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तालिबान ने 'आम माफी' का एलान किया, सरकार में शामिल होने की महिलाओं से अपील - taliban announces

अफगानिस्तान में संकट (Afghan-Taliban Crisis) के बीच तालिबान ने महिलाओं को लेकर बड़ा एलान किया है. तालिबान के एक अधिकारी ने अफगानिस्तान में सभी के लिए 'आम माफी' का एलान करते हुए महिलाओं से सरकार में शामिल होने की अपील की है.

तालिबान ने 'आम माफी' का ऐलान किया, महिलाओं से सरकार में शामिल होने की गुजारिश की
तालिबान ने 'आम माफी' का ऐलान किया, महिलाओं से सरकार में शामिल होने की गुजारिश की
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Published : Aug 17, 2021, 1:12 PM IST

Updated : Aug 17, 2021, 3:54 PM IST

काबुल : तालिबान ने मंगलवार को पूरे अफगानिस्तान में 'आम माफी' की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया. इसके अलावा तालिबान ने सभी सरकारी अधिकारियों से भी माफी मांगी है और उनसे काम पर लौटने का आग्रह किया है. यह घोषणा तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमाने के दो दिन बाद की गई है.

एक दिन पहले तालिबान शासन से बचने के लिए हजारों लोग भागने की कोशिश कर रहे थे. हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला था. उसके बाद तालिबान का यह बयान सुकून देने वाला हो सकता है, बशर्ते इसकी मंशा सही हो.

इस बीच भारत सरकार ने काबुल में भारतीय दूतावास के कर्मचारियों, राजनयिकों और कर्मियों को बाहर निकाल लिया है. IAG का C-17 भारी-भरकम विमान, काबुल के राजनयिकों, अधिकारियों और पत्रकारों के दूसरे जत्थे को लेकर गुजरात के जामनगर में उतरा. अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत रुद्रेंद्र टंडन 120 अन्य राजनयिकों और अधिकारियों के साथ उड़ान में मौजूद थे.

सोमवार दोपहर को भारतीय वायु सेना (IAF) एक विमान C-17 वहां तैनात दूतावास के कर्मचारियों सहित लगभग 45 भारतीयों को लेकर भारत लौटा था.

अफगान सुरक्षा बलों के खिलाफ एक महीने के लंबे संघर्ष के बाद इस्लामिक संगठन तालिबान से जुड़े आतंकवादियों ने रविवार (15 अगस्त) को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी देश से भाग गए, जिसकी अत्यधिक आलोचना हुई.

तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य इनामुल्ला समनगनी ने पहली बार संघीय स्तर पर शासन की ओर से टिप्पणी की है. काबुल में उत्पीड़न या लड़ाई की बड़ी घटना अबतक दर्ज नहीं की गई है और तालिबान द्वारा जेलों पर कब्जा कर कैदियों को छुड़ाने एवं हथियारों को लूटने की घटना के बाद कई शहरी घरों में मौजूद हैं, लेकिन भयभीत हैं.

पुरानी पीढ़ी तालिबान की अतिवादी विचार को याद कर रही है जब 11 सितंबर 2001 को न्यूयॉर्क पर हमले के बाद अमेरिका की अफगानिस्तान में घुसपैठ से पहले सजा के तौर पर पत्थर से मारने और सार्वजनिक तौर पर फांसी की सजा दी जाती थी.

समानगनी ने कहा, इस्लामी अमीरात नहीं चाहता कि महिलाएं पीड़ित हों. उन्हें शरीया कानून के तहत सरकारी ढांचे में शामिल होना चाहिए. उन्होंने कहा, सरकार का ढांचा अबतक स्पष्ट नहीं है लेकिन अनुभवों के आधार पर, कह सकता हूं कि यह पूर्णत: इस्लामिक नेतृत्व वाला होगा और सभी पक्ष इसमें शामिल होंगे.

