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ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, हासिल किया मुकाम

तेलंगाना के रहने वाले एक शख्स ने ड्रैगन फ्रूट की खेती में मुकाम हासिल किया है. वह खुद तो इसकी खेती कर ही रहे हैं अन्य किसानों को भी इसकी खेती के लाभ बताकर इसे अपनाने के लिए जागरूक कर रहे हैं. अन्य किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी है. विस्तार से पढ़ें रंगारेड्डी जिले के किसान विनापल्ली श्रीनिवास रेड्डी के सफर के बारे में.

मंचला मंडल के रहने वाले विनापल्ली श्रीनिवास रेड्डी
मंचला मंडल के रहने वाले विनापल्ली श्रीनिवास रेड्डी
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Published : Jul 6, 2021, 4:19 PM IST

Updated : Jul 6, 2021, 9:03 PM IST

हैदराबाद : तेलंगाना के रहने वाले एक शख्स ने 2006 में ड्रैगन फ्रूट (dragon fruit) की खेती करने की ठानी और जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उससे कहीं ज्यादा करके दिखा दिया. हम बात कर रहे हैं रंगारेड्डी जिले के अरुतला गांव के मंचला मंडल के रहने वाले विनापल्ली श्रीनिवास रेड्डी की.

विनापल्ली श्रीनिवास रेड्डी (Vinapalli Srinivasa Reddy) को ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का विचार कैसे आया, इसकी कहनी भी बड़ी दिलचस्प है. विनापल्ली ने खुद से सवाल किया कि यह फल विदेशों से क्यों आयात किया जाता है, हमारे राज्य में क्यों नहीं उगाया जाता. बस फिर क्या था, उन्होंने इस फल को उगाने का फैसला कर लिया. इसके लिए उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की फसल से संबंधित कई शोध और तकनीक सीखी और छह साल पहले इसकी खेती शुरू की.

जो सोचा था कर दिखाया

ड्रैगन फ्रूट की खेती में हासिल किया मुकाम

विनापल्ली ने ड्रैगन फ्रूट की खेती का जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उन्हें उससे ज्यादा सफलता मिली. आज उन्हें इसकी फसल से अच्छा मुनाफा हो रहा है. श्रीनिवास रेड्डी ने कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने और अन्य किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी सरकारी नौकरी भी छोड़ दी. वह इस खेती पर अपनी सफलता के अनुभव अन्य किसानों के साथ साझा करते हैं. वह अन्य किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए जागरूक कर रहे हैं.

कम बारिश वाले क्षेत्रों में भी अच्छी उपज

ड्रैगन फ्रूट की खेती
ड्रैगन फ्रूट की खेती

श्रीनिवास रेड्डी बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी खेती के लिए उपयुक्त है. इसे 10 से 40 डिग्री तापमान वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है. इस फल की खेती ब्लैकबेरी (blackberry) भूमि को छोड़कर किसी भी जगह की जा सकती है. ड्रैगन फ्रूट का बाजार भाव 150 से 200 रुपये प्रति किलो है. उन्होंने बताया कि शुरू में इस फसल के लिए प्रति एकड़ 4 से 5 लाख रुपये खर्च होते हैं और एक साल बाद मुनाफा शुरू हो जाता है.

रासायनिक खाद के छिड़काव की जरूरत नहीं

ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट

श्रीनिवास रेड्डी का कहना है कि रेगिस्तानी पौधा होने के कारण फसल खराब होने का जोखिम बहुत कम होता है. इस खेती को बिना रासायनिक खाद के छिड़काव की आवश्यकता के जैविक रूप से किया जा सकता है. जिस साल से पौधा उगेगा.. फल आएंगे. वह किसानों से अनुरोध करते हैं कि इस ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए आगे आएं जिसमें कई पोषक तत्व और औषधीय गुण हैं. उनका कहना है कि आज के समय में इसका जैम, फ्रूट जूस यहां तक कि फेशियल किट में इस्तेमाल हो रहा है.

रक्त बढ़ाता है ड्रैगन फ्रूट

गुलाबी रंग का फल मूल रूप से चीन का है. इसकी खासियत यह है कि यह रक्त की मात्रा बढ़ाता है. फल का उपयोग च्यवनप्राश और अन्य दवाओं को बनाने में किया जाता है. ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हिलोकेरेस कैक्टस है. तेलंगाना में तो इसकी खेती की ही जा रही है, गुजरात के कच्छ में 1,000 एकड़ से अधिक शुष्क भूमि पर ड्रैगन फ्रूट की खेती हो रही है. ये कमल की तरह दिखता है.

पीएम ने मन की बात में 'ड्रैगन फ्रूट' का किया था जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जुलाई 2020 को 'मन की बात' में ड्रैगन फ्रूट की खेती का उदाहरण 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत दिया था. उन्होंने किसानों से ड्रैगन फलों की अधिक पैदावार करने और फल को कमलम फल कहने का सुझाव दिया था.

सेहत के लिए फायदेमंद है ड्रैगन फ्रूट

  • विशेषज्ञों के अनुसार ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है.
  • इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं.
  • ड्रैगन फ्रूट में विटामिन, प्रोटीन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में रहता है.
  • इस फल का प्रयोग कई बीमारियों में लाभदायक माना जाता है.

