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धनबाद जज की मौत मामले में SC का CBI को निर्देश, जानें क्या कहा

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Published : Aug 9, 2021, 12:52 PM IST

Updated : Aug 9, 2021, 3:18 PM IST

धनबाद जज की मौत मामले पर सुप्रीम कोर्ट लगातार निगरानी बनाए हुए हैं. सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश दिया कि मामले की जांच की साप्ताहिक प्रोग्रेस रिपोर्ट झारखण्ड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को सौंपी जाए.

judge Uttam Kumar Anand, Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: धनबाद जज की मौत का मामला में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को सीबीआई को निर्देश जारी किए. कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, हम जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को हर हफ्ते झारखंड उच्च न्यायालय में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हैं और झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश निगरानी करेंगे.

जानें क्या है मामला

बताते चलें कि 29 जुलाई को धनबाद में सुबह के समय पांच बजे मॉर्निंग वॉक पर निकले एडीजी-8 न्यायधीश उत्तम आनंद को एक ऑटो ने पीछे से टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई. घटना की CCTV फुटेज देखने पर उजागर हुआ कि ऑटो ने जानबूझकर टक्कर मारी.

पढ़ें: धनबाद जज मौत मामला : स्पॉट पर दोबारा पहुंची सीबीआई टीम, क्राइम सीन किया रीक्रिएट

साथ ही यह भी बताया गया था कि जज कई गंभीर मामलों की सुनवाई कर रहे थे. मामले में झारखंड पुलिस और राज्य सरकार गंभीर हुई. पुलिस की एसआइटी टीम का गठन करके जांच का जिम्मा सौंपा, जिसमें कई वरीय पुलिस पदाधिकारी शामिल थे. पुलिस ने ऑटो चालक समेत दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा है.

घटना की सीसीटीवी फुटेज

इसी बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सीबीआई से इस मामले की जांच की अनुशंसा कर दी. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट भी काफी गंभीर हैं. यही वजह है क‍ि सीबीआई ने भी ब‍िना व‍िलंब क‍िए इस मामले की जांच शुरू कर दी है. मालूम हो क‍ि यह मामला झारखंड में कई द‍िनों से सुर्ख‍ियों में है. जांच एजेंस‍ियां हर ब‍िंदु पर गहराई से छानबीन कर रही हैं.

मामले की जांच को लग चुकी है सीबीआई व आईबी को फटकार

इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने छह अगस्त को उन सभी हमलों की रिपोर्ट और शिकायतों का संज्ञान लेते हुए सीबीआई और आईबी को फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि जजों की सुरक्षा के प्रति सीबीआई और आईबी संवेदनशील नहीं है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जब जज ने धमकियों के बारे में शिकायत की तो जांच एजेंसियों ने इसके प्रति ध्यान नहीं दिया. कोर्ट ने कहा कि जजों को धमकाना, उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से परेशान करना एक हाई प्रोफाइल मामला है और आदेश उनके पक्ष में नहीं है, तो अपमानजनक संदेश भेजकर उन्हें परेशान करना एक नया 'ट्रेंड' बन गया है.

उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर ऐसे मामलों में सीबीआई जांच के आदेश दिए गए हैं. शीर्ष अदालत ने पिछले साल आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर धमकी भरे पोस्ट की सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था. एक या दो जगहों पर, अदालतों ने सीबीआई जांच का आदेश दिया. यह कहना दुखद है कि सीबीआई ने कुछ नहीं किया है. हमें सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ है.

जज की मौत बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना

बेंच ने धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश उत्तम आनंद के मौत की जांच में प्रगति के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए 10 अगस्त को सीबीआई की उपस्थिति की मांग की. इससे पहले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव और डीजीपी के जरिए झारखंड सरकार (Jharkhand Government) से जांच रिपोर्ट भी मांगी थी.न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के बारे में CJI ने टिप्पणी की एक युवा न्यायाधीश की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है. यह राज्य की विफलता है.

ढ़ें: सीबीआई, आईबी को SC ने लगाई फटकार, कहा- जजों की सुरक्षा के प्रति लापरवाह

न्यायाधीशों के आवासों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए थी.झारखंड के एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने पीठ को सूचित किया कि राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए तुरंत एक विशेष जांच दल का गठन किया था, और अपराध के उसी दिन, एसआईटी ने ऑटो-रिक्शा में सवार दो लोगों को गिरफ्तार किया था. जिसने सुबह की सैर के दौरान न्यायाधीश उत्तम आनंद को नीचे गिरा दिया.

एडवोकेट जनरल ने यह भी कहा कि सीबीआई ने राज्य सरकार की सिफारिश के आधार पर जांच अपने हाथ में ले ली है. इस पर शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि क्या उसमें आपने अपने हाथ धो लिये? एडवोकेट जनरल ने जवाब दिया कि इस मामले में सीमा पार से निहितार्थ और बड़ी साजिश होने की संभावना है. इसलिए सीबीआई को यह मामला सौंपा गया था.

