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27 महीने बाद जेल से रिहा हुए आजम खां, पहले भी काट चुके हैं 19 माह की जेल - पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव

ये पहला मौका नहीं है, जब आजम खां जेल में इतने महीने बिताकर आए हैं. इससे पहले आपातकाल के दौरान भी वो कई महीनों की जेल की सजा काट चुके हैं. इंदिरा गांधी के साल 1975 में लगाई गई इमरजेंसी का विरोध करने को लेकर भी आजम खां को जेल जाना पड़ा था. तब आजम ने 19 महीने जेल में बिताए थे.

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समाजवादी पार्टी नेता आजम खां
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Published : May 20, 2022, 11:32 AM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधायक आजम खां को उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद शुक्रवार को सीतापुर जेल से रिहा कर दिया गया. जहां उनके विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव सहित भारी संख्या में समर्थकों ने उनका स्वागत किया. वहीं, सपा के मुखिया व सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा- 'सपा के वरिष्ठ नेता व विधायक मा. आजम खां के जमानत पर रिहा होने पर उनका हार्दिक स्वागत है. जमानत के इस फैसले से सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय को नए मानक दिए हैं. पूरा ऐतबार है कि वो अन्य सभी झूठे मामलों-मुकदमों में बाइज़्ज़त बरी होंगे. झूठ के लम्हे होते हैं, सदियां नहीं.

वहीं, सीतापुर कारागार के जेलर आरएस यादव ने बताया कि रिहाई का आदेश बृहस्पतिवार देर रात 11 बजे मिला था, जिसके बाद सभी प्रक्रियाएं पूरी होने पर आजम खान को शुक्रवार सुबह आठ बजे जमानत पर रिहा कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को खान को अंतरिम जमानत दे दी थी और सांसद-विधायक स्थानीय अदालत ने सीतापुर जेल प्रशासन को देर रात पत्र भेजकर खान की रिहाई की मांग की थी.

फरवरी 2020 से जेल में थे बंद: आजम खान 26 फरवरी, 2020 से जेल में बंद थे. 80 से अधिक मामलों में आजम खान के ऊपर केस चल रहे हैं. वहीं, 89 मामलों में उन्हें अब तक जमानत मिल चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि ट्रायल कोर्ट से रेगुलर बेल मिलने तक अंतरिम आदेश लागू रहेगा. वो भ्रष्टाचार समेत कई अन्य मामलों में पिछले 27 महीने से सीतापुर जेल में बंद थे. उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद उनका जेल से बाहर आने का मार्ग प्रशस्त हुआ.

इसे भी पढ़ें - 27 महीने बाद जेल से रिहा हुए सपा नेता आजम खां, अखिलेश बोले- स्वागत है

बता दें कि अदालत इस मामले में पहले ही सुनवाई पूरी कर चुकी थी और जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एस गोपन्ना की पीठ ने फैसला सुनाया. गौरतलब है कि 80 से अधिक मामलों में आजम खां पिछले 27 महीनों से सीतापुर जेल में बंद थे. एक के बाद एक केस दायर होने से उनकी परेशानियां बढ़ती जा रही थी. वहीं, उन्हें ट्रायल कोर्ट से अब तक 88 मामलों में जमानत मिल चुकी है, लेकिन 89वें मामले में जमानत को लेकर ट्रायल शुरू होना था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का प्रयोग कर जमानत दे दी.

यूपी सरकार ने किया था जमानत का विरोध: सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को प्रदेश के रामपुर जिले के कोतवाली थाने से जुड़े एक मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां की अंतरिम जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. बीते मंगलवार को यूपी सरकार ने जेल में बंद सपा नेता आजम खां की जमानत याचिका का विरोध किया था और उन्हें भूमि कब्जा करने वाला व आदतन अपराधी करार दिया था.

SC ने लगाई फटकार: राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने भी आजम खां की याचिका का विरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने पहले आजम खान की जमानत याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसला सुनाए जाने में लंबी देरी पर नाराजगी जाहिर की थी और इसे न्याय का उपहास कहा था.

हाईकोर्ट ने दे दी थी जमानत: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने से जुड़े एक मामले में आजम खां को अंतरिम जमानत दे दी थी. फिलहाल आजम खां को रामपुर के कोतवाली से जुड़े एक अन्य मामले में न्यायिक हिरासत में रखा गया था. साथ ही उनके खिलाफ दर्ज मामलों को लेकर वो फरवरी 2020 से ही सीतापुर जेल में बंद थे.

तब 19 महीने जेल में बंद थे आजम: आपको बता दें कि ये पहला मौका नहीं है, जब आजम खां जेल में इतने महीने बिताकर आए हैं. इससे पहले आपातकाल के दौरान भी वो कई महीनों की जेल की सजा काट चुके हैं. इंदिरा गांधी के साल 1975 में लगाई गई इमरजेंसी का विरोध करने को लेकर भी आजम खान को जेल जाना पड़ा था. तब आजम ने 19 महीने जेल में बिताए थे.

तब भी SC से मिली थी राहत: इससे पहले आजम खां को रामपुर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के जमीन अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी. सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को स्टे कर दिया था, जिसमें जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन के टेकओवर की सरकार को हरी झंडी दे दी गई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था.

इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी. लेकिन तब तक के लिए आजम खां को जमीन के टेकओवर में राहत मिल गई. सपा विधायक आजम खां और उनके परिवार के सदस्य इस यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी हैं. वहीं, दूसरी ओर उन पर भ्रष्टाचार के कुछ गंभीर आरोप हैं जिसके चलते इस यूनिवर्सिटी को भी अवैध करार दिया गया था.

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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधायक आजम खां को उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद शुक्रवार को सीतापुर जेल से रिहा कर दिया गया. जहां उनके विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव सहित भारी संख्या में समर्थकों ने उनका स्वागत किया. वहीं, सपा के मुखिया व सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा- 'सपा के वरिष्ठ नेता व विधायक मा. आजम खां के जमानत पर रिहा होने पर उनका हार्दिक स्वागत है. जमानत के इस फैसले से सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय को नए मानक दिए हैं. पूरा ऐतबार है कि वो अन्य सभी झूठे मामलों-मुकदमों में बाइज़्ज़त बरी होंगे. झूठ के लम्हे होते हैं, सदियां नहीं.

वहीं, सीतापुर कारागार के जेलर आरएस यादव ने बताया कि रिहाई का आदेश बृहस्पतिवार देर रात 11 बजे मिला था, जिसके बाद सभी प्रक्रियाएं पूरी होने पर आजम खान को शुक्रवार सुबह आठ बजे जमानत पर रिहा कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को खान को अंतरिम जमानत दे दी थी और सांसद-विधायक स्थानीय अदालत ने सीतापुर जेल प्रशासन को देर रात पत्र भेजकर खान की रिहाई की मांग की थी.

फरवरी 2020 से जेल में थे बंद: आजम खान 26 फरवरी, 2020 से जेल में बंद थे. 80 से अधिक मामलों में आजम खान के ऊपर केस चल रहे हैं. वहीं, 89 मामलों में उन्हें अब तक जमानत मिल चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि ट्रायल कोर्ट से रेगुलर बेल मिलने तक अंतरिम आदेश लागू रहेगा. वो भ्रष्टाचार समेत कई अन्य मामलों में पिछले 27 महीने से सीतापुर जेल में बंद थे. उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद उनका जेल से बाहर आने का मार्ग प्रशस्त हुआ.

इसे भी पढ़ें - 27 महीने बाद जेल से रिहा हुए सपा नेता आजम खां, अखिलेश बोले- स्वागत है

बता दें कि अदालत इस मामले में पहले ही सुनवाई पूरी कर चुकी थी और जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एस गोपन्ना की पीठ ने फैसला सुनाया. गौरतलब है कि 80 से अधिक मामलों में आजम खां पिछले 27 महीनों से सीतापुर जेल में बंद थे. एक के बाद एक केस दायर होने से उनकी परेशानियां बढ़ती जा रही थी. वहीं, उन्हें ट्रायल कोर्ट से अब तक 88 मामलों में जमानत मिल चुकी है, लेकिन 89वें मामले में जमानत को लेकर ट्रायल शुरू होना था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का प्रयोग कर जमानत दे दी.

यूपी सरकार ने किया था जमानत का विरोध: सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को प्रदेश के रामपुर जिले के कोतवाली थाने से जुड़े एक मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां की अंतरिम जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. बीते मंगलवार को यूपी सरकार ने जेल में बंद सपा नेता आजम खां की जमानत याचिका का विरोध किया था और उन्हें भूमि कब्जा करने वाला व आदतन अपराधी करार दिया था.

SC ने लगाई फटकार: राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने भी आजम खां की याचिका का विरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने पहले आजम खान की जमानत याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसला सुनाए जाने में लंबी देरी पर नाराजगी जाहिर की थी और इसे न्याय का उपहास कहा था.

हाईकोर्ट ने दे दी थी जमानत: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने से जुड़े एक मामले में आजम खां को अंतरिम जमानत दे दी थी. फिलहाल आजम खां को रामपुर के कोतवाली से जुड़े एक अन्य मामले में न्यायिक हिरासत में रखा गया था. साथ ही उनके खिलाफ दर्ज मामलों को लेकर वो फरवरी 2020 से ही सीतापुर जेल में बंद थे.

तब 19 महीने जेल में बंद थे आजम: आपको बता दें कि ये पहला मौका नहीं है, जब आजम खां जेल में इतने महीने बिताकर आए हैं. इससे पहले आपातकाल के दौरान भी वो कई महीनों की जेल की सजा काट चुके हैं. इंदिरा गांधी के साल 1975 में लगाई गई इमरजेंसी का विरोध करने को लेकर भी आजम खान को जेल जाना पड़ा था. तब आजम ने 19 महीने जेल में बिताए थे.

तब भी SC से मिली थी राहत: इससे पहले आजम खां को रामपुर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के जमीन अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी. सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को स्टे कर दिया था, जिसमें जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन के टेकओवर की सरकार को हरी झंडी दे दी गई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था.

इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी. लेकिन तब तक के लिए आजम खां को जमीन के टेकओवर में राहत मिल गई. सपा विधायक आजम खां और उनके परिवार के सदस्य इस यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी हैं. वहीं, दूसरी ओर उन पर भ्रष्टाचार के कुछ गंभीर आरोप हैं जिसके चलते इस यूनिवर्सिटी को भी अवैध करार दिया गया था.

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