गोरखपुर: इतिहास के पन्नों में 'श्रवण कुमार' नाम एक ऐसे आज्ञाकारी पुत्र के रूप में दर्ज है, जो न सिर्फ अपने अंधे मां-बाप की सेवा भक्ति में लीन रहते हैं, बल्कि उन्हें तीर्थाटन कराने के लिए अपने कंधे पर लादकर लेकर भी जाते हैं. पुत्र की मातृ-पितृ भक्ति का इससे बड़ा कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता. लेकिन, ईटीवी भारत अपने पाठकों के लिए एक ऐसे मातृ भक्त बेटे की खबर लेकर आया है, जो कर्नाटक से स्कूटर पर लेकर अपनी मां को तीर्थ यात्रा कराने निकला हुआ है. वह भारत के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों के दर्शन अपनी मां को इस यात्रा में करने की ठानकर निकला है. वह पड़ोसी मुल्क नेपाल, म्यांमार और भूटान में भी जो धार्मिक स्थल हैं, उनकी यात्रा अपनी मां को करा चुका है. इस यात्रा के क्रम में कृष्ण कुमार जिसका पूरा नाम डॉ दक्षिणमुर्ति कृष्ण कुमार है, जो गोरखपुर पहुंचे. उन्होंने अपनी मां को बाबा गोरखनाथ और शहर के प्रसिद्ध काली मंदिर गोलघर के दर्शन कराए.
कृष्ण कुमार की इस दौरान ईटीवी भारत से भेंट होती है. वह बातचीत में कहते हैं कि माता-पिता की सेवा करने से बड़ा पुण्य कमाना और कुछ नहीं हो सकता. उनका यह सपना था, जिसे वह पूरा करने में जुटे हुए हैं. कृष्ण कुमार ने कहा कि वह 13 साल तक कर्नाटक में एक अच्छी फर्म में काम करके जो पैसे कमाए और बचाए उसको मां के अकाउंट में रखकर उसके ब्याज से अपनी यात्रा के खर्च को वहन कर रहे हैं. किसी से भी एक रुपये की मदद नहीं लेता. कृष्ण कुमार कहते हैं कि इस धार्मिक तीर्थ यात्रा में उन्हें अद्भुत भारत का दर्शन प्राप्त हुआ है, जिससे मन बहुत ही प्रसन्न है.
![डॉ दक्षिणमुर्ति कृष्ण कुमार अपनी मां के साथ](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-gkp-01-kalyugs-shravan-kumar-set-out-on-a-scooter-to-take-his-mother-for-pilgrimage-measured-distance-of-70-thousand-kilometers-so-far-special-pkg-7201177_15052023074356_1505f_1684116836_848.jpg)
उन्होने कहा कि 20 साल पहले जो स्कूटर मुझे मेरे पिताजी ने दिया था, उसी स्कूटर से मां को यात्रा कराता आ रहा हूं. कृष्ण कुमार मूलतः कर्नाटक के मैसूर स्थित वोगादी के निवासी हैं. इनकी उम्र 42 वर्ष है. उनकी मां 73 वर्षीय चूड़ारत्नम्मा इस सफर में बेटे के उत्साह के साथ पूरे मनोयोग और मजबूती के साथ चल रही हैं. कृष्ण कुमार की मंजिल में अभी कई और धार्मिक स्थलों पर जाना शामिल है. अब वह अयोध्या की तरफ बढ़ चुके हैं. इसके पूर्व वह केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, पांडिचेरी, गोवा, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, कन्याकुमारी और अन्य राज्यों में भ्रमण कर चुके हैं.
![गोरखपुरडॉ दक्षिणमुर्ति कृष्ण कुमार अपनी मां को लेकर स्कूटर से तीर्थ यात्रा के लिए निकले](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-gkp-01-kalyugs-shravan-kumar-set-out-on-a-scooter-to-take-his-mother-for-pilgrimage-measured-distance-of-70-thousand-kilometers-so-far-special-pkg-7201177_15052023074356_1505f_1684116836_331.jpg)
कृष्ण कुमार की मां चूड़ारत्नम्मा भी पूरी तरह खुशहाल नजर आईं. वह अपने बेटे के समर्पण से पूरी तरह अभिभूत थीं. कृष्ण कुमार ने बताया कि 16 जनवरी 2018 को उन्होंने अपनी यात्रा मैसूर से शुरू की. अपनी इस यात्रा का नाम 'संकल्प सेवा यात्रा' दिया है. इसको लेकर वह निरंतर आगे बढ़ रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में कृष्ण कुमार की मां ने कहा कि उनके बेटे ने पूरे भारत में जितने भी पुण्य क्षेत्र हैं, उसका उन्हें दर्शन कराकर उनके जीवन को धन्य बना दिया है.
उन्होंने समाज को यह संदेश दिया कि बुढ़ापे में अपने माता-पिता की अच्छे से देखभाल करना. उन्हें अपने से अलग नहीं करना चाहिए. अपने साथ रखकर उनकी तबीयत का पूरा ख्याल रखना चाहिए. माता-पिता बोलने वाले भगवान हैं. इसलिए उन्हें अपने साथ ही रखना चाहिए. बुढ़ापे में उनके मन को तकलीफ नहीं देना उनको सुख देना. उनको सहारा देकर स्वस्थ रखना. जैसे बेटे लोग पत्नी और बच्चे का देखभाल करते हैं, वैसे ही अपने मां-बाप का बुढ़ापे में ख्याल रखना. उन्हें अपने से अलग नहीं रखना. उनके मन को दुख देने से बच्चे लोगों की भलाई नहीं होता. कृष्ण कुमार की मां अपने बेटे के इस कर्तव्य से पूरी तरह आनंदित और आह्लादित हैं. वह देव दर्शन और पुत्र के समर्पण से खुद को धन्य महसूस कर रही हैं.
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