श्रीनगरः कहते हैं न 'जाको राखे साइयां मार सके ना कोई', ये कहावत पौड़ी के 64 वर्षीय जसपाल सिंह (jaspal singh) के साथ हुई घटना पर चरितार्थ है, जिन्हें डॉक्टर मौत के मुंह से बाहर ले आए. जसपाल पहले तो दो मंजिला छत से गिरे, जिससे उनकी दोनों चेस्ट की पसलियां टूट गई. अस्पताल पहुंचे तो चेस्ट फ्रैक्चर होने के चलते उनकी चेस्ट में हवा भर गई और खून फैल गया, लेकिन ये सब इतने पर ही नहीं रुका. इलाज के दौरान उन्हें मिर्गी और कार्डियक अरेस्ट भी आया. लेकिन इसके बावजूद डॉक्टर उन्हें मौत के चंगुल से बाहर ले आए.
घटना 20 मार्च की है जब 64 साल के जसपाल सुबह अपनी घर की छत पर टहल रहे थे. इस दौरान उनका संतुलन बिगड़ा और वो छाती के बल नीचे गिरे, जिससे उनकी उनकी दोनों चेस्ट की पसलियां टूट गईं. घटना उनके गांव बुडोली पाबौ की है. उनका परिवार इस घटना से सदमे में आ गया. आनन-फानन उन्हें स्वास्थ्य केंद्र पाबौ लाया गया. पाबौ स्वास्थ्य केंद्र में उनकी हालात गंभीर देख डॉक्टरों ने उन्हें पौड़ी जिला अस्पताल रेफर कर दिया. पौड़ी पहुंचे लेकिन वहां भी डॉक्टरों ने जसपाल सिंह की हालत देख उन्हें श्रीनगर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. यहां रात 12 बजे जसपाल जब इमरजेंसी में पहुंचे तो उनकी हालत और भी गंभीर हो गई. इमरजेंसी से सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर स्वेताब प्रधान को बुलाया गया.
डॉ. स्वेताब ने जब मरीज की हालत देखी तो उन्होंने सबसे पहले मरीज के लिए सांस लेने के लिए नलियां लगाई. इस दौरान छाती में चोट के चलते बाहर खून का रिसाव और हवा भरने लगी. इसी बीच जसपाल को मिर्गी का दौरा और कार्डियक अरेस्ट भी आ गया. तुरंत मेडिकल टीम को बढ़ाते हुए इस बीच एनेस्थिसिया विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वरुण को भी बुलाया गया. दोनों विभागों की टीम ने उनको चेस्ट ट्यूब और सीपीआर देना शुरू किया. मरीज को वेंटिलेटर पर डाला गया. दवाओं के मिश्रण और क्विक रिस्पॉन्स के चलते मरीज की जान बच सकी और आज 15 दिन बाद जसपाल को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. जसपाल ने छुट्टी होने के बाद डॉक्टरों का शुक्रिया भी अदा किया.
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