देगंगा (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के देगंगा में एक व्यवसायी के घर से लगभग 100 करोड़ रुपये की प्राचीन वस्तुएं जब्त की गईं. एडमिनिस्ट्रेशन जनरल एंड वेलफेयर ट्रस्टी के कार्यालय के अधिकारियों ने दावा किया कि यह पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा एंटीक ऑपरेशन था. बरामद सामग्री में हाथी दांत, हिरण के पैर, प्राचीन देवताओं की मूर्तियां, और मौर्य और कुषाण काल की कई अन्य वस्तुएं हैं. अधिकारियों ने शुक्रवार को छापा मारा और सामान बरामद किया.
अधिकारियों ने कहा कि बरामद सामानों का संयुक्त बाजार मूल्य लगभग 100 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. हादीपुर में असद उल जमान नाम का कारोबारी अपनी पत्नी और तीन बेटियों के साथ रहता है. आस-पड़ोस के कई लोग प्राचीन वस्तुओं को इकट्ठा करने में उसकी रुचि के बारे में जानते थे. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों को पता चला कि फूलों की दुकानों का कारोबार करने वाले असद उल जमान ने चंद्रकेतुगढ़ में मेले के दौरान इन कलाकृतियों को अपने पास रखा था.
पश्चिम बंगाल के वर्तमान महाप्रशासक और आधिकारिक न्यासी बिप्लब रॉय को असद उल जमान के पड़ोसियों से पता चला कि उनके पास 15,000 से अधिक कलाकृतियों का संग्रह है. रॉय ने इस जानकारी को जानने के बाद उनसे संपर्क किया और खुद को प्राचीन वस्तुओं के संग्रहकर्ता के रूप में पेश किया. थोड़ी देर बाद, व्यापारी रॉय को अपने गोदाम में ले गया, जहां अधिकारी पहुंचे और प्राचीन वस्तुओं को जब्त कर लिया गया.
रॉय ने कहा कि इस तरह की प्राचीन वस्तुओं की तलाश करते हुए, हमें असद उल जमान के बारे में पता चला. उनके पास 15,000 से अधिक ऐसी प्राचीन वस्तुओं का संग्रह है, जिनमें से केवल 15 से 20 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रमाणित हैं. हमने उन नमूनों को जब्त कर लिया है जिनका प्रमाणीकरण नहीं हुआ है. कोलकाता कस्टम्स ने 2020 में 35.3 करोड़ रुपये मूल्य की 25 प्राचीन मूर्तियों को जब्त किया था, जिन्हें तस्करी कर बांग्लादेश ले जाया जा रहा था. सूत्रों के मुताबिक प्रिवेंटिव विंग के अधिकारियों ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर 23 अगस्त की रात को धान लदे एक ट्रक की तलाशी ली गई तो अंदर छिपाकर रखे गए पुरावशेष मिले थे.
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