नई दिल्ली : अगले वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें से चार राज्यों में भाजपा के पक्ष में माहौल दिख रहा है, जहां वह सरकार बना सकती है. एबीपी-सीवोटर-आईएएनएस बैटल फॉर द स्टेट्स - वेव 1 के दौरान चुनावी राज्यों के मतदाताओं से ली गई राय में यह सामने आया है.
भाजपा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में अन्य पार्टियों से आगे नजर आ रही है. वहीं आम आदमी पार्टी (आप) वर्तमान में पंजाब में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में आगे चल रही है, जो बहुमत से थोड़ी पीछे दिखाई दी है. आप पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में एक प्रमुख चुनौती या करीबी तीसरे पक्ष के रूप में उभरी है.
कांग्रेस को सभी राज्य इकाइयों में गंभीर संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें पंजाब और मणिपुर ऐसे राज्य हो सकते हैं, जहां उसे उम्मीदों से कहीं अधिक निराशा हाथ लग सकती है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं, जबकि भाजपा आराम से दोनों से आगे निकलने में सक्षम दिखाई दे रही है.
सर्वेक्षण से पता चलता है कि सत्ता विरोधी भावनाओं और कोविड महामारी ने भाजपा की सापेक्ष वोट पकड़ने की क्षमता को प्रभावित नहीं किया है. जैसा कि सर्वेक्षण में पाया गया है, कांग्रेस की स्थिति संकटग्रस्त बनी हुई है और वह एक ऐसा एकजुट संगठन बनाने में असमर्थ है, जो एक सार्थक चुनौती पेश कर सके.
अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में भाजपा (एनडीए) 42 फीसदी वोट शेयर हासिल कर सकती है. यह प्रभावशाली ब्राह्मण मतदाताओं के कुछ वर्ग के गुस्से के बावजूद है. एसपी 30 फीसदी वोटों के अनुमान के साथ दूसरे स्थान पर है और बसपा को 16 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. 5 प्रतिशत अनुमानित वोट शेयर के साथ कांग्रेस एक सीमांत यानी मार्जिनल पार्टी बनी हुई है.
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अनुमानित 263 सीटों के साथ भाजपा आराम से बहुमत के आंकड़े को पार करने के लिए तैयार है. यह संख्या 2017 की तुलना में 62 कम है. इसलिए, कुछ सत्ता विरोधी लहर कही जा सकती है, लेकिन वह नुकसान पार्टी को बहुमत तक पहुंचने में रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है. सर्वे में पाया गया है कि सपा 113 सीटों के साथ प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभरेगी. बसपा का वोट शेयर और सीटों की संख्या में नुकसान की उम्मीद है और उसे केवल 14 सीटें मिलने का अनुमान है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में सबसे लोकप्रिय नेता के तौर पर उभरे हैं और सर्वे में शामिल 40 फीसदी लोगों ने उन्हें पसंदीदा सीएम के रूप में नामित किया है. सपा के अखिलेश यादव 28 फीसदी पुष्टि के साथ दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता हैं. पूर्व सीएम मायावती 15 फीसदी वोटिंग के साथ तीसरे स्थान पर हैं.
यूपी भाजपा का नेतृत्व एक ऐसा नेता कर रहा है, जो अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से करीब 13 फीसदी लोकप्रियता रेटिंग अंक से आगे है. साथ ही, यूपी भाजपा लगभग 12 फीसदी वोट शेयर से निकटतम प्रतिद्वंद्वी एसपी से आगे नेतृत्व करती हुई दिखाई दे रही है. इसलिए, भाजपा को उत्तर प्रदेश में लोकप्रिय नेतृत्व और मजबूत वोट बैंक का लाभ प्राप्त है.
वहीं अगर पंजाब की बात की जाए तो आम आदमी पार्टी के पंजाब में 55 सीट शेयर और 35 फीसदी वोट शेयर के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनने का अनुमान है. गुटों से घिरी कांग्रेस 29 फीसदी वोट शेयर और 42 सीट शेयर अनुमान के साथ दूसरे नंबर पर रह सकती है.
एक आश्चर्यजनक अवलोकन में, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21.6 फीसदी वोटिंग के साथ पंजाब में सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में पेश किया गया है. यह ध्यान देने योग्य है कि यह आंशिक रूप से आम आदमी पार्टी द्वारा एक मुख्यमंत्री का चेहरा पेश नहीं किए जाने के कारण भी लोगों ने केजरीवाल को चुना है. वहीं अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता (19 फीसदी) हैं, इसके बाद मौजूदा सीएम अमरिंदर सिंह (18 फीसदी) हैं.
नए पीपीसीसी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू मतदाताओं के बीच अधिक लोकप्रिय के तौर पर नहीं देखे गए हैं, सीएम की पसंद के लिए उनकी लोकप्रियता संख्या (15 फीसदी) आप के भगवंत मान (16 फीसदी) से पीछे है. सिद्धू वर्तमान में पंजाब के नेतृत्व के सबसे बड़े 5 नेताओं में सबसे कम लोकप्रिय हैं.
किसानों के विरोध और अकाली दल के साथ गठबंधन के नुकसान से उत्पन्न गुस्से के कारण भाजपा की पंजाब इकाई हाल के दशकों में अपने सबसे खराब प्रदर्शन को देख रही है. पार्टी को मामूली वोट शेयर में वृद्धि जरूर मिल सकती है और उसे कुल मतों का 7 फीसदी हासिल हो सकता है, लेकिन वह एक भी विधानसभा सीट जीतने में असफल हो सकती है.
