नई दिल्ली : 42 वर्षीय ब्रिटिश-भारतीय ऋषि सुनक (British Indian Rishi Sunak) के यूनाइटेड किंगडम (यूके) के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री (youngest Prime Minister of the United Kingdom) बनने से ब्रिटेन और भारत दोनों में भारतीयों का उत्साह बढ़ा है. उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में अधिक सुधार होगा.
इस पर टिप्पणी करते हुए पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत (former ambassador Anil Trigunayat) ने कहा, 'ब्रिटेन के लिए यह अच्छी खबर है कि वहां के लोग ऋषि सुनक के अगले ब्रिटिश पीएम बनने के साथ कुछ राजनीतिक स्थिरता देख सकते हैं. ये देश के सामने आने वाली प्रमुख आर्थिक चुनौतियों को कम करने में मदद करेगा. यह विशेष रूप से अगले चुनावों में उनके नेतृत्व के लिए लिटमस टेस्ट भी होगा. उनकी घरेलू चुनौतियां उनकी पहली प्राथमिकता हैं क्योंकि ब्रिटेन चार दशकों में अपने जीवन यापन की उच्चतम लागत का सामना कर रहा है.'
ब्रिटेन में पहला भारतीय मूल का पीएम होने के साथ उम्मीद है कि भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को दीपावली की समय सीमा समाप्त होने के बाद एक बहुत जरूरी प्रोत्साहन मिलेगा.
इस पर टिप्पणी करते हुए त्रिगुणायत ने कहा, 'एफटीए के लिए दोनों पक्षों के अपने उद्देश्य और चिंताएं हैं जिन्हें विधिवत रूप से संरेखित करना होगा. हालांकि इसे तेज किया जा सकता है और उच्च स्तरीय आदान-प्रदान होने पर प्राथमिकता पर निष्कर्ष भी निकाला जा सकता है. दोनों देशों को इस साझेदारी से बहुत कुछ हासिल होगा.'
अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि भारत-ब्रिटेन संबंध एक ऐतिहासिक और रणनीतिक प्रतिमान पर आधारित हैं और उस पथ पर जारी रहने की संभावना है. मेरे विचार में हमें उनके भारतीय मूल के होने पर एक बड़ा प्रीमियम नहीं रखना चाहिए. लेकिन वह एक बुद्धिमान नेता हैं वह निश्चित रूप से भारत को एक महान आर्थिक भागीदार और अवसर के रूप में आंकेंगे और इसलिए संबंध मजबूत होंगे.'
सुनक के यूके के प्रधानमंत्री बनने के साथ भारत और यूके दोनों में भारतीयों की तारीफ करते हुए ऐसी कई रिपोर्टें आई हैं जो पूरी दुनिया में भारतीय प्रवासी की बढ़ती ताकत को दिखाती हैं. विदेशों में भारतीय मूल के लोग शीर्ष पदों पर सेवा कर रहे हैं, चाहे वह संयुक्त राज्य अमेरिका में कमला हैरिस हों या कनाडा, मॉरीशस और अन्य हिस्सों में विभिन्न भारतीय मूल के राजनीतिक नेता हों.
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए त्रिगुणायत ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारतीय डायस्पोरा ने उल्लेखनीय रूप से अच्छा किया है. हमारे पास पुर्तगाल, आयरलैंड से लेकर मॉरीशस और कैरिबियन तक कई देशों में भारतीय मूल के नेता हैं.'
त्रिगुणायत ने कहा कि 'हालांकि, यह प्रतीकात्मक रूप से भारतीयों के लिए बहुत संतोषजनक हो सकता है, लेकिन सभी को यह स्वीकार करना चाहिए कि ऋषि सुनक पहले ब्रिटिश नागरिक हैं और उन्हें पहले अपने देश की सेवा करनी होगी जो कि किसी भी मामले में सही काम है.'
यहां गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को एक झटका लगा जब ब्रिटेन की गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन की देश से वीजा ओवरस्टेयर पर कार्रवाई पर सवाल उठाने वाली टिप्पणियां आईं. इससे भारत में नाराजगी हुई. अब सुनक के ब्रिटिश पीएम बनने के साथ, विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच नागरिक और रक्षा दोनों मामलों में द्विपक्षीय संबंध एक बड़ी निकटता का गवाह बनेंगे.
पढ़ें- दुनिया के सात देशों का नेतृत्व भारतीय मूल के व्यक्तियों के पास
पढ़ें- ऋषि सुनक ने रचा इतिहास, भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश PM बने