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राम मंदिर में 51 इंच की होगी रामलला की मूर्ति, आज से शुरू हो रहा प्राण प्रतिष्ठा पूजन, जानिए कब क्या होगा - अरुण योगीराज मैसूर

अयोध्या राम मंदिर में जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी, उसका चयन कर लिया गया है. मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई प्रतिमा मंदिर में स्थापित होगी.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 15, 2024, 6:05 PM IST

Updated : Jan 16, 2024, 9:47 AM IST

अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज की प्रतिमा का चयन किया गया है.

अयोध्या : राम मंदिर में स्थापित की जाने वाली रामलला की प्रतिमा का चयन कर लिया गया है. मैसूर के रहने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई मूर्ति को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने पसंद किया है. 22 जनवरी को पीएम मोदी इसी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. मकर संक्रांति पर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मीडिया के साथ यह जानकारी साझा की.

डेढ़ से 200 किलो वजनी और 51 इंच की श्याम वर्ण में है रामलला की प्रतिमा

चंपत राय ने बताया कि अरुण योगीराज के परिवार में प्रतिमा निर्माण का काम वर्षों से किया जाता रहा है. उन्होंने देश में कई सुंदर प्रतिमाएं बनाई हैं. बताया कि अयोध्या में भी भगवान राम के बाल स्वरूप वाली 51 इंच की प्रतिमा का चयन किया गया है. इस प्रतिमा का निर्माण अरुण योगीराज ने किया है. यह प्रतिमा 5 वर्ष के बालक की कोमलता को समेटे हुए बेहद भव्य और सुंदर है. 18 जनवरी की दोपहर इस प्रतिमा को नवनिर्मित गर्भ गृह में स्थापित कर दिया जाएगा. इसके अलावा पूर्व से ही राम जन्मभूमि परिसर में पूजित की जा रही प्रतिमा को भी स्थान उसी जगह पर दिया जाएगा. भगवान राम की नवनिर्मित प्रतिमा लगभग डेढ़ सौ से 200 किलो की है. जिसे 18 जनवरी की दोपहर गर्भ गृह के अंदर बने आसन पर खड़ा कर दिया जाएगा.

राम जन्मभूमि परिसर में ही होंगे सभी धार्मिक अनुष्ठान

चंपत राय ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े सभी अनुष्ठान राम जन्मभूमि परिसर के अंदर ही होंगे. ईशान कोण पर यज्ञशाला का निर्माण किया गया है, जिसमें 9 कुंड बनाए गए हैं. पूरे भारत से चुने गए कुल लगभग 120 वैदिक विद्वानों द्वारा अनुष्ठान संपन्न कराए जाएंगे. एकरूपता बनी रहे, इसके लिए काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ और पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण होंगे. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से जुड़ी सभी तैयारियां अंतिम चरण में हैं और बेहद भव्य रूप से प्राप्त प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न होगा.

रामानंद संप्रदाय से जुड़ा है राम मंदिर

बीते दिनों मंदिर में होने वाली पूजा परंपरा और संप्रदाय को लेकर उठे विवाद पर चंपत राय ने स्पष्ट रूप से कहा कि अयोध्या में रामानुज और रामानंद, दो संप्रदाय हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास का आश्रम कनक भवन और राम मंदिर रामानंद संप्रदाय से जुड़े हैं. इसके अलावा कई अन्य मंदिर भी रामानंद संप्रदाय के हैं. वहीं सुग्रीव किला कौशलेश सदन,अशर्फी भवन श्री राम लाल देवस्थानम सहित कई अन्य मंदिर रामानुज संप्रदाय से जुड़े हैं. अयोध्या का राम मंदिर रामानंद संप्रदाय से जुड़ा है. यहां पर पूजा परंपरा इस संप्रदाय के अनुसार होगी.