बेंच के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, एजी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने न्यायाधीशों के आवासों को सुरक्षा देने के आदेश जारी किए हैं, जैसा कि पिछले सप्ताह झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष किया गया था.अदालत ने सभी राज्यों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया और मामले को 17 अगस्त को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

नई दिल्ली: धनबाद जज की मौत का मामला में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को सीबीआई को निर्देश जारी किए. कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, हम जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को हर हफ्ते झारखंड उच्च न्यायालय में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हैं और झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश निगरानी करेंगे.

जानें क्या है मामला

बताते चलें कि 29 जुलाई को धनबाद में सुबह के समय पांच बजे मॉर्निंग वॉक पर निकले एडीजी-8 न्यायधीश उत्तम आनंद को एक ऑटो ने पीछे से टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई. घटना की CCTV फुटेज देखने पर उजागर हुआ कि ऑटो ने जानबूझकर टक्कर मारी.

पढ़ें: धनबाद जज मौत मामला : स्पॉट पर दोबारा पहुंची सीबीआई टीम, क्राइम सीन किया रीक्रिएट

साथ ही यह भी बताया गया था कि जज कई गंभीर मामलों की सुनवाई कर रहे थे. मामले में झारखंड पुलिस और राज्य सरकार गंभीर हुई. पुलिस की एसआइटी टीम का गठन करके जांच का जिम्मा सौंपा, जिसमें कई वरीय पुलिस पदाधिकारी शामिल थे. पुलिस ने ऑटो चालक समेत दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा है.

घटना की सीसीटीवी फुटेज

इसी बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सीबीआई से इस मामले की जांच की अनुशंसा कर दी. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट भी काफी गंभीर हैं. यही वजह है क‍ि सीबीआई ने भी ब‍िना व‍िलंब क‍िए इस मामले की जांच शुरू कर दी है. मालूम हो क‍ि यह मामला झारखंड में कई द‍िनों से सुर्ख‍ियों में है. जांच एजेंस‍ियां हर ब‍िंदु पर गहराई से छानबीन कर रही हैं.

मामले की जांच को लग चुकी है सीबीआई व आईबी को फटकार

इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने छह अगस्त को उन सभी हमलों की रिपोर्ट और शिकायतों का संज्ञान लेते हुए सीबीआई और आईबी को फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि जजों की सुरक्षा के प्रति सीबीआई और आईबी संवेदनशील नहीं है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जब जज ने धमकियों के बारे में शिकायत की तो जांच एजेंसियों ने इसके प्रति ध्यान नहीं दिया. कोर्ट ने कहा कि जजों को धमकाना, उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से परेशान करना एक हाई प्रोफाइल मामला है और आदेश उनके पक्ष में नहीं है, तो अपमानजनक संदेश भेजकर उन्हें परेशान करना एक नया 'ट्रेंड' बन गया है.

उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर ऐसे मामलों में सीबीआई जांच के आदेश दिए गए हैं. शीर्ष अदालत ने पिछले साल आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर धमकी भरे पोस्ट की सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था. एक या दो जगहों पर, अदालतों ने सीबीआई जांच का आदेश दिया. यह कहना दुखद है कि सीबीआई ने कुछ नहीं किया है. हमें सीबीआई के रवैये में कुछ बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ है.

जज की मौत बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना

बेंच ने धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश उत्तम आनंद के मौत की जांच में प्रगति के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए 10 अगस्त को सीबीआई की उपस्थिति की मांग की. इससे पहले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव और डीजीपी के जरिए झारखंड सरकार (Jharkhand Government) से जांच रिपोर्ट भी मांगी थी.न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के बारे में CJI ने टिप्पणी की एक युवा न्यायाधीश की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है. यह राज्य की विफलता है.

ढ़ें: सीबीआई, आईबी को SC ने लगाई फटकार, कहा- जजों की सुरक्षा के प्रति लापरवाह

न्यायाधीशों के आवासों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए थी.झारखंड के एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने पीठ को सूचित किया कि राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए तुरंत एक विशेष जांच दल का गठन किया था, और अपराध के उसी दिन, एसआईटी ने ऑटो-रिक्शा में सवार दो लोगों को गिरफ्तार किया था. जिसने सुबह की सैर के दौरान न्यायाधीश उत्तम आनंद को नीचे गिरा दिया.

एडवोकेट जनरल ने यह भी कहा कि सीबीआई ने राज्य सरकार की सिफारिश के आधार पर जांच अपने हाथ में ले ली है. इस पर शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि क्या उसमें आपने अपने हाथ धो लिये? एडवोकेट जनरल ने जवाब दिया कि इस मामले में सीमा पार से निहितार्थ और बड़ी साजिश होने की संभावना है. इसलिए सीबीआई को यह मामला सौंपा गया था.

बेंच के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, एजी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने न्यायाधीशों के आवासों को सुरक्षा देने के आदेश जारी किए हैं, जैसा कि पिछले सप्ताह झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष किया गया था.अदालत ने सभी राज्यों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया और मामले को 17 अगस्त को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

Last Updated : Aug 9, 2021, 3:18 PM IST
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