लखनऊ : 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में जातियों के गठजोड़ पर हर तरफ चर्चा तेजी से हो रही है. राजनीतिक दलों के स्तर पर जातियों के सम्मेलन आयोजित हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 से पहले 39 जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करके भारतीय जनता पार्टी की सरकार एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक की कवायद में है और इसको लेकर प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है. आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की संस्तुतियों के आधार पर 39 जातियों को ओबीसी में शामिल करके चुनावी लाभ लेने की भरपूर कोशिश करती हुए नजर आएगी.
वहीं, उत्तर प्रदेश में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के स्तर पर तमाम जातियों को ओबीसी (OBC) में शामिल किए जाने को लेकर प्रक्रिया चल रही है. केंद्र सरकार ने भी राज्यों को ओबीसी जातियों में अन्य जातियों को शामिल करने को लेकर अधिकार दिया है. उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष (दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री) जसवंत सैनी ने तमाम जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग के के स्तर पर यह प्रक्रिया लगातार चलती है.
आयोग में चलती है प्रक्रिया
आयोग में पिछले दिनों से तमाम जातियों को ओबीसी में शामिल किए जाने की प्रक्रिया चल रही है. प्रत्यावेदन प्राप्त होते हैं और उसके बाद बैठक में उनके शामिल किए जाने के बारे में फैसला लेते हुए उन जातियों का सर्वे कराया जाता है. सर्वे कराने के बाद आयोग अगर समझता है कि रिपोर्ट आने के बाद फिर उस पर चर्चा होती है, सुनवाई होती है. इसके बाद फिर उस रिपोर्ट को राज्य सरकार को भेज कर पिछड़ी जातियों में शामिल किए जाने को लेकर संस्तुति की जाती है.
हमारे पास लगातार तमाम जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी में शामिल किए जाने को लेकर प्रत्यावेदन आते हैं. उन पर चर्चा होती है सुनवाई होती है और फिर सर्वे कराकर उसे राज्य सरकार को संस्तुति के लिए भेजने का काम लगातार चलता रहता है. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी ने कहा कि 39 जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने को लेकर सर्वे की प्रक्रिया चल रही है, उनमें से 24 जातियों की सर्वे रिपोर्ट आई है और उसको लेकर सरकार के पास संस्तुति भेजी गई है, बाकी 15 जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने को लेकर सर्वे कराया जा रहा है.
चुनाव से पहले इस प्रकार की प्रक्रिया के सवाल पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष कहते हैं कि हमारा काम सिर्फ जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने को लेकर संस्तुति करने का काम है, बाकी निर्णय करने का काम राज्य सरकार का होता है. सरकार जो उचित समझती है उसके अनुसार वह फैसला करती है. इस पूरी प्रक्रिया को चुनाव से जोड़कर देखे जाने के सवाल पर वह कहते हैं कि यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है. चुनाव से इसका कोई जुड़ाव है, ऐसा नहीं है. तमाम जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने को लेकर आवेदन पहले से आते रहे हैं और उन पर चर्चा सुनवाई, सर्वे और फिर संस्तुति करने की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है. इसे चुनाव से ही जोड़ कर देखना उचित नहीं होगा. 39 जातियों के नाम बताए जाने पर उन्होंने कहा कि वह इनके नाम सार्वजनिक नहीं कर सकते.
इन 39 जातियों को ओबीसी में शामिल करने की तैयारी
ईटीवी भारत को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन 39 जातियों को ओबीसी में शामिल किए जाने की प्रक्रिया चल रही है उनमें यह जातियां शामिल हैं.
- भुर्तियां
- खंगार
- अग्रहरि वैश्य
- दोसर वैश्य
- जयसवाल राजपूत
- बरनवाल वैश्य
- कमलापुरी वैश्य
- क्षत्रिय राजपूत
- डोहर जाति
- अयोध्यावासी वैश्य
- बागवान
- केशरवानी वैश्य,
- उमरबनिया माहौर वैश्य
- हिन्दू भांट भट्ट
- गोरिया जाति
- बोट जाति
- पवरिया जाति
- लवाणा जाति
- महाब्राह्मण
- रुहेला जाति
- मुस्लिम भाँट
- धानकूट जाति
- ऊनाई साहू जाति शामिल हैं.
इनका हो चुका है सर्वे
- विश्नोई जाति
- रवा राजपूत
- पोरवाल जाति
- कुंदेर खरादी जाति
- बनौधिया वैश्य
- सनमाननीय वैश्य जाति
- गुलहरे वैश्य जाति
- गदलद गदहैया
- सिंदुरिया बनिया जाति
- जागा मुसहर जाति
- इराकी जाति
- हरद्वारी वैश्य
- राज मेगार जाति
- विलोच जाति कंकाली जाति शामिल हैं.
ओबीसी में शामिल करने की कवायद चुनावी लाभ लेने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल कहते हैं कि तमाम जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी में शामिल किए जाने की प्रक्रिया चल रही है और 6 महीने बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं, तो यह स्वाभाविक बात है कि यह सब चुनावी कवायद ही हैं. चुनाव में जातियों की अपनी अहमियत होती है. उत्तर प्रदेश का चुनाव या बिहार जैसे राज्यों का चुनाव जातियों के समीकरण के इर्द-गिर्द ही होता है. केंद्र सरकार ने भी राज्यों को यह अधिकार दिया है कि वह पिछड़ा वर्ग श्रेणी में तमाम जातियों को शामिल करने के बारे में अपने स्तर पर फैसला कर सकती है. उत्तर प्रदेश में भी यह प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में चुनाव से पहले अन्य पिछड़ा वर्ग में तमाम जातियों को शामिल किए जाने की प्रक्रिया चल रही है. उससे स्वाभाविक रूप से चुनावी लाभ लेने की कोशिश मानी जाएगी.
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