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श्रमजीवी विस्फोट; एक आतंकी बांग्लादेशी तो दूसरा पश्चिम बंगाल का, लश्कर ए तैयबा से ली थी ट्रेनिंग - Jaunpur Court News

Terrorist Attack 2005: आतंकी बांग्लादेशी नागरिक हिलालुद्दीन व पश्चिम बंगाल के नफीकुल विश्वास का संबंध पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा से था. आतंकियों ने पूरी प्लानिंग के साथ विस्फोट किया था.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 3, 2024, 7:14 PM IST

सजा सुनाए जाने के बाद आतंकियों को जेल लेकर जाते पुलिस अधिकारी.

जौनपुर: श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन की जनरल बोगी में 28 जुलाई 2005 को सिंगरामऊ रेलवे स्टेशन के हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग के पास विस्फोट हुआ था. इस मामले में अब तक चार आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है. इसमें दो को आज यानी बुधवार को सजा सुनाई गई. आज जिनको सजा सुनाई गई उनमें से एक आतंकी बांग्लादेश का तो दूसरा पश्चिम बंगाल का रहने वाला है. दोनों का पाकिस्तानी आतंकी संगठव लश्कर ए तैयबा से रहा है. माना जा रहा है कि ट्रेन ब्लास्ट की ट्रेनिंग आतंकियों को इसी आतंकी संगठन में मिली थी.

जौनपुर जिले की अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की कोर्ट के जज राजेश राय ने बांग्लादेशी नागरिक हिलालुद्दीन व पश्चिम बंगाल के नफीकुल विश्वास को फांसी की सजा सुनाई है. इसके पहले वर्ष 2016 में बांग्लादेशी आलमगीर उर्फ रोनी और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य ओबेदुर्रहमान को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. हालांकि दोनों ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर कर रखी है.

कोर्ट के फैसले के बारे में जानकारी देते डीजीसी क्रिमिनल वीरेंद्र कुमार मौर्य.

श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में जो विस्फोट हुआ था उसमें आलमगीर उर्फ रोनी को ट्रेन की बोगी में बम रखने का जिम्मा दिया गया था. जबकि, ओबेदुर्रहमान को बम बनाने की जिम्मेदारी मिली थी. इसी के तहत आलमगीर ने ट्रेन की बोगी में बम रखा था. कोर्ट ने इन दोनों आतंकियों को 31 अगस्त 2016 को फांसी की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने ओबैदुर्रहमान और आलमगीर पर 10 लाख 30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था.

श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन संख्या 12391 जब पटना से दिल्ली जा रही थी, तब उसमें जौनपुर के पास विस्फोट हुआ था. विस्फोट में 14 यात्रियों की मौत हो गई थी. जिसमें दो यात्री जौनपुर के रहने वाले थे. घटना में 62 यात्री घायल भी हुए थे. ट्रेन के गार्ड जफर अली की तहरीर पर जीआरपी थाने में केस दर्ज हुआ था. आतंकियों ने ट्रेन की जनरल बोगी में अटैची में बम रखा था. दिल्ली की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकियों के अनुसार इस ब्लास्ट की साजिश जुलाई 2005 में रची गई थी.

सहायक शासकीय अधिवक्ता विरेंद्र प्रताप मौर्या ने बताया कि श्रमजीवी विस्फोट कांड में कुल 43 गवाह पेश किए गए थे. श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट मामले में कोर्ट ने हिलालुद्दीन को 302 149 307 149 148 आईपीसी में फांसी की सजा और 14 फॉरेनर्स एक्ट तहत व तीन विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 150, रेलवे एक्ट के तहत आजीवन कारावास, वहीं 151 रेलवे एक्ट के तहत 5 वर्ष की सजा दोनों आरोपियों पर को सुनाई है.

हिलालुद्दीन पर बम बनाने बम बांधने और पटना जंक्शन से ट्रेन में बम रखने का आरोप भी कोर्ट ने सिद्ध हुआ है. वहीं, नफीकुल विश्वास जो पश्चिम बंगाल का रहने वाला है. उसका रोल हिलालुद्दीन को बॉर्डर पार कराना और साथ में ट्रेन में रखने के लिए बम उपलब्ध कराना था, जो कोर्ट ने सिद्ध किया है.