इस बीच, मंगलवार को नाटो के अफगानिस्तान में वरिष्ठ नागरिक प्रतिनिधि स्टीफेनो पोंटेकार्वो ने वीडियो पोस्ट किया है जिसमें दिख रहा है कि हवाई अड्डे की उड़ान पट्टी खाली है और अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. तस्वीर में चैन से बनी सुरक्षा दीवार के पीछे सेना का मालवाहक विमान को देखा जा सकता है.

उन्होंने ट्वीट किया, रनवे खुल गया है. मैं विमानों को उड़ान भरते और उतरते देख रहा हूं.

फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक रात में अमेरिकी नौसेना कमान का केसी-130जे हरक्युलिस विमान काबुल हवाई अड्डे पर उतरा और इसके बाद कतर स्थित अमेरिकी ठिकाने अल उदेद के लिए रवाना हो गया. यह अमेरिकी सेना के मध्य कमान का मुख्यालय है. अबतक अफगान हवाई क्षेत्र में कोई दूसरा विमान नहीं देखा गया है.

बता दें कि, दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है.

विद्रोहियों ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया और कुछ ही दिनों में सभी बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया क्योंकि अमेरिका और इसके सहयोगियों द्वारा प्रशिक्षित अफगान सुरक्षाबलों ने घुटने टेक दिए.

तालिबान का 1990 के दशक के अंत में देश पर कब्जा था और अब एक बार फिर उसका कब्जा हो गया है.

पढ़ें : काबुल हवाईअड्डा खाेला गया, अमेरिका ने उतारे सैनिक

अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए भीषण आतंकी हमलों के बाद वाशिंगटन ने ओसामा बिन लादेन और उसे शरण देने वाले तालिबान को सबक सिखाने के लिए धावा बोला तथा विद्रोहियों को सत्ता से अपदस्थ कर दिया. बाद में, अमेरिका ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को भी मार गिराया.

अमेरिकी सैनिकों की अब वापसी शुरू होने के बाद तालिबान ने देश में फिर से अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में पूरे देश पर कब्जा कर पश्चिम समर्थित अफगान सरकार को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया.

विगत में तालिबान की बर्बरता देख चुके अफगानिस्तान के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. काबुल हवाईअड्डे पर देश छोड़ने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि लोग किस हद तक तालिबान से भयभीत हैं.

लोगों को पूर्व में 1996 से 2001 तक तालिबान द्वारा की गई बर्बरता की बुरी यादें डरा रही हैं. सबसे अधिक चिंतित महिलाएं हैं जिन्हें तालिबान ने विगत में घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया था.

काबुल : तालिबान ने मंगलवार को पूरे अफगानिस्तान में 'आम माफी' की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया. इसके अलावा तालिबान ने सभी सरकारी अधिकारियों से भी माफी मांगी है और उनसे काम पर लौटने का आग्रह किया है. यह घोषणा तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमाने के दो दिन बाद की गई है.

एक दिन पहले तालिबान शासन से बचने के लिए हजारों लोग भागने की कोशिश कर रहे थे. हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला था. उसके बाद तालिबान का यह बयान सुकून देने वाला हो सकता है, बशर्ते इसकी मंशा सही हो.

इस बीच भारत सरकार ने काबुल में भारतीय दूतावास के कर्मचारियों, राजनयिकों और कर्मियों को बाहर निकाल लिया है. IAG का C-17 भारी-भरकम विमान, काबुल के राजनयिकों, अधिकारियों और पत्रकारों के दूसरे जत्थे को लेकर गुजरात के जामनगर में उतरा. अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत रुद्रेंद्र टंडन 120 अन्य राजनयिकों और अधिकारियों के साथ उड़ान में मौजूद थे.

सोमवार दोपहर को भारतीय वायु सेना (IAF) एक विमान C-17 वहां तैनात दूतावास के कर्मचारियों सहित लगभग 45 भारतीयों को लेकर भारत लौटा था.

अफगान सुरक्षा बलों के खिलाफ एक महीने के लंबे संघर्ष के बाद इस्लामिक संगठन तालिबान से जुड़े आतंकवादियों ने रविवार (15 अगस्त) को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी देश से भाग गए, जिसकी अत्यधिक आलोचना हुई.

तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य इनामुल्ला समनगनी ने पहली बार संघीय स्तर पर शासन की ओर से टिप्पणी की है. काबुल में उत्पीड़न या लड़ाई की बड़ी घटना अबतक दर्ज नहीं की गई है और तालिबान द्वारा जेलों पर कब्जा कर कैदियों को छुड़ाने एवं हथियारों को लूटने की घटना के बाद कई शहरी घरों में मौजूद हैं, लेकिन भयभीत हैं.

पुरानी पीढ़ी तालिबान की अतिवादी विचार को याद कर रही है जब 11 सितंबर 2001 को न्यूयॉर्क पर हमले के बाद अमेरिका की अफगानिस्तान में घुसपैठ से पहले सजा के तौर पर पत्थर से मारने और सार्वजनिक तौर पर फांसी की सजा दी जाती थी.

समानगनी ने कहा, इस्लामी अमीरात नहीं चाहता कि महिलाएं पीड़ित हों. उन्हें शरीया कानून के तहत सरकारी ढांचे में शामिल होना चाहिए. उन्होंने कहा, सरकार का ढांचा अबतक स्पष्ट नहीं है लेकिन अनुभवों के आधार पर, कह सकता हूं कि यह पूर्णत: इस्लामिक नेतृत्व वाला होगा और सभी पक्ष इसमें शामिल होंगे.

इस बीच, मंगलवार को नाटो के अफगानिस्तान में वरिष्ठ नागरिक प्रतिनिधि स्टीफेनो पोंटेकार्वो ने वीडियो पोस्ट किया है जिसमें दिख रहा है कि हवाई अड्डे की उड़ान पट्टी खाली है और अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. तस्वीर में चैन से बनी सुरक्षा दीवार के पीछे सेना का मालवाहक विमान को देखा जा सकता है.

उन्होंने ट्वीट किया, रनवे खुल गया है. मैं विमानों को उड़ान भरते और उतरते देख रहा हूं.

फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक रात में अमेरिकी नौसेना कमान का केसी-130जे हरक्युलिस विमान काबुल हवाई अड्डे पर उतरा और इसके बाद कतर स्थित अमेरिकी ठिकाने अल उदेद के लिए रवाना हो गया. यह अमेरिकी सेना के मध्य कमान का मुख्यालय है. अबतक अफगान हवाई क्षेत्र में कोई दूसरा विमान नहीं देखा गया है.

बता दें कि, दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है.

विद्रोहियों ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया और कुछ ही दिनों में सभी बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया क्योंकि अमेरिका और इसके सहयोगियों द्वारा प्रशिक्षित अफगान सुरक्षाबलों ने घुटने टेक दिए.

तालिबान का 1990 के दशक के अंत में देश पर कब्जा था और अब एक बार फिर उसका कब्जा हो गया है.

पढ़ें : काबुल हवाईअड्डा खाेला गया, अमेरिका ने उतारे सैनिक

अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए भीषण आतंकी हमलों के बाद वाशिंगटन ने ओसामा बिन लादेन और उसे शरण देने वाले तालिबान को सबक सिखाने के लिए धावा बोला तथा विद्रोहियों को सत्ता से अपदस्थ कर दिया. बाद में, अमेरिका ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को भी मार गिराया.

अमेरिकी सैनिकों की अब वापसी शुरू होने के बाद तालिबान ने देश में फिर से अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में पूरे देश पर कब्जा कर पश्चिम समर्थित अफगान सरकार को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया.

विगत में तालिबान की बर्बरता देख चुके अफगानिस्तान के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. काबुल हवाईअड्डे पर देश छोड़ने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि लोग किस हद तक तालिबान से भयभीत हैं.

लोगों को पूर्व में 1996 से 2001 तक तालिबान द्वारा की गई बर्बरता की बुरी यादें डरा रही हैं. सबसे अधिक चिंतित महिलाएं हैं जिन्हें तालिबान ने विगत में घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया था.

Last Updated : Aug 17, 2021, 3:54 PM IST
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