फरीदकोट: पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार (Aam Aadmi Party government in Punjab) बनने पर जहां राज्य का हर वर्ग खुशी मना रहा था, वहीं खटकर कलां में मुख्यमंत्री के शपथ-ग्रहण समारोह की तैयारियों के दौरान चमत्कार हो गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार फरीदकोट जिले के शेर सिंह वाला गांव निवासी 29 वर्षीय जसविंदर सिंह पिछले सात साल से लापता था. वह सेना भर्ती की तैयारी के लिए सुबह दौड़ने निकला लेकिन फिर घर नहीं लौटा. जो बुधवार को परिवार से मिला.
दरअसल, लापता होने के बाद जसविंदर के परिवार ने उसकी तलाश की, लेकिन वह कहीं नहीं मिला. जसविंदर के परिवार ने बताया कि वह सेना में भर्ती के लिए प्रैक्टिस करने के लिए रोज दौड़ता था. 10 मार्च 2015 को वह दौड़ने गया लेकिन घर नहीं लौटा. परिजनों ने उसे खोजने की काफी कोशिश की लेकिन नाकाम रहे. बुधवार को वह बहुत खुश हुये जब सादिक थाने की पुलिस ने उन्हें बताया कि उनका बेटा जसविंदर सिंह ठीक है. वह भगवंत मान के शपथ-ग्रहण समारोह की तैयारी के लिए खटकर कलां में बने तंबू में मजदूर का काम कर रहा है.
ऐसे हुई पहचान: परिवार ने बताया कि मुख्यमंत्री के शपथ-ग्रहण समारोह में पुलिस कर्मियों ने सुरक्षा कारणों से समारोह की तैयारियों में शामिल सभी कार्यकर्ताओं के पहचान-पत्र मांगे थे. लेकिन जसविंदर सिंह के पास कोई पहचान पत्र नहीं था. तब उसने मौखिक रूप से अपना नाम और घर का पूरा पता संबंधित अधिकारियों को लिखकर दिया. फिर फरीदकोट पुलिस से जसविंदर सिंह की जांच की जानकारी मिली.
घर वालों को मिलीं खुशियां: यह खबर सुनकर उनके परिजन और ग्रामीण खुशी से झूम उठे. पूरे गांव में खुशी का माहौल है और देर रात जसविंदर सिंह को भी उनके घर लाया गया. 7 साल बाद उनकी बहनों ने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी. यहां पत्रकारों से बात करते हुए जसविंदर सिंह ने कहा कि उन्हें एक व्यक्ति अमृतसर ले गया था जिसके बारे में वह नहीं जानते थे. उन्होंने कहा कि अमृतसर साहिब में वह रोजाना एक सेठी टेंट मालिक के यहां काम करते थे लेकिन उन्हें पूरा भुगतान नहीं किया जाता था. उन्होंने कहा कि उनके साथ कई अन्य लड़के भी थे जो घर से भाग गए थे और वहीं रह रहे थे.
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भगवंत मान का शुक्रिया: इस मौके पर जसविंदर के माता-पिता ने कहा कि अगर भगवंत मान नहीं जीते होते, तो शायद आज उनका बेटा नहीं मिलता. उन्होंने नई सरकार से यह भी मांग की है कि जिस व्यक्ति ने उनके बेटे को इतने लंबे समय तक काम पर रखा और परिवार को सूचित नहीं किया. न ही उसे 7 साल का वेतन दिया. ऐसे दुकान मालिक के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए और परिवार को न्याय दिलाया जाए.