडाउन होती जा रही थीं इसके पीछे सुरंग की वजह से एक मंदिर को हटाया जाना बताया जा रहा है. एक पुजारी था उसने बताया कि पहले यहां पर मंदिर था मंदिर को वहां से हटा दिया गया इस वजह से यह घटना हुई है, फिर वह लोग पूजा पाठ करते रहे. फिर एक मशीन आई तो सफलता मिली. पहले तो उस मशीन ने 24 मीटर पूरा ढहा दिया फिर दूसरी मशीन चालू हुई और उसके बाद पूजा पाठ शुरू हुआ, तब जाकर यह चमत्कार हुआ और हम लोग बाहर आए. संतोष का कहना है कि अब उस जगह हम नौकरी करने वापस बिल्कुल नहीं जाना चाहते, क्योंकि अब वहां जाने से डर लग रहा है. वह भयावह मंजर हम भूल नहीं पा रहे हैं अब अपने यहां ही कोई नौकरी करेंगे.
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