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उमेश पाल की हत्या के बाद राजूपाल हत्याकांड के गवाह ने बताया जान का खतरा, बोले- कैसे देंगे गवाही

उमेश पाल भी राजूपाल हत्याकांड के गवाह थे. उनकी हत्या के बाद से दूसरे गवाह ओमप्रकाश को भी अपनी जान का खतरा सताने लगा है. उन्होंने सुरक्षा की मांग की है.

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Published : Mar 13, 2023, 3:53 PM IST

राजूपाल हत्याकांड के गवाह ओमप्रकाश पाल अपनी व्यथा बताते हुए.

कौशांबी: उमेश पाल की हत्या के बाद विधायक राजूपाल हत्याकांड के गवाह ओमप्रकाश पाल ने अपनी जान को खतरा बताया है. उसका कहना है कि माफिया अतीक का शार्प शूटर अब्दुल कवि उस पर एक बार हमला कर चुका है. उसके बाद से वह फरार है. अब्दुल कवि उसके बगल के गांव में ही रहता था. ओमप्रकाश का कहना है कि शूटर अब्दुल की गिरफ्तारी के लिए तो पुलिस प्रयास कर रही है लेकिन, उसको कोई सुरक्षा नहीं दी है.

बता दें कि सराय अकिल कोतवाली के चकपिन्हा गांव निवासी ओम प्रकाश पाल भी उमेश पाल की तरह राजूपाल हत्याकांड का गवाह हैं. माफिया अतीक के शार्प शूटर अब्दुल कवि ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर पहली अक्तूबर 2020 को ओमप्रकाश को राजूपाल हत्याकांड में गवाही नहीं देने की धमकी दी थी. साथ ही बात नहीं मनाने पर अब्दुल कवि ने ओम प्रकाश पर तमंचे से फायर भी किया था. उस समय किसी तरह ओम प्रकाश ने मौके से भाग कर अपनी जान बचाई थी. तब ओमप्रकाश की तहरीर पर सरायअकिल कोतवाली में जानलेवा हमला, गाली-गलौज व जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज किया गया था.

उसके बाद से पुलिस ने अब्दुल कवि को गिरफ्तार करने के लिए काफी प्रयास किए लेकिन, वह पकड़ में नहीं आया. पुलिस ने कवि पर 50 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया है. साथ ही उसके घर आने की सूचना मिलने पर पुलिस ने छापा मार कर बुलडोजर कार्रवाई भी की. बुलडोजर कार्रवाई के दौरान पुलिस ने घर से भारी मात्रा में अवैध असलहा बरामद किया था. इसके बाद अब्दुल कवि, उसके भाई और पिता समेत अन्य परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.

ओमप्रकाश किसानी के अलावा प्रयागराज में डेयरी का कारोबार करते हैं. ओमप्रकाश का कहना है वह राजूपाल के साथ रहते थे. उनकी हत्या के बाद अब वह उनकी पत्नी व चायल विधायक पूजा पाल के साथ रहते हैं. सितंबर 2020 में जब उनके साथ घटना हुई तो तत्कालीन थानाध्यक्ष विक्रम सिंह ने तहरीर देने के बाद काफी दिनों तक मुकदमा ही नहीं लिखा था. इसके बाद जानकारी हुई कि मुकदमा दर्ज हो गया है. पुलिस ने मुकदमे की कॉपी तक उन्हें नहीं दी. ओमप्रकाश का कहना है उनकी भी सीबीआई कोर्ट में गवाही होनी है. अगर सुरक्षा होगी, तभी हम गवाही देने जा सकेंगे.

अपर पुलिस अधीक्षक समर बहादुर सिंह के मुताबिक अब्दुल कवि के खिलाफ जितने भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उनकी विवेचना चल रही है. अब्दुल कवि की गिरफ्तारी के लिए कई टीमें भी गठित की गई हैं. जल्द से जल्द गिरफ्तार कर उसे सलाखों के पीछे भेजा जाएगा.

ये भी पढ़ेंः Atiq Ahmed के शूटर बेटे असद की नेपाल और बांग्लादेश में होने की आशंका, UP STF तलाश में जुटी

राजूपाल हत्याकांड के गवाह ओमप्रकाश पाल अपनी व्यथा बताते हुए.

कौशांबी: उमेश पाल की हत्या के बाद विधायक राजूपाल हत्याकांड के गवाह ओमप्रकाश पाल ने अपनी जान को खतरा बताया है. उसका कहना है कि माफिया अतीक का शार्प शूटर अब्दुल कवि उस पर एक बार हमला कर चुका है. उसके बाद से वह फरार है. अब्दुल कवि उसके बगल के गांव में ही रहता था. ओमप्रकाश का कहना है कि शूटर अब्दुल की गिरफ्तारी के लिए तो पुलिस प्रयास कर रही है लेकिन, उसको कोई सुरक्षा नहीं दी है.

बता दें कि सराय अकिल कोतवाली के चकपिन्हा गांव निवासी ओम प्रकाश पाल भी उमेश पाल की तरह राजूपाल हत्याकांड का गवाह हैं. माफिया अतीक के शार्प शूटर अब्दुल कवि ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर पहली अक्तूबर 2020 को ओमप्रकाश को राजूपाल हत्याकांड में गवाही नहीं देने की धमकी दी थी. साथ ही बात नहीं मनाने पर अब्दुल कवि ने ओम प्रकाश पर तमंचे से फायर भी किया था. उस समय किसी तरह ओम प्रकाश ने मौके से भाग कर अपनी जान बचाई थी. तब ओमप्रकाश की तहरीर पर सरायअकिल कोतवाली में जानलेवा हमला, गाली-गलौज व जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज किया गया था.

उसके बाद से पुलिस ने अब्दुल कवि को गिरफ्तार करने के लिए काफी प्रयास किए लेकिन, वह पकड़ में नहीं आया. पुलिस ने कवि पर 50 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया है. साथ ही उसके घर आने की सूचना मिलने पर पुलिस ने छापा मार कर बुलडोजर कार्रवाई भी की. बुलडोजर कार्रवाई के दौरान पुलिस ने घर से भारी मात्रा में अवैध असलहा बरामद किया था. इसके बाद अब्दुल कवि, उसके भाई और पिता समेत अन्य परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.

ओमप्रकाश किसानी के अलावा प्रयागराज में डेयरी का कारोबार करते हैं. ओमप्रकाश का कहना है वह राजूपाल के साथ रहते थे. उनकी हत्या के बाद अब वह उनकी पत्नी व चायल विधायक पूजा पाल के साथ रहते हैं. सितंबर 2020 में जब उनके साथ घटना हुई तो तत्कालीन थानाध्यक्ष विक्रम सिंह ने तहरीर देने के बाद काफी दिनों तक मुकदमा ही नहीं लिखा था. इसके बाद जानकारी हुई कि मुकदमा दर्ज हो गया है. पुलिस ने मुकदमे की कॉपी तक उन्हें नहीं दी. ओमप्रकाश का कहना है उनकी भी सीबीआई कोर्ट में गवाही होनी है. अगर सुरक्षा होगी, तभी हम गवाही देने जा सकेंगे.

अपर पुलिस अधीक्षक समर बहादुर सिंह के मुताबिक अब्दुल कवि के खिलाफ जितने भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उनकी विवेचना चल रही है. अब्दुल कवि की गिरफ्तारी के लिए कई टीमें भी गठित की गई हैं. जल्द से जल्द गिरफ्तार कर उसे सलाखों के पीछे भेजा जाएगा.

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