पढ़ें- रोजगार के अवसर बढ़ाती ड्रैगन फ्रूट की खेती

पढ़ें- गुजरात में ड्रैगन फ्रूट का नाम 'कमलम' करने पर राजनीति गरमाई

हैदराबाद : तेलंगाना के रहने वाले एक शख्स ने 2006 में ड्रैगन फ्रूट (dragon fruit) की खेती करने की ठानी और जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उससे कहीं ज्यादा करके दिखा दिया. हम बात कर रहे हैं रंगारेड्डी जिले के अरुतला गांव के मंचला मंडल के रहने वाले विनापल्ली श्रीनिवास रेड्डी की.

विनापल्ली श्रीनिवास रेड्डी (Vinapalli Srinivasa Reddy) को ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का विचार कैसे आया, इसकी कहनी भी बड़ी दिलचस्प है. विनापल्ली ने खुद से सवाल किया कि यह फल विदेशों से क्यों आयात किया जाता है, हमारे राज्य में क्यों नहीं उगाया जाता. बस फिर क्या था, उन्होंने इस फल को उगाने का फैसला कर लिया. इसके लिए उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की फसल से संबंधित कई शोध और तकनीक सीखी और छह साल पहले इसकी खेती शुरू की.

जो सोचा था कर दिखाया

ड्रैगन फ्रूट की खेती में हासिल किया मुकाम

विनापल्ली ने ड्रैगन फ्रूट की खेती का जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उन्हें उससे ज्यादा सफलता मिली. आज उन्हें इसकी फसल से अच्छा मुनाफा हो रहा है. श्रीनिवास रेड्डी ने कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने और अन्य किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी सरकारी नौकरी भी छोड़ दी. वह इस खेती पर अपनी सफलता के अनुभव अन्य किसानों के साथ साझा करते हैं. वह अन्य किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए जागरूक कर रहे हैं.

कम बारिश वाले क्षेत्रों में भी अच्छी उपज

ड्रैगन फ्रूट की खेती
ड्रैगन फ्रूट की खेती

श्रीनिवास रेड्डी बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी खेती के लिए उपयुक्त है. इसे 10 से 40 डिग्री तापमान वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है. इस फल की खेती ब्लैकबेरी (blackberry) भूमि को छोड़कर किसी भी जगह की जा सकती है. ड्रैगन फ्रूट का बाजार भाव 150 से 200 रुपये प्रति किलो है. उन्होंने बताया कि शुरू में इस फसल के लिए प्रति एकड़ 4 से 5 लाख रुपये खर्च होते हैं और एक साल बाद मुनाफा शुरू हो जाता है.

रासायनिक खाद के छिड़काव की जरूरत नहीं

ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट

श्रीनिवास रेड्डी का कहना है कि रेगिस्तानी पौधा होने के कारण फसल खराब होने का जोखिम बहुत कम होता है. इस खेती को बिना रासायनिक खाद के छिड़काव की आवश्यकता के जैविक रूप से किया जा सकता है. जिस साल से पौधा उगेगा.. फल आएंगे. वह किसानों से अनुरोध करते हैं कि इस ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए आगे आएं जिसमें कई पोषक तत्व और औषधीय गुण हैं. उनका कहना है कि आज के समय में इसका जैम, फ्रूट जूस यहां तक कि फेशियल किट में इस्तेमाल हो रहा है.

रक्त बढ़ाता है ड्रैगन फ्रूट

गुलाबी रंग का फल मूल रूप से चीन का है. इसकी खासियत यह है कि यह रक्त की मात्रा बढ़ाता है. फल का उपयोग च्यवनप्राश और अन्य दवाओं को बनाने में किया जाता है. ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हिलोकेरेस कैक्टस है. तेलंगाना में तो इसकी खेती की ही जा रही है, गुजरात के कच्छ में 1,000 एकड़ से अधिक शुष्क भूमि पर ड्रैगन फ्रूट की खेती हो रही है. ये कमल की तरह दिखता है.

पीएम ने मन की बात में 'ड्रैगन फ्रूट' का किया था जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जुलाई 2020 को 'मन की बात' में ड्रैगन फ्रूट की खेती का उदाहरण 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत दिया था. उन्होंने किसानों से ड्रैगन फलों की अधिक पैदावार करने और फल को कमलम फल कहने का सुझाव दिया था.

सेहत के लिए फायदेमंद है ड्रैगन फ्रूट

  • विशेषज्ञों के अनुसार ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है.
  • इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं.
  • ड्रैगन फ्रूट में विटामिन, प्रोटीन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में रहता है.
  • इस फल का प्रयोग कई बीमारियों में लाभदायक माना जाता है.

पढ़ें- रोजगार के अवसर बढ़ाती ड्रैगन फ्रूट की खेती

पढ़ें- गुजरात में ड्रैगन फ्रूट का नाम 'कमलम' करने पर राजनीति गरमाई

Last Updated : Jul 6, 2021, 9:03 PM IST
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