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श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष का दावा: ज्ञानवापी के वजूखाने में शिवलिंग ही मिला, उठाई ये मांग - tampering with the constitution

श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष ने दावा किया है कि ज्ञानवापी में मिला पत्थर शिवलिंग ही है. उन्होंने इसकी पूजा का अधिकार मांगा है.

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श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष
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Published : May 21, 2022, 6:43 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी विवाद में रोज नए-नए दावे और खुलासे हो रहे हैं. श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो नागेंद्र पांडेय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में दावा किया है कि ज्ञानवापी के वजूखाने में मिला पत्थर शिवलिंग ही है. उन्होंने इसकी पूजा का अधिकार मांगा है ताकि कोई पाप का भागी न बने. इसके पीछे उन्होंने शास्त्रीय विधान का तर्क दिया है. साथ ही उन्होंने न्यास की भूमिका को भी महत्वपूर्ण मानते हुए व्यक्तिगत रूप से इस मामले में न्यायालय के समक्ष जाकर पूरे प्रकरण में वादी बनने की इच्छा भी जताई है.

श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पहली बात वह मस्जिद है ही नहीं. सिर्फ ऊपर का हिस्सा मस्जिद का स्ट्रक्चर है, बाकी हिस्सा मंदिर का है. मंदिर की वीडियोग्राफी के दौरान जो भी चीजें सामने आईं हैं वह यह साफ करने के लिए काफी हैं कि वहां पर कभी मस्जिद थी ही नहीं.

श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष ने किया यह दावा.
उनका कहना था कि अंदर वजूखाने के तालाब में जो भी काले रंग के पत्थर का जिक्र किया जा रहा है वह मैं अपनी तरफ से यह दावे के साथ कहना चाहता हूं कि वह शिवलिंग ही है, क्योंकि वह पूरा हिस्सा ही पुरातन मंदिर का हिस्सा है और कभी भी कोई शिवलिंग या ज्योतिर्लिंग एक नहीं होता. उसके आसपास बड़ी संख्या में शिवलिंग मौजूद होते हैं. यह जांच का विषय है कि वह विश्वेश्वर का शिवलिंग है या किसी और महादेव का लेकिन है तो शिवलिंग. उन्होंने कहा कि इस शिवलिंग के मिलने के बाद अब यह जरूरी है की इसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाए. जब भी कोई मूर्ति या फिर शिवलिंग कहीं मिलती है तो उसकी स्थापना करके उसका पूजा पाठ करना अनिवार्य होता है. शास्त्रीय विधान के मुताबिक हिंदू सनातन धर्म में किसी भी प्रतिमा को एक बाल रूप में माना जाता है. जिस तरह से एक बच्चे का ध्यान रखा जाता है वैसे ही इस प्रतिमा को नहलाना, उसको भोग लगाना, पूजा-पाठ व आरती अनिवार्य होती है. यदि ऐसा नहीं होता है तो पाप का भागी हर कोई बनता है. यही वजह है कि न्यास परिषद के अध्यक्ष के तौर पर मैं यह मांग करता हूं कि हमें उसकी पूजा और स्थापना का अधिकार दिया जाए ताकि काशी के साथ पूरा विश्व इस पाप का भागी बनने से बच सके. प्रो नागेंद्र पांडेय का कहना था कि मैं इस शिवलिंग को न्यास परिषद को सौंपने की मांग करता हूं ताकि इसको सुरक्षित और सनातन धर्म के तरीके से स्थापित करते हुए पूजा पाठ संपन्न कराया जा सके. उन्होंने कहा कि मैं इस पूरे मामले को काशी विश्वनाथ न्यास परिषद की बैठक में भी उठाऊंगा. न्यास की तरफ से मैं व्यक्तिगत रूप से इस पूरे मामले का वादी बनने को तैयार हूं. मैं चाहता हूं कि मैं कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होकर अपनी इन सारी बातों को उनके आगे रख पाऊं.

यह स्पष्ट कर दूं कि जिसे यह मस्जिद बता रहे हैं, वह मंदिर था, है और रहेगा. अंदर मिले प्रमाण और पश्चिमी हिस्से में मंदिर का स्ट्रक्चर सब कुछ साफ करने के लिए काफी है. इस शिवलिंग की पूजा का अधिकार न्यास परिषद को दिया जाना आवश्यक है.

