नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) परिसर, वाराणसी में खोजे गए 'शिवलिंग' की सुरक्षा के लिए अपने पहले के आदेश को बढ़ा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक शिवलिंग की सुरक्षा को बढ़ा दिया है. उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी विवाद से जुड़े मुकदमे में अपना पक्ष मजबूत बनाने के लिए हिंदू पक्षों को वाराणसी के जिला न्यायाधीश के समक्ष आवेदन करने की अनुमति दी है. उच्चतम न्यायालय ने सर्वेक्षण आयुक्त की नियुक्ति के संबंध में उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली ज्ञानवापी मस्जिद समिति की याचिका पर हिंदू पक्षों से तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा.
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Supreme Court extends its earlier order for the protection of 'Shivling’ discovered at Gyanvapi mosque complex, Varanasi. SC extends the protection till further order. pic.twitter.com/T7ugEevWfb
— ANI (@ANI) November 11, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">Supreme Court extends its earlier order for the protection of 'Shivling’ discovered at Gyanvapi mosque complex, Varanasi. SC extends the protection till further order. pic.twitter.com/T7ugEevWfb
— ANI (@ANI) November 11, 2022Supreme Court extends its earlier order for the protection of 'Shivling’ discovered at Gyanvapi mosque complex, Varanasi. SC extends the protection till further order. pic.twitter.com/T7ugEevWfb
— ANI (@ANI) November 11, 2022
इस मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि 'सुप्रीम कोर्ट ने 'शिवलिंग' क्षेत्र (ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में) के लिए सीलिंग आदेश को अगले आदेश तक बढ़ा दिया है. अदालत ने हमें मुस्लिम पक्ष की एक याचिका का जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है.'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार को एक पीठ गठित करने पर सहमत हुआ था. संबंधित याचिका में हिंदू पक्ष ने उस आदेश के विस्तार की मांग की थी, जिसके द्वारा ज्ञानवापी परिसर में 'शिवलिंग' क्षेत्र की सुरक्षा का आदेश दिया गया था.
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प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने बीते गुरुवार को हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन की दलीलों पर गौर करते हुए कहा था कि मामले में दिया गया संरक्षण का आदेश 12 नवंबर को समाप्त हो रहा है और इसके विस्तार की आवश्यकता है.