जयपुर. शरद पूर्णिमा पर मध्य रात्रि में ठाकुरजी के लिए खीर प्रसादी बनाकर उसे चांद की रोशनी में रखने की परंपरा रही है, लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण होने की वजह से न तो खीर प्रसादी तैयार की जाएगी, न ठाकुरजी को भोग लगाया जाएगा. यही नहीं इस चंद्र ग्रहण का अलग-अलग राशियों पर भी सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
ज्योतिषाचार्य डॉ. मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कि 28 और 29 अक्टूबर की मध्य रात्रि में चंद्र ग्रहण रहेगा. ये साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है. इसका सूतक 28 अक्टूबर को शाम 4:05 पर लगेगा और रात को 1:05 बजे पर ग्रहण शुरू होगा जो कि रात में 2:22 तक रहेगा यानी 1 घंटा 17 मिनट इस ग्रहण की अवधि होगी. ये ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा.
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ग्रहण काल में खाद्य वस्तु दूषित : उन्होंने बताया कि इसी दिन शरद पूर्णिमा भी है और शरद पूर्णिमा पर ठाकुरजी को खीर का भोग लगाया जाता है. रात में खीर को खुले आसमान में चांद की रोशनी में रखा जाता है और अगले दिन उसे ग्रहण करते हैं, लेकिन इस बार चंद्र ग्रहण होने के कारण खीर प्रसाद नहीं बनाया जा सकेगा. पौराणिक मान्यता है कि ग्रहण काल में खाद्य वस्तु दूषित होती है. उन्होंने बताया कि यूं तो ग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन इसका सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव होता है.
राशि और उनके प्रभाव
- मेष राशि : आत्मविश्वास में वृद्धि करेगा
- वृषभ राशि : धन हानि के योग
- मिथुन राशि : अकस्मात लाभ के अवसर
- कर्क राशि : संपत्ति से लाभ के अवसर
- सिंह राशि : शिक्षा में सुधार और सफलता के योग
- कन्या राशि : धन हानि और मानहानि के योग
- तुला राशि : विवाह का प्रस्ताव लाएगा
- वृश्चिक राशि : कष्टों से मुक्ति दिलाएगा
- धनु राशि : विदेश से लाभ
- मकर राशि : कार्य में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा
- कुंभ राशि : लाभ में कमी
- मीन राशि : शुभ खर्चों में वृद्धि
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दृष्टिगोचर से पहले रहेगा प्रभाव : ज्योतिशाचार्य के अनुसार सूर्योदय के साथ सूर्य दिखाई नहीं देता. सूर्य तब दिखाई देता है, जब वो क्षितिज पर उभरने लगता है, हालांकि सूर्य उदय उससे पहले हो चुका होता है. ठीक इसी तरह से जो ग्रहण दृष्टिगोचर होता है. उससे पहले ही उसका प्रभाव शुरू हो जाता है, जिसे सूतक मानते हैं, यानी उस क्षण से इस ग्रहण का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ना शुरू होगा और जब चंद्रमा पर पूरी तरह से ग्रहण लगेगा, उस समय को ग्रहण काल कहा जाता है.
खाने-पीने का परित्याग : अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार कहीं मंदिरों में भगवान के पट खुले रहेंगे, तो कहीं इन्हें बंद रखा जाएगा. कुछ जगह ग्रहण काल में हवन और हनुमान चालीसा भी की जाएगी. ज्योतिषाचार्य डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस ग्रहण काल में खाने-पीने का परित्याग करना चाहिए. बना हुआ भोजन रसोई घर में नहीं रखना चाहिए और यदि कोई भोजन रह गया है, तो उसे उपयोग में नहीं लेना चाहिए. कच्ची सामग्री का प्रयोग किया जा सकता है. इसी तरह फलों को धोकर इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं, ग्रहण के बाद राशि के अनुसार दान भी करना चाहिए, इससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव कम से कम पड़ता है.