नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह निजी क्षेत्र में हरियाणा के निवासियों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून पर अंतरिम रोक लगाने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अपील पर 11 फरवरी को सुनवाई करेगा.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ को याचिका पर सोमवार को सुनवाई करनी थी लेकिन इसने समय की कमी के कारण इसे शुक्रवार तक के लिए टाल दिया.
राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से आग्रह किया कि मामला अत्यावश्यक है और इसे मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है. इस पर कुछ अन्य वकीलों ने कठिनाई व्यक्त की, जिसके बाद पीठ ने याचिका को 11 फरवरी को विचार के लिए सूचीबद्ध किया. इससे पहले, चार फरवरी को प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण के नेतृत्व वाली पीठ ने हरियाणा की याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की थी.
उच्च न्यायालय ने तीन फरवरी को फरीदाबाद के विभिन्न उद्योग संघों और गुरुग्राम सहित राज्य के अन्य संगठनों द्वारा दायर याचिकाओं पर हरियाणा सरकार के कानून पर अंतरिम रोक लगा दी थी.
इस अधिनियम में हरियाणा में निजी क्षेत्र में राज्य के लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान है. यह पिछले साल नवंबर में अधिसूचित हुआ था और 15 जनवरी से लागू हुआ. यह उन नौकरियों के लिए है जिनमें अधिकतम सकल मासिक वेतन या पारिश्रमिक 30,000 रुपये है.
ये भी पढे़ं- हरियाणा में प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय युवाओं को मिलेगा 75 फीसदी आरक्षण, अधिसूचना जारी
यह अधिनियम निजी क्षेत्र की कंपनियों, सोसाइटी, ट्रस्ट, सीमित देयता भागीदारी फर्म, साझेदारी फर्म के नियोक्ताओं और ऐसे किसी भी व्यक्ति पर लागू होता है जो विनिर्माण, व्यवसाय करने या किसी अन्य सेवा में वेतन, मजदूरी, या अन्य पारिश्रमिक पर 10 या इससे अधिक लोगों को काम पर रखता है.
पढ़ें- हरियाणा में प्राइवेट नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण कानून से उद्योगपति नाराज़, दूसरे राज्यों में कर सकते हैं उद्योगों को शिफ्ट
(पीटीआई-भाषा)