नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को केंद्र सरकार (Central Government) से कहा कि उसके पास स्ट्रेट जैकेट फॉर्मूला नहीं हो सकता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण हर मामले में प्राकृतिक न्याय को खत्म किया जा सकता है, क्योंकि हर मामले में संदर्भ अलग होता है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की खंडपीठ मध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड (Madhyam Broadcasting Limited) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
इसमें केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें केंद्र के सील कवर प्रस्तुत करने के आधार पर उनके लाइसेंस को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा गया था. शीर्ष अदालत में भी सरकार ने सीलबंद लिफाफा पेश किया, जिसका याचिकाकर्ताओं ने विरोध करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में वे कुछ भी कर रहे हैं.
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एएसजी केएम नटराज ने अदालत के फैसलों का हवाला दिया और आज अदालत से कहा कि जो राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है वह कानून का सवाल नहीं है और यदि राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा है तो कोई भी, अकेले न्यायालय, कार्रवाई करने के लिए पूर्व शर्त के रूप में प्राकृतिक न्याय के अनुपालन पर जोर नहीं दे सकता है.
इस पर कोर्ट ने कहा कि उसके पास सभी मामलों के लिए इस तरह का स्ट्रेट फॉर्मूला जैकेट नहीं हो सकता. कोर्ट ने कहा कि जब रद्द करने के कारणों को सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत किया जाता है, तो याचिकाकर्ताओं को यह नहीं पता होता है कि वे क्या कर रहे हैं, उन्हें पता नहीं होता कि खुद को कैसे पेश करें और यह अनुचित है कि वे नहीं जानते कि हमारे दिमाग में क्या चला गया है, मन की स्थिति क्या होती है, जब एक आदेश पारित किया जाता है.
पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट का नाम बदलने की मांग वाली याचिका खारिज की
कोर्ट ने पूछा कि क्या चैनल पर कभी उनके खिलाफ कोई विशेष आरोप लगाया गया, जिसका चैनल ने खंडन किया. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आपको हमें संतुष्ट करना होगा कि फाइल में कुछ ऐसा है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि अदालत अनिच्छुक है, जहां सरकार और अदालत सीलबंद लिफाफे को देखती है, लेकिन इसे याचिकाकर्ताओं के साथ साझा नहीं करती है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को विस्तार से सुना और फैसला सुरक्षित रख लिया.