20 जनवरी से ही आम श्रद्धालुओं के लिए बंद हो जाएंगे दर्शन

अयोध्या में रामभक्तों के दर्शन-पूजन से जुड़ी जानकारी देते हुए चंपत राय ने बताया है कि 20 जनवरी से आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन बंद करने की योजना पर विचार चल रहा है. क्योंकि अंदर परिसर में तमाम धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे. ऐसे में श्रद्धालुओं की भीड़ से अव्यवस्था होगी, इसके दृष्टिगत 20-21 जनवरी को सामान्य दर्शन बंद करने पर विमर्श हो रहा है. राम भक्तों से आग्रह है कि 23 जनवरी से वह अयोध्या में दर्शन कर सकते हैं. हमारा यह भी प्रयास है कि पूरे दिन में श्रद्धालुओं को दर्शन संपन्न कराकर उन्हें शाम तक विदा कर दिया जाए. क्योंकि ठंड अधिक है, ऐसे में उन्हें यहां असुविधा हो सकती है. इसलिए दिन भर में ही दर्शन पूजन का कार्यक्रम संपन्न कर लोगों को शाम तक वापस घर भेजने की हमारी योजना है.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए पूरे प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की मिनट टू मिनट जानकारी जारी की है. जिसके अनुसार भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को आ रहा है. सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ कल अर्थात 16 जनवरी 2024 से होगा, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा.

द्वादश अधिवास निम्नानुसार आयोजित होंगे

-16 जनवरी - प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन
- 17 जनवरी - मूर्ति का परिसर प्रवेश
-18 जनवरी (सायं): तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास
- 19 जनवरी (प्रातः): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास
- 19 जनवरी (सायं): धान्याधिवास
- 20 जनवरी (प्रातः): शर्कराधिवास, फलाधिवास
- 20 जनवरी (सायं): पुष्पाधिवास
- 21 जनवरी (प्रातः): मध्याधिवास
- 21 जनवरी (सायं): शय्याधिवास

121 आचार्य संपन्न कराएंगे प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम

सामान्यत: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं. समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे. श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे.

विविध प्रतिष्ठान: भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन के लिए पधारेंगे.

अलग-अलग परंपराओं का होगा समायोजन

शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएं इसमें भाग लेंगी.

देश के अलग-अलग राज्यों से लाए गए उपहार होंगे समर्पित

गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्ण होने के बाद सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा. श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है. इसे अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है. समारोह के पूर्व विभिन्न राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि के साथ आ रहे हैं. उनमें से सबसे उल्लेखनीय थे मां जानकी के मायके से भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए. रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं.

यह भी पढ़ें : कांग्रेस के अयोध्या राम मंदिर ना जाने पर सियासत तेज, अब केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया अटैक

यह भी पढ़ें : अखिलेश यादव को मिला राम मंदिर का निमंत्रण, बोले-प्राण प्रतिष्ठा के बाद परिवार संग करूंगा दर्शन

अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज की प्रतिमा का चयन किया गया है.

अयोध्या : राम मंदिर में स्थापित की जाने वाली रामलला की प्रतिमा का चयन कर लिया गया है. मैसूर के रहने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई मूर्ति को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने पसंद किया है. 22 जनवरी को पीएम मोदी इसी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. मकर संक्रांति पर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मीडिया के साथ यह जानकारी साझा की.

डेढ़ से 200 किलो वजनी और 51 इंच की श्याम वर्ण में है रामलला की प्रतिमा

चंपत राय ने बताया कि अरुण योगीराज के परिवार में प्रतिमा निर्माण का काम वर्षों से किया जाता रहा है. उन्होंने देश में कई सुंदर प्रतिमाएं बनाई हैं. बताया कि अयोध्या में भी भगवान राम के बाल स्वरूप वाली 51 इंच की प्रतिमा का चयन किया गया है. इस प्रतिमा का निर्माण अरुण योगीराज ने किया है. यह प्रतिमा 5 वर्ष के बालक की कोमलता को समेटे हुए बेहद भव्य और सुंदर है. 18 जनवरी की दोपहर इस प्रतिमा को नवनिर्मित गर्भ गृह में स्थापित कर दिया जाएगा. इसके अलावा पूर्व से ही राम जन्मभूमि परिसर में पूजित की जा रही प्रतिमा को भी स्थान उसी जगह पर दिया जाएगा. भगवान राम की नवनिर्मित प्रतिमा लगभग डेढ़ सौ से 200 किलो की है. जिसे 18 जनवरी की दोपहर गर्भ गृह के अंदर बने आसन पर खड़ा कर दिया जाएगा.

