नई दिल्ली : अमेरिका ने भारत को बहुत बड़ी दुविधा से बाहर निकाल दिया. भारत अब रूस से एस-400 (एयर डिफेंस प्रणाली) खरीद सकता है. इस सौदेबाजी को लेकर भारत और अमेरिका के बीच तनाव जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी. अमेरिकी कानून, काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट, के तहत अगर किसी भी देश ने रूस से इस तरह की मिसाइल प्रणाली की खरीददारी की, तो उस पर कई तरह की पाबंदिया लगाई जा सकती हैं.
भारत ने अपनी सुरक्षा स्थिति को देखते हुए रूस से एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की खरीददारी को अंजाम दिया. यह दुनिया का सबसे आधुनिकतम और सबसे अधिक प्रभावशाली एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है. रक्षा जानकारों का मानना है कि यह सिस्टम अमेरिकी सिस्टम से बेहतर काम करता है. लेकिन काटसा की वजह से अमेरिकी अधिकारियों ने भारत पर प्रतिबंध लगाए जाने की बात कही थी.
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There is no relationship of greater significance to US strategic interests than the US-India partnership.
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My bipartisan NDAA amendment marks the most significant piece of legislation for US-India relations out of Congress since the US-India nuclear deal. pic.twitter.com/uXCt7n66Z7
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रक्षा जानकारों का कहना है कि यह भारत के लिए बहुत बड़ी राहत भरी खबर है. उनके अनुसार अमेरिका की भी अपनी कुछ मजबूरियां हैं, जिसकी वजह से उसने अपने कानून में संशोधन किए हैं. दरअसल, अमेरिका किसी भी हाल में यह नहीं चाहता है कि हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में चीन का दबदबा कायम रहे. इसलिए वह हर हाल में भारत का सहयोग करने को मजबूर है.
भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना द्वारा पेश किए गए इस संशोधित विधेयक में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन से भारत को चीन जैसे आक्रामक रुख वाले देश को रोकने में मदद करने के लिए काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) से छूट दिलाने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया गया है.
राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून (एनडीएए) पर सदन में चर्चा के दौरान गुरुवार को ध्वनि मत से यह संशोधित विधेयक पारित कर दिया गया. खन्ना ने कहा, 'अमेरिका को चीन के बढ़ते आक्रामक रूख के मद्देनजर भारत के साथ खड़ा रहना चाहिए. भारत कॉकस के उपाध्यक्ष के तौर पर मैं हमारे देशों के बीच भागीदारी को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने पर काम कर रहा हूं कि भारतीय-चीन सीमा पर भारत अपनी रक्षा कर सकें.'
उन्होंने कहा, 'यह संशोधन अत्यधिक महत्वपूर्ण है और मुझे यह देखकर गर्व हुआ कि इसे दोनों दलों के समर्थन से पारित किया गया है.' सदन में अपनी टिप्पणियों में खन्ना ने कहा कि अमेरिका-भारत भागीदारी से ज्यादा महत्वपूर्ण अमेरिका के रणनीतिक हित में और कुछ भी इतना जरूरी नहीं है.
विधेयक में कहा गया है कि यूनाइटेड स्टेट्स-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीस (आईसीईटी) दोनों देशों में सरकारों, शैक्षणिक समुदाय और उद्योगों के बीच करीबी साझेदारी विकसित करने के लिए एक स्वागत योग्य और आवश्यक कदम है, ताकि कृत्रिम बुद्धिमता, क्वांटम कम्प्यूटिंग, जैव प्रौद्योगिकी, एरोस्पेस और सेमीकंडक्टर विनिर्माण में नवीनतम प्रगति को अपनाया जा सकें.
इसमें कहा गया है कि इंजीनियर और कम्प्यूटर वैज्ञानिकों के बीच ऐसी भागीदारी यह सुनिश्चित करने में अहम है कि अमेरिका और भारत के साथ ही दुनियाभर में अन्य लोकतांत्रिक देश नवोन्मेष और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा दे सकें, ताकि ये रूस और चीन की प्रौद्योगिकी को पछाड़ सकें.
वर्ष 2017 में पेश सीएएटीएसए के तहत रूस से रक्षा और खुफिया लेन-देन करने वाले किसी भी देश के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान है. इसे 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मॉस्को के कथित हस्तक्षेप के जवाब में लाया गया था.
चीन ने हिंदमहासागर में अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है. उसने पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, कंबोडिया, जिबूती, केन्या, तंजानिया, यूएई और ऑस्ट्रेलिया में बंदरगाहों पर भारी निवेश किया है. उसने इन इलाकों में साढ़े तीन सौ से भी अधिक जहाजों को इकट्ठा कर लिया है. इनमें आधे जहाज फाइटर किस्म के हैं. हिंद महासागर के रास्ते से दुनिया का तीन चौथाई व्यापार होता है. यहां पर 14 फीसदी जंगली मछलियां भी पायी जाती हैं. चीन की हर कोशिश है कि वह यहां पर अपना दबदबा बनाए और अमेरिका को काउंटर कर सके.
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