पंजाब में कांग्रेस के बड़े साहसिक दांव सिद्धू ने कोई ठोस लाभ नहीं दिखाया है. बल्कि इस कदम ने पार्टी को बांट दिया है. आम आदमी पार्टी को स्पष्ट रूप से किसान विरोध और सत्ता विरोधी लहर से फायदा हो रहा है, लेकिन सीएम चेहरे की अनुपस्थिति पार्टी को बहुमत के निशान से पीछे ही छोड़ रही है. अकाली दल और भाजपा दोनों अलग होने के बाद अपनी जीत का फॉमूर्ला नहीं ढूंढ पा रहे हैं.
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उत्तराखंड की बात की जाए तो कम समय में ही अपने मुख्यमंत्रियों को बदलने की नीति का पालन करने के बावजूद, भाजपा का इस बार भी राज्य जीतने का अनुमान है. बीजेपी को 43 फीसदी वोट शेयर और 46 सीटें जीतने का अनुमान है. कांग्रेस को अपनी स्थानीय इकाई द्वारा उत्साही लड़ाई के बावजूद 33 फीसदी वोट शेयर हासिल करने का अनुमान है. यह वोट शेयर 21 सीटों में तब्दील हो सकता है.
भाजपा के इस आश्चर्यजनक प्रदर्शन का मुख्य कारण पहाड़ी राज्य में आप का उदय है. आप को 15 फीसदी वोट शेयर हासिल करने का अनुमान है और इस तरह कांग्रेस के रास्ते में आने वाले सत्ता विरोधी वोटों का एक बड़ा हिस्सा छीन लिया जाएगा. हालांकि आप के वोट ऑफ शेयर में इस वृद्धि के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण संख्या में सीटें नहीं हो सकती हैं, क्योंकि पार्टी को सर्वेक्षण में दो सीटें जीतने का अनुमान है.
विडंबना यह है कि कांग्रेस को दूसरे स्थान पर रखा गया है, लेकिन उसके नेता मुख्यमंत्री की पसंद के रूप में सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं. हरीश रावत को राज्य के 31 फीसदी लोगों ने मुख्यमंत्री के तौर पर पसंद किया है.
मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 22.5 फीसदी लोकप्रियता के साथ दूसरे स्थान पर हैं. भाजपा के अनिल बलूनी 19 फीसदी लोकप्रियता के साथ तीसरे स्थान पर हैं. आप के कर्नल कोठियाल उत्तराखंड के लगभग 10 फीसदी लोगों के लिए पसंदीदा मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं.
गोवा की बात की जाए तो, जब भाजपा-कांग्रेस-आप की बात आती है तो गोवा उत्तराखंड के मामले की तरह ही है. बीजेपी 39 फीसदी के अनुमानित वोट शेयर और 24 सीटों के सीट शेयर के साथ सरकार बनाने की स्थिति में दिखाई दे रही है.
भाजपा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत आप से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से पूरे 19 फीसदी अंक से आगे चल रहे हैं. वर्तमान में उन्हें 33 फीसदी गोवावासी मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के रूप में पसंद कर रहे हैं.
आप कांग्रेस को विपक्ष की गद्दी से हटाने वाली प्रमुख विपक्षी पार्टी के रूप में उभर सकती है. आप को 15 फीसदी वोट शेयर और 5 सीटें जीतने का अनुमान है. जबकि कांग्रेस को भी 15 फीसदी वोट शेयर और 5 सीटें जीतने का अनुमान है.
सीएम सावंत ने सत्ता विरोधी लहर का प्रबंधन करने का एक सक्षम काम किया है और वह गोवा कांग्रेस के पूर्ण विघटन से लाभान्वित हो रहे हैं. इसलिए सत्ता विरोधी वोट आप और कांग्रेस के बीच बंट रहे हैं. यह भाजपा के लिए शुभ संकेत है. गैर-विवादास्पद स्थानीय नेतृत्व और कांग्रेस के विघटन के कारण सत्ता-विरोधी वोटों के बंटवारे के दम पर भाजपा गोवा में बढ़त बनाती दिख रही है.
मणिपुर की बात करें तो यहां भाजपा गठबंधन 41 फीसदी वोट शेयर और 34 सीटों के साथ राज्य में जीत हासिल कर सकता है. यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत के कई क्षेत्रों में सत्ता विरोधी लहर को मात देने की भाजपा की क्षमता की भौगोलिक विविधता का संकेत देता है.
वर्तमान में, भाजपा भारत के उत्तर, पूर्व और पश्चिम में सत्ता विरोधी लहर को मात देने में सक्षम है.मणिपुर में कांग्रेस प्रमुख विपक्षी दल के अपने दर्जे पर कायम रह सकती है.पूर्वोत्तर भारत में भाजपा का सुनहरा दौर जारी रहने की उम्मीद की जा रही है. शेष भारत की तरह कांग्रेस नेतृत्व की कमी और विश्वसनीयता के संकट का सामना कर रही है.
सर्वेक्षण के दौरान पांच राज्यों में 690 विधानसभा सीटों पर 81,006 लोगों की राय ली गई है. यह राज्य सर्वेक्षण पिछले 22 वर्षों में भारत में स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय मतदान एजेंसी सीवोटर द्वारा आयोजित सबसे बड़े और निश्चित स्वतंत्र नमूना सर्वेक्षण ट्रैकर श्रृंखला का हिस्सा है.
(आईएएनएस)