ये भी पढ़ेंः श्रमजीवी एक्सप्रेस विस्फोट; दो और आतंकियों को फांसी की सजा, 18 साल पहले हुई थी 14 यात्रियों की मौत

सजा सुनाए जाने के बाद आतंकियों को जेल लेकर जाते पुलिस अधिकारी.

जौनपुर: श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन की जनरल बोगी में 28 जुलाई 2005 को सिंगरामऊ रेलवे स्टेशन के हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग के पास विस्फोट हुआ था. इस मामले में अब तक चार आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है. इसमें दो को आज यानी बुधवार को सजा सुनाई गई. आज जिनको सजा सुनाई गई उनमें से एक आतंकी बांग्लादेश का तो दूसरा पश्चिम बंगाल का रहने वाला है. दोनों का पाकिस्तानी आतंकी संगठव लश्कर ए तैयबा से रहा है. माना जा रहा है कि ट्रेन ब्लास्ट की ट्रेनिंग आतंकियों को इसी आतंकी संगठन में मिली थी.

जौनपुर जिले की अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की कोर्ट के जज राजेश राय ने बांग्लादेशी नागरिक हिलालुद्दीन व पश्चिम बंगाल के नफीकुल विश्वास को फांसी की सजा सुनाई है. इसके पहले वर्ष 2016 में बांग्लादेशी आलमगीर उर्फ रोनी और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य ओबेदुर्रहमान को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. हालांकि दोनों ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर कर रखी है.

कोर्ट के फैसले के बारे में जानकारी देते डीजीसी क्रिमिनल वीरेंद्र कुमार मौर्य.

श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में जो विस्फोट हुआ था उसमें आलमगीर उर्फ रोनी को ट्रेन की बोगी में बम रखने का जिम्मा दिया गया था. जबकि, ओबेदुर्रहमान को बम बनाने की जिम्मेदारी मिली थी. इसी के तहत आलमगीर ने ट्रेन की बोगी में बम रखा था. कोर्ट ने इन दोनों आतंकियों को 31 अगस्त 2016 को फांसी की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने ओबैदुर्रहमान और आलमगीर पर 10 लाख 30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था.

श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन संख्या 12391 जब पटना से दिल्ली जा रही थी, तब उसमें जौनपुर के पास विस्फोट हुआ था. विस्फोट में 14 यात्रियों की मौत हो गई थी. जिसमें दो यात्री जौनपुर के रहने वाले थे. घटना में 62 यात्री घायल भी हुए थे. ट्रेन के गार्ड जफर अली की तहरीर पर जीआरपी थाने में केस दर्ज हुआ था. आतंकियों ने ट्रेन की जनरल बोगी में अटैची में बम रखा था. दिल्ली की स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकियों के अनुसार इस ब्लास्ट की साजिश जुलाई 2005 में रची गई थी.

सहायक शासकीय अधिवक्ता विरेंद्र प्रताप मौर्या ने बताया कि श्रमजीवी विस्फोट कांड में कुल 43 गवाह पेश किए गए थे. श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट मामले में कोर्ट ने हिलालुद्दीन को 302 149 307 149 148 आईपीसी में फांसी की सजा और 14 फॉरेनर्स एक्ट तहत व तीन विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 150, रेलवे एक्ट के तहत आजीवन कारावास, वहीं 151 रेलवे एक्ट के तहत 5 वर्ष की सजा दोनों आरोपियों पर को सुनाई है.

हिलालुद्दीन पर बम बनाने बम बांधने और पटना जंक्शन से ट्रेन में बम रखने का आरोप भी कोर्ट ने सिद्ध हुआ है. वहीं, नफीकुल विश्वास जो पश्चिम बंगाल का रहने वाला है. उसका रोल हिलालुद्दीन को बॉर्डर पार कराना और साथ में ट्रेन में रखने के लिए बम उपलब्ध कराना था, जो कोर्ट ने सिद्ध किया है.

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