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वाराणसी: ज्ञानवापी विवाद में रोज नए-नए दावे और खुलासे हो रहे हैं. श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो नागेंद्र पांडेय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में दावा किया है कि ज्ञानवापी के वजूखाने में मिला पत्थर शिवलिंग ही है. उन्होंने इसकी पूजा का अधिकार मांगा है ताकि कोई पाप का भागी न बने. इसके पीछे उन्होंने शास्त्रीय विधान का तर्क दिया है. साथ ही उन्होंने न्यास की भूमिका को भी महत्वपूर्ण मानते हुए व्यक्तिगत रूप से इस मामले में न्यायालय के समक्ष जाकर पूरे प्रकरण में वादी बनने की इच्छा भी जताई है.

श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पहली बात वह मस्जिद है ही नहीं. सिर्फ ऊपर का हिस्सा मस्जिद का स्ट्रक्चर है, बाकी हिस्सा मंदिर का है. मंदिर की वीडियोग्राफी के दौरान जो भी चीजें सामने आईं हैं वह यह साफ करने के लिए काफी हैं कि वहां पर कभी मस्जिद थी ही नहीं.

श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष ने किया यह दावा.
उनका कहना था कि अंदर वजूखाने के तालाब में जो भी काले रंग के पत्थर का जिक्र किया जा रहा है वह मैं अपनी तरफ से यह दावे के साथ कहना चाहता हूं कि वह शिवलिंग ही है, क्योंकि वह पूरा हिस्सा ही पुरातन मंदिर का हिस्सा है और कभी भी कोई शिवलिंग या ज्योतिर्लिंग एक नहीं होता. उसके आसपास बड़ी संख्या में शिवलिंग मौजूद होते हैं. यह जांच का विषय है कि वह विश्वेश्वर का शिवलिंग है या किसी और महादेव का लेकिन है तो शिवलिंग. उन्होंने कहा कि इस शिवलिंग के मिलने के बाद अब यह जरूरी है की इसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाए. जब भी कोई मूर्ति या फिर शिवलिंग कहीं मिलती है तो उसकी स्थापना करके उसका पूजा पाठ करना अनिवार्य होता है. शास्त्रीय विधान के मुताबिक हिंदू सनातन धर्म में किसी भी प्रतिमा को एक बाल रूप में माना जाता है. जिस तरह से एक बच्चे का ध्यान रखा जाता है वैसे ही इस प्रतिमा को नहलाना, उसको भोग लगाना, पूजा-पाठ व आरती अनिवार्य होती है. यदि ऐसा नहीं होता है तो पाप का भागी हर कोई बनता है. यही वजह है कि न्यास परिषद के अध्यक्ष के तौर पर मैं यह मांग करता हूं कि हमें उसकी पूजा और स्थापना का अधिकार दिया जाए ताकि काशी के साथ पूरा विश्व इस पाप का भागी बनने से बच सके. प्रो नागेंद्र पांडेय का कहना था कि मैं इस शिवलिंग को न्यास परिषद को सौंपने की मांग करता हूं ताकि इसको सुरक्षित और सनातन धर्म के तरीके से स्थापित करते हुए पूजा पाठ संपन्न कराया जा सके. उन्होंने कहा कि मैं इस पूरे मामले को काशी विश्वनाथ न्यास परिषद की बैठक में भी उठाऊंगा. न्यास की तरफ से मैं व्यक्तिगत रूप से इस पूरे मामले का वादी बनने को तैयार हूं. मैं चाहता हूं कि मैं कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत होकर अपनी इन सारी बातों को उनके आगे रख पाऊं.

यह स्पष्ट कर दूं कि जिसे यह मस्जिद बता रहे हैं, वह मंदिर था, है और रहेगा. अंदर मिले प्रमाण और पश्चिमी हिस्से में मंदिर का स्ट्रक्चर सब कुछ साफ करने के लिए काफी है. इस शिवलिंग की पूजा का अधिकार न्यास परिषद को दिया जाना आवश्यक है.

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