श्रीनगर : जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री उस्मान माजिद ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद आतंकवादियों द्वारा आईईडी और बारूदी सुरंग के इस्तेमाल के बारे में आशंका व्यक्त की है और इससे निपटने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है.
पूर्व मंत्री उस्मान माजिद ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को लिखे एक पत्र में इन चिंताओं से अवगत कराया है माजिद पर 2005 में एक कार बम धमाके सहित जानलेवा हमले के कई प्रयास हो चुके हैं.
जेकेएपी के उपाध्यक्ष ने कहा, मैं इन अफवाहों से चिंतित हूं ऐसा लगता है कि (अफगानिस्तान में) तालिबान के आने के बाद वे (आतंकवादी) आईईडी और बारूदी सुरंग विस्फोट की साजिश रच रहे हैं.
पूर्व मंत्री उस्मान माजिद ने उपराज्यपाल को पत्र में लिखा है, मुझे विश्वास है कि सरकार और संबंधित एजेंसियों को इस आसन्न खतरे का अच्छी तरह अंदाजा होगा और उन्होंने इसका मुकाबला करने के लिए योजना तैयार कर ली होगी.
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पूर्व मंत्री उस्मान माजिद ने कहा कि हो सकता है कि उनका आकलन गलत अनुमान पर आधारित हो, लेकिन फिर भी चौकसी बरतनी चाहिए. कांग्रेस के पूर्व विधायक माजिद जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व वाली जेकेएपी में शामिल हो गए थे.
पूर्व मंत्री उस्मान माजिद ने कहा कि उनका आकलन देश विरोधी तत्वों द्वारा फैलाई जा रही अफवाह पर आधारित है और कहा, चूंकि यह मेरे लिए जीवन और मृत्यु का मामला है, मैं इसे हल्के में नहीं ले सकता मैं इन क्रूर, बर्बर देश विरोधी तत्वों की हिट लिस्ट में सबसे ऊपर हूं, यह किसी से छिपा नहीं है. अपने सहयोगियों के साथ 1995 में भारत समर्थक अवामी लीग बनाने के लिए हथियार छोड़ने के बाद पिछले 26 वर्षों के दौरान खुद पर कई बार हुए हमलों का जिक्र करते हुए, माजिद ने कहा कि उत्तरी कश्मीर के बांदीपुरा के गरूरा गांव में उनके घर को बार-बार निशाना बनाया गया और उनके रिश्तेदारों को भी नहीं बख्शा गया.
उस्मान माजिद के भाई, हाजी गुलाम नबी की दिसंबर 2002 में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, जबकि वह खुद 16 नवंबर 2005 को सचिवालय के रास्ते में टीआरसी श्रीनगर के पास बम विस्फोट में बच गए थे.
(पीटीआई-भाषा)