राम जन्मभूमि परिसर में ही होंगे सभी धार्मिक अनुष्ठान

चंपत राय ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े सभी अनुष्ठान राम जन्मभूमि परिसर के अंदर ही होंगे. ईशान कोण पर यज्ञशाला का निर्माण किया गया है, जिसमें 9 कुंड बनाए गए हैं. पूरे भारत से चुने गए कुल लगभग 120 वैदिक विद्वानों द्वारा अनुष्ठान संपन्न कराए जाएंगे. एकरूपता बनी रहे, इसके लिए काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ और पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण होंगे. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से जुड़ी सभी तैयारियां अंतिम चरण में हैं और बेहद भव्य रूप से प्राप्त प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न होगा.

रामानंद संप्रदाय से जुड़ा है राम मंदिर

बीते दिनों मंदिर में होने वाली पूजा परंपरा और संप्रदाय को लेकर उठे विवाद पर चंपत राय ने स्पष्ट रूप से कहा कि अयोध्या में रामानुज और रामानंद, दो संप्रदाय हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास का आश्रम कनक भवन और राम मंदिर रामानंद संप्रदाय से जुड़े हैं. इसके अलावा कई अन्य मंदिर भी रामानंद संप्रदाय के हैं. वहीं सुग्रीव किला कौशलेश सदन,अशर्फी भवन श्री राम लाल देवस्थानम सहित कई अन्य मंदिर रामानुज संप्रदाय से जुड़े हैं. अयोध्या का राम मंदिर रामानंद संप्रदाय से जुड़ा है. यहां पर पूजा परंपरा इस संप्रदाय के अनुसार होगी.

20 जनवरी से ही आम श्रद्धालुओं के लिए बंद हो जाएंगे दर्शन

अयोध्या में रामभक्तों के दर्शन-पूजन से जुड़ी जानकारी देते हुए चंपत राय ने बताया है कि 20 जनवरी से आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन बंद करने की योजना पर विचार चल रहा है. क्योंकि अंदर परिसर में तमाम धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे. ऐसे में श्रद्धालुओं की भीड़ से अव्यवस्था होगी, इसके दृष्टिगत 20-21 जनवरी को सामान्य दर्शन बंद करने पर विमर्श हो रहा है. राम भक्तों से आग्रह है कि 23 जनवरी से वह अयोध्या में दर्शन कर सकते हैं. हमारा यह भी प्रयास है कि पूरे दिन में श्रद्धालुओं को दर्शन संपन्न कराकर उन्हें शाम तक विदा कर दिया जाए. क्योंकि ठंड अधिक है, ऐसे में उन्हें यहां असुविधा हो सकती है. इसलिए दिन भर में ही दर्शन पूजन का कार्यक्रम संपन्न कर लोगों को शाम तक वापस घर भेजने की हमारी योजना है.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए पूरे प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की मिनट टू मिनट जानकारी जारी की है. जिसके अनुसार भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को आ रहा है. सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ कल अर्थात 16 जनवरी 2024 से होगा, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा.

द्वादश अधिवास निम्नानुसार आयोजित होंगे

-16 जनवरी - प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन
- 17 जनवरी - मूर्ति का परिसर प्रवेश
-18 जनवरी (सायं): तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास
- 19 जनवरी (प्रातः): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास
- 19 जनवरी (सायं): धान्याधिवास
- 20 जनवरी (प्रातः): शर्कराधिवास, फलाधिवास
- 20 जनवरी (सायं): पुष्पाधिवास
- 21 जनवरी (प्रातः): मध्याधिवास
- 21 जनवरी (सायं): शय्याधिवास

121 आचार्य संपन्न कराएंगे प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम

सामान्यत: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं. समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे. श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे.

विविध प्रतिष्ठान: भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन के लिए पधारेंगे.

अलग-अलग परंपराओं का होगा समायोजन

शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएं इसमें भाग लेंगी.

देश के अलग-अलग राज्यों से लाए गए उपहार होंगे समर्पित

गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्ण होने के बाद सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा. श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है. इसे अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है. समारोह के पूर्व विभिन्न राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि के साथ आ रहे हैं. उनमें से सबसे उल्लेखनीय थे मां जानकी के मायके से भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए. रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं.

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Last Updated : Jan 16, 2024, 9:47 AM IST
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