नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को बीजेपी सांसद मनोज तिवारी (BJP MP Manoj Tiwari) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दिल्ली में पटाखों पर लगाई गई पूर्ण पाबंदी पर तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी (plea challenging Delhi govt decision to ban firecrackers). न्यायमूर्ति एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 'जश्न मनाने के और भी तरीके हैं' लोगों को स्वच्छ हवा में सांस लेने दें. पीठ ने कहा अपना पैसा मिठाई पर खर्च करें.
-
Supreme Court declines urgent hearing of a plea filed by BJP MP Manoj Tiwari challenging Delhi govt's decision to ban sale & purchase & usage of firecrackers during festive seasons in Delhi
— ANI (@ANI) October 20, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Refusing the request for an urgent hearing, SC says to let people breathe clean air. pic.twitter.com/wzjasPc3TI
">Supreme Court declines urgent hearing of a plea filed by BJP MP Manoj Tiwari challenging Delhi govt's decision to ban sale & purchase & usage of firecrackers during festive seasons in Delhi
— ANI (@ANI) October 20, 2022
Refusing the request for an urgent hearing, SC says to let people breathe clean air. pic.twitter.com/wzjasPc3TISupreme Court declines urgent hearing of a plea filed by BJP MP Manoj Tiwari challenging Delhi govt's decision to ban sale & purchase & usage of firecrackers during festive seasons in Delhi
— ANI (@ANI) October 20, 2022
Refusing the request for an urgent hearing, SC says to let people breathe clean air. pic.twitter.com/wzjasPc3TI
तिवारी के अधिवक्ता शशांक शेखर झा ने दलील दी कि पराली जलाने से भी प्रदूषण बढ़ रहा है. लेकिन पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई बाद में करेगी. तिवारी ने कहा कि जनता के हितों की रक्षा के लिए याचिका दायर की गई थी, जिन्हें दीपावली मनाने से रोका जा रहा है, जो हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है.
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने राजधानी में एक जनवरी 2023 तक तत्काल प्रभाव से सभी तरह के पटाखों के भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. सरकार का फैसला न केवल अभिव्यक्ति और रोजगार की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19), लोगों के जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन करता है, बल्कि अंतरात्मा की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) को भी सीमित करता है. याचिका में पटाखों को बेचने, खरीदने या फोड़ने के संबंध में नए दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
हाईकोर्ट से याचिका खारिज : उधर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने संबंधी फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने उन दो व्यापारियों की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें त्योहारों के दौरान 'केवल हरित पटाखे खरीदने, बेचने और भंडारण' करने की अनुमति दिए जाने का आग्रह किया गया था. अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के लिए इस तरह के मामले पर स्वतंत्र रूप से गौर करना उचित नहीं है, क्योंकि यह मुद्दा शीर्ष अदालत का 'ध्यान आकर्षित करने वाला प्रतीत होता है.'
अदालत ने हालांकि कहा कि याचिकाकर्ता अपनी शिकायतों के निवारण के लिए कानून के तहत उचित कदम उठाने के लिए स्वतंत्र हैं. उसने कहा, 'रिकॉर्ड में रखी गई सामग्री पर अदालत ने गौर किया कि दिवाली के दौरान पटाखों के इस्तेमाल के परिणामस्वरूप प्रदूषण के मुद्दे पर पहली बार उच्चतम न्यायालय ने (एक मामले में) विचार किया था. स्वीकार्य पटाखों की बिक्री, खरीद और फोड़ने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक और रिट याचिका दायर की गई थी.'
डीपीसीसी द्वारा आगामी महीनों के दौरान शहर में सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर लगाए गए प्रतिबंध की आलोचना करते हुए हरित पटाखा व्यापारियों 'शिव फायरवर्क्स' और 'जय माता स्टोर्स' ने पिछले महीने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा था कि डीपीसीसी द्वारा 14 सितंबर को लगाया गया प्रतिबंध मनमाना और अवैध है और इससे उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
पढ़ें- SC ने दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिका पर तत्काल सुनवाई से किया इनकार