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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बूथ कैप्चरिंग, फर्जी मतदान से सख्ती से निपटा जाना चाहिए

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Published : Jul 23, 2021, 2:14 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने झारखंड में एक मतदान केंद्र पर दंगा करने के मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की अपील को खारिज करते हुए कहा कि बूथ कब्जा करने या फर्जी वोटिंग (booth capturing attempt bogus voting) के किसी भी प्रयास से कड़ाई से निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह अंततः कानून और लोकतंत्र के शासन को प्रभावित करता है.

booth capturing attempt bogus voting
booth capturing attempt bogus voting

नई दिल्ली : चुनाव के दौरान बाहुबल का प्रयोग, मतदान केंद्र पर दंगा और बूथ कैप्चरिंग जैसे प्रकरण से निपटने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रूख दिखाया है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि मतदान की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है. कोर्ट ने कहा कि चुनाव को प्रभावित करने के किसी भी प्रयास से कड़ाई से निपटा जाना चाहिए.

अपने पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि मतदान की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है. पीठ ने कहा, 'चुनावी प्रणाली का सार यह होना चाहिए कि मतदाताओं को अपनी पसंद का प्रयोग करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो. इसलिए बूथ कब्जा करने या फर्जी वोटिंग के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह अंततः लोकतंत्र और कानून के शासन को प्रभावित करता है.'

शुक्रवार को न्यायालय ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए वोट डालने की गोपनीयता जरूरी है. पीठ ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों में गोपनीयता बनाए रखना जरूरी है, लोकतंत्र में जहां प्रत्यक्ष चुनाव होते हैं, ऐसे में यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि मतदाता बिना किसी डर के अपना वोट डाले और अपने वोट का खुलासा होने पर उसे निशाना नहीं बनाया जाए.

पीठ ने कहा, 'लोकतंत्र और स्वतंत्र चुनाव संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं. चुनाव एक ऐसा तंत्र है जो अंततः लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है. किसी को भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के अधिकार को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.'

यह भी पढ़ें- सांसद नवनीत कौर को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

शीर्ष अदालत ने लक्ष्मण सिंह की अपील खारिज कर दी. सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (जान बूझकर चोट पहुंचाना) और 147 (दंगा) के तहत दोषी ठहराया गया था. याचिका में कहा गया कि राज्य ने सिंह को दी गई छह महीने की सजा के खिलाफ अपील को प्राथमिकता नहीं दी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : चुनाव के दौरान बाहुबल का प्रयोग, मतदान केंद्र पर दंगा और बूथ कैप्चरिंग जैसे प्रकरण से निपटने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रूख दिखाया है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि मतदान की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है. कोर्ट ने कहा कि चुनाव को प्रभावित करने के किसी भी प्रयास से कड़ाई से निपटा जाना चाहिए.

अपने पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि मतदान की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है. पीठ ने कहा, 'चुनावी प्रणाली का सार यह होना चाहिए कि मतदाताओं को अपनी पसंद का प्रयोग करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो. इसलिए बूथ कब्जा करने या फर्जी वोटिंग के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह अंततः लोकतंत्र और कानून के शासन को प्रभावित करता है.'

शुक्रवार को न्यायालय ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए वोट डालने की गोपनीयता जरूरी है. पीठ ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों में गोपनीयता बनाए रखना जरूरी है, लोकतंत्र में जहां प्रत्यक्ष चुनाव होते हैं, ऐसे में यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि मतदाता बिना किसी डर के अपना वोट डाले और अपने वोट का खुलासा होने पर उसे निशाना नहीं बनाया जाए.

पीठ ने कहा, 'लोकतंत्र और स्वतंत्र चुनाव संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं. चुनाव एक ऐसा तंत्र है जो अंततः लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है. किसी को भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के अधिकार को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.'

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शीर्ष अदालत ने लक्ष्मण सिंह की अपील खारिज कर दी. सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (जान बूझकर चोट पहुंचाना) और 147 (दंगा) के तहत दोषी ठहराया गया था. याचिका में कहा गया कि राज्य ने सिंह को दी गई छह महीने की सजा के खिलाफ अपील को प्राथमिकता नहीं दी.

(पीटीआई-भाषा)

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